साथी

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रामली , तू मेरे से ब्याह कर ले ...! राम दीन ने अपने हाथ में पकड़ी एक छोटी से टहनी को दूसरे हाथ पर थपथपाते हुए , रामली यानि रामेश्वरी की और देखते हुए कहा। रे तेरा दिमाग तो ना खराब हो गया राम दीन ...! ठीक है तेरे से बात भी करूँ , मिलने को भी आऊं हूँ और मुझे, मेरी माँ के बाद तेरे मुहं से ही रामली सुनना अच्छा भी लागे, पर ब्याह ...! ये तूने कैसे सोच लिया ...! रामली उर्फ़ रामेश्वरी ने बात तो बहुत हैरानी से शुरू की पर खत्म करते -करते उसका चेहरा लाल और दिल जोर से धडकने भी लग गया था। लो जी, अब दिल है तो धड़केगा ही। अब रामली की उम्र चाहे पैसठ से सत्तर बरस के बीच थी तो क्या हुआ ! राम दीन भी तो बहत्तर का ही था ! चाहे ज्यादा उम्र थी उसकी पर सारी उम्र मेहनत की थी उसने, तो अपनी उम्र से पांच -सात साल छोटा ही लगता था। दिल ने तो धडकना ही था. यहाँ भला उम्र का क्या काम ...!