“ लाल पत्थर “

  • 14.2k
  • 1.4k

प्रस्तुत कहानी निर्जीव वस्तु की सजीवता को बयान करने का प्रयास करती है कैसे हम अपने आस पास की कितनी निर्जीव वस्तुओं का सुबह शाम बातों बातों में नाम लेते रहते हैं लेकिन उनकी नवीनता , जीर्णोधार औरपहचान का ध्यान कम या बमुश्किल रख पाते हैं तंग गलियों या इलाकों में तो इसकी अति देखने को मिलती है