अस्तित्व

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...... विवाह के कुछ ही महीने गुजरे थे जब ससुराल में एक परिवारिक समारोह में उसके साथ धोखे से बेहोशी की हालत में दुराचार हुआ था। पति सहित ससुराल के दबाब में उनके मान-सम्मान की खातिर उसे उस विष को पीना पड़ा लेकिन जब विष का प्रभाव मुन्ना के रूप में सामने आया तो बहुत देर हो चुकी थी। घर के हालत ही नहीं घरवालों के मन भी बदल गए थे। समाज के लिए वह बच्चा उनकी संतान थी लेकिन पति की नजरों में वह जायज नही था। बस यही से शुरू हुआ था एक पति के विरोध का सिलसिला और माँ के मातृत्व का संघर्ष, जिसकी परिणीति उसकी मायके लौटने के रूप में हुयी थी।........ एक विवाहिता जो अपने अस्तित्व के लिए स्वयं ही संघर्ष करने निकल पड़ी...