Khoon

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विनोद विप्लव की कलम से लिखी गई कहानी ‘‘खून’’ में साम्प्रदायिक माहौल पैदा करने तथा समाज में हिन्दू-मुस्लिम का भेद कायम करने के लिए होने वाली साजिश के पीछे के आर्थिक पहलुओं का खुलासा किया गया है। कई बार कोई हत्या सामान्य प्रतीत होती है लेकिन तह तक जाने पर पता चलता है कि उस हत्या का साम्प्रदायिक आधार है लेकिन उस साम्प्रदायिकता के लिये कोई ना कोई आर्थिक कारण होता है। विनोद विप्लव की यह कहानी आज से ढाई दशक पूर्व लिखी गयी थी, लेकिन आज भी यह सामयिक जान पड़ती है। यह कहानी पहली बार भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन विभाग से प्रकाशित पत्रिका ‘‘आजकल’’ के युवा लेखक विशेषांक में प्रकाशित हुई थी। विनोद विप्लव की प्रमुख कहानियों में ‘‘अवरोध’’, ’’विभव दा की दाढ़ी’’, ’’रक्तबीज’’, ‘‘चक्रव्यूह’’ आदि प्रमुख है। विनोद विप्लव ने करीब ढाई दशक से अधिक समय से लेखन एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। स्कूल के दिनों से ही कहानी लेखन में विशेष दिचलस्पी रही। देश की प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं में उनकी कई कहानियां प्रकाशित हो चुकी हैं। ‘‘अवरोध’’ नामक उनकी कहानी को दिल्ली सरकार की हिन्दी अकादमी की ओर से प्रथम नवोदित लेखन पुरस्कार मिल चुका है। इसके अलावा हिन्दी अकादमी के वित्तीय सहयोग से उनका पहला कहानी संग्रह ‘‘विभव दा का अंगूठा’’ प्रकाश्तिा हुआ। पिछले कुछ वर्षों के दौरान उन्होंने मीडिया और राजनीति पर कई व्यंग्य भी लिखे जो नवभारत टाइम्स, हिन्दुस्तान और जनसत्ता जैसे अखबारों तथा मीडिया आधारित वेबसाइटों में प्रकाशित हुए हैं। मीडिया को लेकर उनके व्यंग्य काफी पसंद किये गये। इन व्यंग्यों का संग्रह ‘‘ढिबरी चैनल‘‘ तैयार किया गया है जो शीघ्र प्रकाषित होने वाला है। उन्होंने महान गायक मोहम्मद रफी की पहल जीवनी (मेरी आवाज सुनो) के अलावा अभिनय सम्राट दिलीप कुमार तथा हरफनमौला अभिनेता-निर्देशक राजकपूर एवं सदाबहार अभिनेता देव आनंद पर पुस्तकें लिखी है। इसके अलावा सिनेमा जगत की 140 हस्तियों के बारे में ’’हिन्दी सिनेमा के 150 सितारे’’ नामक पुस्तक लिखी है।