साक्षात्कार

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साक्षात्कार नीलम कुलश्रेष्ठ (1) मन में वही तड़प उठ खड़ी हुई है, उसकी कलम की रगें फड़कने लगीं है -उस अनूठे कलात्मक सौंदर्य को समेटने के लिए. शायद इसे ही किसी लेखक के मन का` क्लिक` करना कहतें है. यदि कोई विषय उसके मन को क्लिक कर गया तो जब तक वह उसे कागज़ पर नहीं उतार लेगा तब तक चैन से नहीं बैठ पायेगी. उठते बैठते या किसी से बात करते समय भी दिमाग उस क्लिक की चंगुल में छटपताता रहता है. जब वह इस प्रदेश में आई थी तो उसके लिए यहाँ का सब कुछ अनूठा था -रात

Full Novel

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साक्षात्कार - 1

साक्षात्कार नीलम कुलश्रेष्ठ (1) मन में वही तड़प उठ खड़ी हुई है, उसकी कलम की रगें फड़कने लगीं है अनूठे कलात्मक सौंदर्य को समेटने के लिए. शायद इसे ही किसी लेखक के मन का` क्लिक` करना कहतें है. यदि कोई विषय उसके मन को क्लिक कर गया तो जब तक वह उसे कागज़ पर नहीं उतार लेगा तब तक चैन से नहीं बैठ पायेगी. उठते बैठते या किसी से बात करते समय भी दिमाग उस क्लिक की चंगुल में छटपताता रहता है. जब वह इस प्रदेश में आई थी तो उसके लिए यहाँ का सब कुछ अनूठा था -रात ...Read More

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साक्षात्कार - 2 - अंतिम भाग

साक्षात्कार नीलम कुलश्रेष्ठ (2) उसे अपनी एक मित्र सिन्धु से जानकारी है जो इनके यहाँ काम कर चुकी है हर पाँचवें छठे महीने इनका विदेश टूर लगता रहता है. हर बात को वे विदेशी नज़रिये से तौलते हैं. वह सही कह रही थी जोशी जी कह उठते हैं, विदेशों में तो आप किसी लेडी से कह सकते हैं कि आप सुंदर हैं. आपकी ड्रेस सुंदर है. यहा तो किसी लेडी से कुछ कह ही नहीं सकते. वह मन ही मन खुश होती है कि वह् सुंदर नहीं है. वह जब इंटर्व्यू लेने निकलती है तो बाल कसकर बाँध ...Read More