बब्बू ने बताया कि उसकी कहानी हमेशा से ऐसी नहीं थी, बल्कि उसमें सुख के कुछ चाँदिया तार भी जुड़े हुए थे। उसके पिता थे, जो उसे बहुत प्यार करते थे और उसका घर एक हँसता-खेलता घर था। पिता एक कारखाने में मजदूर थे, पर सीधे-सच्चे थे। उनमें कोई ऐब नहीं था। जो कुछ घर में लाते, सब खुशी से खा लेते और घर सुख की लय-तान पर चल रहा था। लेकिन फिर पिता बीमार रहने लगे और समस्याओं पर समस्याएँ आने लगीं। शायद उस कारखाने में कोई तेज रसायन बनता था जिससे उनके फेफडे़ गलने लगे। इलाज के लिए पैसे नहीं थे, इसलिए छह-आठ महीने में ही उन्होंने दम तोड़ दिया। पूरे घर पर जैसे बज्र गिर पड़ा हो।