अंतिम सफर

(3)
  • 40.2k
  • 2
  • 18.2k

अंतिम सफर,,,,,,, यह बात तब की है ,जब मैं एक बार ऊंचे पहाड़ों की तरफ घूमने निकल गया था,, मौसम एकदम खुशनुमा था,, धूप खिली हुई थी ,,महीना भी मार्च के शुरुआत का था, पहाड़ों से बहने वाले छोटे झरने बेहद खूबसूरत लग रहे थे ,, , पर जैसे जैसे मैं आगे बढ़ रहा था ,,मुझे ऐसा लग रहा था,, जैसे कोई धुंध मेरा पीछा कर रही हो ,,और मैं पीछे मुड़कर देखता तो गहरी घाटियों में धुंध तैरती मुझे नजर आ रही थी,,,, पर वह तो मुझसे बहुत दूर थी ,,,फिर चलते ही मुझे ऐसा क्यों आभास हो रहा

Full Novel

1

अंतिम सफर - 1

अंतिम सफर,,,,,,, यह बात तब की है ,जब मैं एक बार ऊंचे पहाड़ों की तरफ घूमने निकल गया था,, एकदम खुशनुमा था,, धूप खिली हुई थी ,,महीना भी मार्च के शुरुआत का था, पहाड़ों से बहने वाले छोटे झरने बेहद खूबसूरत लग रहे थे ,, , पर जैसे जैसे मैं आगे बढ़ रहा था ,,मुझे ऐसा लग रहा था,, जैसे कोई धुंध मेरा पीछा कर रही हो ,,और मैं पीछे मुड़कर देखता तो गहरी घाटियों में धुंध तैरती मुझे नजर आ रही थी,,,, पर वह तो मुझसे बहुत दूर थी ,,,फिर चलते ही मुझे ऐसा क्यों आभास हो रहा ...Read More

2

अंतिम सफर - 2

कहानी का भाग 2 मैं अपने दिमाग में एक बेहद गहरी और डरावनी तस्वीर को लेकर घर आ पहुंचा । और घर के आंगन पर खड़ा होकर उसे पहाड़ की तरफ देखने लगा था ।जहां कुछ देर पहले में चढ़ने की कोशिश कर रहा था ।अपने घर के दरवाजे से दूर वहां देखना सुकून भरा था। कुछ भी तो नहीं है वहां। फिर क्यों बेवजह में अपने दिमाग में इतनी परेशानी ले रहा हूं।। शायद ऊपर चढ़ते वक्त वाकई में मेरी तबीयत खराब हो गई हो ।और मुझे यह सब कुछ नजर का धोखा महसूस हो रहा हो। आज ...Read More

3

अंतिम सफर - 3

कहानी का भाग 3 मेरे साथ दिन में क्या घटा था ।मैं इस वक्त सब भूल चुका था और काम में व्यस्त हो गया था। फिर वही गांव के लोग, दोस्त उनके साथ बातचीत में इतना व्यस्त हो गया की उस पहाड़ की तरह चढ़ते वक्त मेरे साथ क्या हुआ था ।दिमाग से निकल चुका था। सच बताऊं तो यह हादसा इतनी बुरी तरह से दिमाग से निकला था कि, मैं किसी के सामने भी इस बात की चर्चा नहीं कर पाया था। एकदम जैसे मैं इस बात और हादसे को भूल गया हूं। शाम होते ही सभी लोग ...Read More

4

अंतिम सफर - 4

मैं रात के समय सोने की कोशिश कर रहा था कमरे की जलती लाइट के साथ मुझे अब नींद आ रही थी मेरा ध्यान छत की तरफ ही था और मैं फिर से उस पहाड़ी पर हुए घटनाक्रम के बारे में सोचने लगा था। क्या था वहां ,कुछ तो था ,और उस समय से ही मुझे हर चीज अजीब सी महसूस हो रही हैंज़ मैं खुद को स्थिर नहीं कर पा रहा हुँ। मैं घर की छत पर बिना पलक झपकाए देख रहा था और तभी मुझे महसूस होने लगा जैसे मेरी छत का किस्सा गायब होने लगा हो,,, ...Read More

5

अंतिम सफर - भाग 5

भाग 5 मैं रजाई ओढ़ कर सोया हुआ था और मुझे खिड़की पर जो गर्म सांस का एहसास हुआ उसका एहसास होने लगा था पर अब वह एहसास बेहद डरावना ना होकर सुखद लग रहा था। मुझे ऐसा लगने लगा था कि रजाई का वजन खत्म हो चुका हो और मैं उस मीठे अहसास में फिर से सो गया। अपने उठने के वक्त 7:00 बजे के करीब मेरी आंख खुली थी मुझे बेहद तेज प्यास लगी हुई थी गला ऐसे सूखा हुआ था ,जैसे मैं कहीं तपती रेत में से चलकर आया हूं मेरा बदन पूरी तरह से पसीने ...Read More

6

अंतिम सफर - 6

भाग -6 मुझे समझ नहीं आ रहा था यह मेरे साथ क्या हो रहा है, नाश्ता भी मैंने जैसे-तैसे ,इच्छा ही नहीं हो रही थी, और फिर वापस अपने कमरे में आकर मैं कुर्सी पर बैठ गया था। खिड़की से बाहर दूर उस पहाड़ी को देखने लगा था ,और जाने मेरे मन में कैसे-कैसे ख्याल आने लगे थे,,,"" तो क्या रात को जब मेरी नींद खुली उसके बाद से ही मुझे हैरान करने वाले दृश्य नजर आने लगे थे, बाहर तो धूप खिली हुई हैं, बारिश का कोई नामोनिशान नहीं, तो फिर मैं कौन सी दुनिया में खड़ा था ...Read More

7

अंतिम सफर - 7

भाग -7 इस वक्त मैं बेहद डर चुका था ,सूखे पत्ते मेरे बदन में चढ़ते जा रहे थे ,मैं अपने शरीर से हटाने की कोशिश में, अपने शरीर को हिलाने लगा था, पर इसका कोई फायदा मुझे नहीं मिल रहा था,,,, ऊपर पेड़ पर काली आकृति जिसका कोई अस्तित्व नहीं था ,,वह कभी गोलाकार बन रही थी तो कभी आयताकार रूप ले रही थी,,,, और फिर एकदम से वह मेरी तरफ बड़ी थी, मैंने डर के मारे अपनी आंखें बंद कर ली थी, मेरा चेहरा एकदम से पसीने से भर उठा था, ऐसा लग रहा था जैसे गरम भट्टी ...Read More

8

अंतिम सफर - 8

भाग -8 मैं इस वक्त पहाड़ों की तरफ चढ़ रहा हूं, और तभी मुझे एहसास हुआ था, कोई हवा झोंका मुझे पहाड़ से नीचे गहरी खाई में धकेलने का प्रयास कर रहा है ,और मैं नीचे बैठ गया , फिर अगले ही क्षण एक गहरे डर ने मेरे दिमाग को अपने कब्जे में ले लिया था, जिसके कारण मेरी आंखें बंद हो गई थी, पर अगले कुछ ही सेकंड में मैंने आंखों को खोल दिया था और सब कुछ मेरे आगे- पीछे समान नहीं नजर आ रहा था,, "यह हो क्या रहा हैं, मुझे जो एहसास हुए हैं वह ...Read More

9

अंतिम सफर - 9

भाग -9 मेरे सामने इस वक्त धुंध की आकृतियां ,जिनके अंदर से खून निकल कर उस जलधारा के जल मिल रहा था ,मेरी सांसे बढ़ने लगी थी और मेरे कदम अब धीरे-धीरे पीछे की तरफ हटने लगे थे, मैं भागने का विचार बना चुका था पर तभी उन धुंध की आँखे जैसे एकदम से खुल रही हो और उन्होंने मुझे देख लिया हो,पेड़ों के पत्ते बहुत बुरी तरह से हिलने लगे थे और उनकी सरसराहट की आवाज कानों के पर्दो को एकदम से चीरने लगी थी,,, और तभी वहां से एक विशाल धुंध निकलने लगी थी, जिसका काला रंग ...Read More

10

अंतिम सफर - (अंतिम भाग)

भाग -10 मैं तेजी से घर की तरफ बढ़ रहा था ,मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि हो रहा था, पर अब गांव मेरे नजदीक आता जा रहा था ,,, फिर से मेरी आंखें हैरानी से फैल गई थी, मुझे ऐसा लग रहा था ,जैसे मैं गांव के नजदीक नहीं ,गांव मेरे नजदीक आ रहा हो,,, जो अभी तक मुझे बहुत दूर नजर आ रहा था, अब बिल्कुल करीब था ,मैंने अपने भीतर खुशी को महसूस किया था,,,,, और फिर मैं भागते हुए, गांव के अंदर प्रवेश कर गया था, पर मुझे कोई भी गांव वाला दिखाई ...Read More