राकेश के पिता का गतवर्ष देहांत हो गया, माताजी तो पहले ही स्वर्ग सिधार चुकी थीं। पिता के देहांत के बाद घर में राकेश के अलावा उसकी पत्नी, पांच बेटियां, और तेरह वर्ष का छोटा भाई रंजीत ही रह गए। घर के बड़े लोगों में केवल राकेश की ताई शीला ही बची थीं, उनके कोई संतान न थी और संतान न होने के कारण जो भी उनके पास था सब कुछ अंततः राकेश और उसके भाई को ही मिलना तय था, इसलिए राकेश की पत्नी रज्जो उनका अच्छे से ख्याल रखती थी। ताई खाना तो रज्जो के यहां खाती थीं पर रज्जो के घर से सटे हुए अपने घर में अकेली ही रहती थीं।