राजपूत कैदी

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धर्म सिंह नामी राजपूत राजपूताना की सेना में एक अफसर था। एक दिन माता की पत्री आई कि मैं बूढ़ी होती जाती हूँ, मरने से पहले एक बार तुम्हें देखने की अभिलाषा है, यहाँ आकर मुझे विदा कर आशीर्वाद लो और क्रिया कर्म करके आनंदपूर्वक नौकरी पर लौट जाना। तुम्हारे वास्ते मैंने एक कन्या खोज रखी है, वह बड़ी बुद्धिमती और धनवान है। यदि तुम्हें भाए तो उससे विवाह करके सुखपूर्वक घर ही पर रहना। उसने सोचा- ठीक है, माता दिनों-दिन दुर्बल होती जा रही है, संभव है कि फिर मैं उसके दर्शन न कर सकूँ।