यादों के झरोखे से

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आज एक संस्मरण सुनाना चाहती हूँ । वैसे मैं उसे कहानी मे ढाल सकती थी लेकिन उसकी आत्मा यदि उस खोल में न समाती तो ---- इसलिये जस का तस रख रही हूँ। डिग्री काॅलेज मे प्राध्यापको की भर्ती के लिये इलाहाबाद में परीक्षा आयोजित की गई थी । मै भी इस मे सम्मिलित होने के लिये घर से एकाकी निकली । चूंकि पीलीभीत में बड़ी रेलवे लाइन है नहीं, तो हम सब पीलीभीत वासियों को बरेली, शाहजहाँपुर या लखनऊ से बडी लाइन की गाडी पकडनी पडती है ।