Jinn

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पंजाबी कहानी जिन्न हरजीत अटवाल अनुवाद :सुभाष नीरव “हमारे दामाद—सा कोई दामाद नहीं हो सकता। कइयों से बात की है मैंने। दामाद के घर रहकर लोग नरक भोगते हैं, पर हमारी बात और है जी... हम तो अपने घर की तरह रहते हैं, बेटों से भी बढ़कर है यह दामाद। हमेशा आगे—पीछे रहता है हमारे... उसी की बदौलत हम कुछ ही दिनों में यहाँ सैट हो गए।” गुरुद्वारे में मिले अपने गाँव के एक निवासी को बताता है अमरीक सिंह। उसकी बात सच भी थी। बेटियों की मार्फत यहाँ रहने आये माँ—बापों को बहुत से दुःख झेलने पड़ते हैं। कैनेडा