धोबन

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“मुझे इसी बात का डर था और मैं यही कहने आई हूँ कि मेरे पीछे अपनी ज़िन्दगी बर्बाद मत करो.” वली ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन उसने आगे बढ़के उसे अपने गले से लगा लिया. ऐसी दीवानगी देखके आरती के आँसू निकल पड़े. फिर दोनों ने कस के एक-दूसरे को अपनी बाहों में जकड़ लिया. फिर वली ने उसके गाल पे बनी आँसू की सड़क मिटा दी और उसके होंटों पे अपने होंट रख दिए, जिसके लिए आरती मना न कर सकी. फिर वली ने उसे अपने सीने से कुछ इस तरह लगा लिया, जैसे वो उसकी हर परेशानी को अपने गले से लगा रहा हो. आरती को पहली बार अपने जिस्म पे किसी मर्द का इतना मुलायम हाथ महसूस हुआ. उसे अच्छा लगा. अब वली उसको बेतहाशा चूमने लगा. फिर जब वली का हाथ आरती के सीने पे पहुँचा, तब आरती को महसूस हुआ कि उसके अन्दर एक समन्दर जितना बड़ा तूफ़ान उमड़ रहा है, जो अब सारे किनारे तोड़ देगा, तब उसने वली को आगे बढ़ने से रोक दिया. “पहले अच्छे नम्बरों से पास हो जाओ.” आरती ने इतना कहा और कमरे से बाहर निकल गई.