19 अक्टूबर 2018 को अमृतसर में दशहरा मेले के दौरान एक भयानक रेल दुर्घटना हुई, जिसमें लगभग 60 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हुए। इस विभीषिका पर आधारित कुछ लघुकथाएं इस घटना की मानवीय संवेदनाओं और सामाजिक प्रतिक्रियाओं को दर्शाती हैं: 1. **मेरा जिस्म**: एक मृत व्यक्ति की आत्मा अपनी पहचान के लिए चिंतित है, क्योंकि उसके हाथ-पैर किसी और के हैं और वह नहीं चाहता कि वे किसी ऐसे व्यक्ति के पास जाएँ, जिसे उसकी जाति से घृणा हो। 2. **ज़रूरत**: एक जीवित व्यक्ति उस दुर्घटना के बाद मदद मांगता है, लेकिन एक व्यक्ति उसकी मदद के बजाय कैमरा के लिए उसे अनदेखा कर देता है। 3. **मौका**: एक समाज सेवा संस्था के मुखिया ने दुर्घटना का फायदा उठाने के लिए जल्दी से वहां जाने की योजना बनाई, यह दिखाते हुए कि मानव जीवन की कीमत उनके लिए केवल पब्लिसिटी है। 4. **संवेदनशील**: मरने के बाद एक व्यक्ति चार अन्य आत्माओं से मिलता है, जो अपनी मौत का कारण बताते हैं। वे सब एक-दूसरे के सवालों के जवाब देने में असमर्थ होते हैं, यह दिखाते हुए कि समाज के सवालों के शोर ने उन्हें मार डाला। 5. **और कितने**: एक व्यक्ति रात के समय पटरियों पर सिसक रहा है। चौकीदार उसकी भावनाओं को समझने की कोशिश करता है, लेकिन वह पहले इनकार करता है और बाद में सहमति देता है, यह दर्शाते हुए कि नुकसान का अनुभव साझा होता है। ये लघुकथाएं उस घटना की गंभीरता और मानवीय संवेदनाओं को उजागर करती हैं, और यह दर्शाती हैं कि समाज में संवेदनहीनता और स्वार्थ कैसे बढ़ सकते हैं। अमृतसर रेल दुर्घटना विभीषिका 2018 पर 5 लघुकथाएं by Chandresh Kumar Chhatlani in Hindi Short Stories 4.3k 2.1k Downloads 7.7k Views Writen by Chandresh Kumar Chhatlani Category Short Stories Read Full Story Download on Mobile Description 19 अक्टूबर 2018 का दशहरा, भुलाये नहीं भुलता, जब अमृतसर में दशहरा मेला चल रहा था और रेल की पटरी पर खड़े होकर रावण दहन देखने वालों के ऊपर ट्रेन चढ़ गयी जिसमें कई घायल हुए और लगभग 60 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी। इस विभीषिका पर कुछ लघुकथाएं कहने का प्रयास है। 1) मेरा जिस्म एक बड़ी रेल दुर्घटना में वह भी मारा गया था। पटरियों से उठा कर उसकी लाश को एक चादर में समेट दिया गया। पास ही रखे हाथ-पैरों के जोड़े को भी उसी चादर में डाल दिया गया। दो मिनट बाद More Likes This नौकरी by S Sinha रागिनी से राघवी (भाग 1) by Asfal Ashok अभिनेता मुन्नन by Devendra Kumar यादो की सहेलगाह - रंजन कुमार देसाई (1) by Ramesh Desai मां... हमारे अस्तित्व की पहचान - 3 by Soni shakya शनिवार की शपथ by Dhaval Chauhan बड़े बॉस की बिदाई by Devendra Kumar More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Hindi Crime Stories