मेरी नजर से देखो

(13)
  • 27.5k
  • 0
  • 6k

मै एक नवीन लेखक अपनी इन लघु कहानियों से एक समाज की भिन्न - २ समस्याओ से ग्रस्त छवि को दिखाने का प्रयत्न करूँगा। मै हर समस्या के मध्य रह व मुझसे जूडे अनुभवो की भ्रांतियो को अपने लेख के माध्यम से आप तक प्रस्तुत करने को प्रयत्नशील रहूँगा। -------------------ये कहानी का दौर शुरू होता है जमुनापुर गांव में रह रहे एक परिवार से। परिवार में चार सदस्य थे। जिसमें से एक मेरी इस कहानी का मुख्य पात्र है। उसका नाम है सांभाजी। इस कहानी में मेरा छोटा सा पात्र ये है कि वह मुझे काका कहता है और मै उसे

New Episodes : : Every Wednesday & Saturday

1

मेरी नजर से देखो - भाग 1 - आरक्षण सपनो की अपंगता

मेरी नजर से देखो - भाग 1 - आरक्षण - सपनो की अपंगता ----------------------------------------------------------------- मै एक नवीन लेखक अपनी लघु कहानियों से एक समाज की भिन्न - २ समस्याओ से ग्रस्त छवि को दिखाने का प्रयत्न करूँगा। मै हर समस्या के मध्य रह व मुझसे जूडे अनुभवो की भ्रांतियो को अपने लेख के माध्यम से आप तक प्रस्तुत करने को प्रयत्नशील रहूँगा। - ---------------------------------------------------------------- ...Read More

2

मेरी नजर से देखो - भाग 2 - दोगुनी आय से मुनाफा बहुत है।

...कि अचानक पास ही चल रहे टेलिविजन पर एक सरकारी अधिकारी की मौत की खबर सुनी, किसी माफियों का लगता है। मगर मुझे तो मालूम था कि पीछे कौन- सा माफिया है? ओर ये सोचते- सोचते मै अपने आप को बीस साल पहले ले गया। एक ओर यादो में जहाँ ऐसे सरकारी तंत्र का सामना मुझे भी करना पडा था... ---------------- ---------------- ---------------- ---------------- उन दिनों मै रातखेडी जिले में पत्रकार था। वो दिन याद है मुझे की चारो ओर मेरे शोर ही शोर था। उस शोर के बीच से मैने जब रातखेडी के विधायक श्रीमान दौलतदास जी ...Read More

3

मेरी नजर से देखो - भाग 3 - सरकारी दफ्तर की महंगी चाय

...कि मेरी पत्नी के भाई यानी मेरे साले मजबूरदास की काॅल आ गई। अपनी जीजी से मिलने को आ था। मैने अपनी पत्नी को कहा तेरा भाई आ रहा है, कुछ पकवान बना लो। वैसे तो हमारे साले साहब की भी सरकार के तंत्र के साथ बडी रोचक कहानी है, इतने में वो आए मै आपको बता देता हूँ कि आखिर वो कैसे इन सरकारी झमेलो में आ गए?... ---------------- ---------------- ---------------- ---------------- मजबूरदास का जैसा नाम वैसा ही स्वभाव। इसके माथे पर शिखर हमेशा ज्यों की त्यों रहती है। और बुढापा उम्र से पहले आ गया, अभी उम्र ...Read More

4

मेरी नजर से देखो - भाग 4 - समानता के अवसर या मौके का फायदा?

टिंग टोंग... लगता है मजबूरदास आ गया। मैने मेरी पत्नी को दरवाजे खोलने को रूक्का दिया। मेरी पत्नी ने भाई की आवभगत की, फिर मैने पुछा ओर आजकल क्या चल रहा साले साहब । कहने लगे क्या बताए जीजाजी आपसे क्या कुछ छुपा है, पिछले साल दोनो बेटियों की शादी का खर्चा ज्यो त्यों निकाला था। अब इनकी माँ की क्या ही कहे... । एक लम्बी बातचीत के बाद मजबूरदास चला गया। और मेरी कलम का दौर अब यहाँ से आगे शुरू हुआ। सामाजिक मुद्दो की असहजता के बारे में, जिसकी वजह कभी कभी हम ही होते है।। ---------------- ---------------- ...Read More