Mere Ghar aana Jindagi book and story is written by Ashish Kumar Trivedi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Mere Ghar aana Jindagi is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
मेरे घर आना ज़िंदगी - Novels
by Ashish Kumar Trivedi
in
Hindi Fiction Stories
ऑफिस से लौटते हुए नंदिता ने एक जगह अपनी स्कूटी खड़ी की। सामने चार सीढ़ियां थीं। उन्हें चढ़कर वह मेडिकल शॉप के काउंटर पर पहुँची। पहले से मौजूद एक ग्राहक अपनी दवाओं के पैसे चुका रहा था। उसके जाने के बाद केमिस्ट ने कहा,
"पर्चा दिखाइए....."
नंदिता ने इधर उधर देखकर थोड़े संकोच से कहा,
"मुझे प्रेग्नेंसी टेस्ट किट चाहिए।"
केमिस्ट ने पास खड़े साथी की तरफ देखा। उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी। उसका साथी अंदर गया और किट लाकर काउंटर पर रख दी। नंदिता ने उसे उठाते हुए दाम पूछा। केमिस्ट ने बता दिया। दाम चुकाकर नंदिता पहली सीढ़ी उतरी थी कि उसके कानों में पड़ा,
"आजकल यह सब कॉमन हो गया है।"
नंदिता समझ गई कि केमिस्ट का इशारा किस तरफ है। लेकिन इस समय उसे किसी बात से मतलब नहीं था। वह तो घर पहुँच कर तसल्ली करना चाहती थी। वह अपनी स्कूटी के पास आई। अपना बैग सीट के नीचे रखा। हेलमेट पहना और निकल गई।
(1) ऑफिस से लौटते हुए नंदिता ने एक जगह अपनी स्कूटी खड़ी की। सामने चार सीढ़ियां थीं। उन्हें चढ़कर वह मेडिकल शॉप के काउंटर पर पहुँची। पहले से मौजूद एक ग्राहक अपनी दवाओं के पैसे चुका रहा था। उसके ...Read Moreके बाद केमिस्ट ने कहा,"पर्चा दिखाइए....."नंदिता ने इधर उधर देखकर थोड़े संकोच से कहा,"मुझे प्रेग्नेंसी टेस्ट किट चाहिए।"केमिस्ट ने पास खड़े साथी की तरफ देखा। उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी। उसका साथी अंदर गया और किट लाकर काउंटर पर रख दी। नंदिता ने उसे उठाते हुए दाम पूछा। केमिस्ट ने बता दिया। दाम चुकाकर नंदिता पहली सीढ़ी उतरी थी
(2)मकरंद वॉशरूम में फ्रेश हो रहा था। नंदिता बिस्तर पर बैठी सोच रही थी कि बात शुरू कैसे करे। वॉशरूम का दरवाज़ा खुला। मकरंद बाहर आते हुए बोला,"आज अपने मकान मालिक का फोन आया था।"नंदिता ने कहा,"क्या कह रहे ...Read More?"मकरंद बिस्तर पर बैठकर बोला,"अगले महीने एग्रीमेंट का पीरियड खत्म हो रहा है। कह रहे थे कि या तो शर्त के हिसाब से दस परसेंट किराया बढ़ाओ नहीं तो फ्लैट समय पर खाली कर देना।"यह सुनकर नंदिता भी परेशान हो गई। मकरंद ने कहा,"नया फ्लैट ढूंढ़ने में तो कठिनाई आएगी। मैंने कह दिया कि बढ़े हुए किराए के साथ फिर
(3)कमरे में एकदम खामोशी थी। मकरंद अपने हाथों में सर रखे बैठा था। मेडिकल रिपोर्ट उसके सामने पड़ी थी। मकरंद रिपोर्ट को घूरे जा रहा था। जैसे सारी समस्या रिपोर्ट के कारण ही पैदा हुई हो। नंदिता उसकी प्रतिक्रिया ...Read Moreइंतज़ार कर रही थी। हर बीतते पल के साथ उसके दिल की धड़कनें तेज़ हो रही थींं। मकरंद ने नंदिता की तरफ देखकर कहा,"मैं कह रहा था कि भगवान ना जाने क्यों मेरे पीछे पड़े हैं। कुछ भी मेरे हिसाब से होने ही नहीं देते हैं। देखो अब यह समस्या सामने आ गई। मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा
(4)समीर अपने वॉशरूम में लगे आइने में खुद को निहार रहा था। अपने होंठों के ऊपर उभरती पतली सी काली लकीर उसे पसंद नहीं आ रही थी। पिछले कुछ महीनों में उसने अपने शरीर में कुछ बदलाव महसूस किए ...Read Moreउनमें अचानक मोटी होती उसकी आवाज़ और चेहरे पर उभरती काली रेखाएं थीं। यह सब उसे बहुत अजीब सा लग रहा था। उसे लग रहा था कि जैसे यह बदलाव उससे उसकी पहचान छीन ले रहे हों। उसके भीतर की कोमलता को समाप्त कर रहे हों। आइने में खुद को देखते हुए उसका ध्यान अपने बालों पर गया। कंधे तक
(5)जो कुछ हुआ था उससे अमृता परेशान हो गई थी। वह अपने कमरे में जाकर लेट गई थी। अपनी तनावपूर्ण शादी में समीर का जन्म अमृता के लिए एक सुखद अनुभव था। उसके आने से एक उम्मीद बंधी थी ...Read Moreशायद उसके पति के रुख में कोई बदलाव आ जाए। वह अपने आप को बदल दे। लेकिन अमृता की उम्मीद बेकार साबित हुई। उसके पति के रवैए में ज़रा भी फर्क नहीं आया। वह पहले की तरह ही बात बात पर उसका अपमान और तिरस्कार करता था। समीर के लिए भी उसके मन में कोई लगाव नहीं था।समीर के जन्म