बूकमार्क

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‘कहाँ जा रही हो किस के पास जायेगी ’ –न जाने क्युं, मेरे अपने खुद के दिल से भी मुझे ऐसे सवाल आज ऊठे ही नहि ! आज जब कि मै धैर्य के पास जा रही हूँ तो भी नहि ! मैं तो पहले से ही ऐसी हूँ, बिलकुल निर्दम्भ व निर्लेप ! धैर्य तो शायद मुझे निष्ठुर भी कहेता होगा । लेकिन क्या करु मैं हूँ ही ऐसी तो !