Mere Ghar aana Jindagi - 4 by Ashish Kumar Trivedi in Hindi Fiction Stories PDF

मेरे घर आना ज़िंदगी - 4

by Ashish Kumar Trivedi Matrubharti Verified in Hindi Fiction Stories

(4)समीर अपने वॉशरूम में लगे आइने में खुद को निहार रहा था। अपने होंठों के ऊपर ‌उभरती पतली सी काली लकीर उसे पसंद नहीं आ रही थी। पिछले कुछ महीनों में उसने ‌अपने शरीर में कुछ बदलाव महसूस किए ...Read More