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Mere Ghar aana Jindagi by Ashish Kumar Trivedi | Read Hindi Best Novels and Download PDF

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मेरे घर आना ज़िंदगी by Ashish Kumar Trivedi in Hindi
Novels

मेरे घर आना ज़िंदगी - Novels

by Ashish Kumar Trivedi Matrubharti Verified in Hindi Fiction Stories

(139)
  • 26.2k

  • 51.2k

  • 7

ऑफिस से लौटते हुए नंदिता ने एक जगह अपनी स्कूटी खड़ी की। सामने चार सीढ़ियां थीं। उन्हें चढ़कर वह मेडिकल शॉप के काउंटर पर पहुँची। पहले से मौजूद एक ग्राहक अपनी दवाओं के पैसे चुका रहा था। उसके जाने ...Read Moreबाद केमिस्ट ने कहा, "पर्चा दिखाइए....." नंदिता ने इधर उधर देखकर थोड़े संकोच से कहा, "मुझे प्रेग्नेंसी टेस्ट किट चाहिए।" केमिस्ट ने पास खड़े साथी की तरफ देखा। उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी। उसका साथी अंदर गया और किट लाकर काउंटर पर रख दी। नंदिता ने उसे उठाते हुए दाम पूछा। केमिस्ट ने बता दिया। दाम चुकाकर नंदिता पहली सीढ़ी उतरी थी कि उसके कानों में पड़ा, "आजकल यह सब कॉमन हो गया है।" नंदिता समझ गई कि केमिस्ट का इशारा किस तरफ है। लेकिन इस समय उसे किसी बात से मतलब नहीं था। वह तो घर पहुँच कर तसल्ली करना चाहती थी। वह अपनी स्कूटी के पास आई। अपना बैग सीट के नीचे रखा। हेलमेट पहना और निकल गई।

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मेरे घर आना ज़िंदगी - Novels

मेरे घर आना ज़िंदगी - 1
(1) ऑफिस से लौटते हुए नंदिता ने एक जगह अपनी स्कूटी खड़ी की। सामने चार सीढ़ियां थीं। उन्हें चढ़कर वह मेडिकल शॉप के काउंटर पर पहुँची। पहले से मौजूद एक ग्राहक अपनी दवाओं के पैसे चुका रहा था। उसके ...Read Moreके बाद केमिस्ट ने कहा,"पर्चा दिखाइए....."नंदिता ने इधर उधर देखकर थोड़े संकोच से कहा,"मुझे प्रेग्नेंसी टेस्ट किट चाहिए।"केमिस्ट ने पास खड़े साथी की तरफ देखा। उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी। उसका साथी अंदर गया और किट लाकर काउंटर पर रख दी। नंदिता ने उसे उठाते हुए दाम पूछा। केमिस्ट ने बता दिया। दाम चुकाकर नंदिता पहली सीढ़ी उतरी थी
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 2
(2)मकरंद वॉशरूम में फ्रेश हो रहा था। नंदिता बिस्तर पर बैठी सोच रही थी कि बात शुरू कैसे करे। वॉशरूम का दरवाज़ा खुला। मकरंद बाहर आते हुए बोला,"आज अपने मकान मालिक का फोन आया था।"नंदिता ने कहा,"क्या कह रहे ...Read More?"मकरंद बिस्तर पर बैठकर बोला,"अगले महीने एग्रीमेंट का पीरियड खत्म हो रहा है। कह रहे थे कि या तो शर्त के हिसाब से दस परसेंट किराया बढ़ाओ नहीं तो फ्लैट समय पर खाली कर देना।"यह सुनकर नंदिता भी परेशान हो गई। मकरंद ने कहा,"नया फ्लैट ढूंढ़ने में तो कठिनाई आएगी। मैंने कह दिया कि बढ़े हुए किराए के साथ फिर
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 3
(3)कमरे में एकदम खामोशी थी। मकरंद अपने हाथों में सर रखे बैठा था। मेडिकल रिपोर्ट उसके सामने पड़ी थी। मकरंद रिपोर्ट को घूरे जा रहा था। जैसे सारी समस्या रिपोर्ट के कारण ही पैदा हुई हो। नंदिता उसकी प्रतिक्रिया ...Read Moreइंतज़ार कर रही थी। हर बीतते पल के साथ उसके दिल की धड़कनें तेज़ हो रही थींं। मकरंद ने नंदिता की तरफ देखकर कहा,"मैं कह रहा था कि भगवान ना जाने क्यों मेरे पीछे पड़े हैं। कुछ भी मेरे हिसाब से होने ही नहीं देते हैं। देखो अब यह समस्या सामने आ गई। मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 4
(4)समीर अपने वॉशरूम में लगे आइने में खुद को निहार रहा था। अपने होंठों के ऊपर ‌उभरती पतली सी काली लकीर उसे पसंद नहीं आ रही थी। पिछले कुछ महीनों में उसने ‌अपने शरीर में कुछ बदलाव महसूस किए ...Read Moreउनमें अचानक मोटी होती उसकी आवाज़ और चेहरे पर उभरती काली रेखाएं थीं। यह सब उसे बहुत अजीब सा लग रहा था। उसे लग रहा था कि जैसे यह बदलाव उससे उसकी पहचान छीन ले रहे हों। उसके भीतर की कोमलता को समाप्त कर रहे हों। आइने में खुद को देखते हुए उसका ध्यान अपने बालों पर गया। कंधे तक
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 5
(5)जो कुछ हुआ था उससे अमृता परेशान हो गई थी। वह अपने कमरे में जाकर लेट गई थी। अपनी तनावपूर्ण शादी में समीर का जन्म अमृता के लिए एक सुखद अनुभव था। उसके आने से एक उम्मीद बंधी थी ...Read Moreशायद उसके पति के रुख में कोई बदलाव आ जाए। वह अपने आप को बदल दे। लेकिन अमृता की उम्मीद बेकार साबित हुई। उसके पति के रवैए में ज़रा भी फर्क नहीं आया। वह पहले की तरह ही बात बात पर उसका अपमान और तिरस्कार करता था। समीर के लिए भी उसके मन में कोई लगाव नहीं था।समीर के जन्म
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 6
(6)नंदिता और मकरंद डॉ. नगमा सिद्दीकी की क्लीनिक में बैठे थे। डॉ. नगमा सिद्दीकी ने उन्हें समझाते हुए कहा,"अब आप दोनों को ही मिलकर बच्चे की ज़िम्मेदारी उठानी है। नंदिता को अपने खाने पीने और स्वास्थ का खयाल रखना ...Read Moreमकरंद आपको ध्यान रखना पड़ेगा कि नंदिता की सेहत अच्छी रहे। उसे समय समय पर चेकअप के लिए लाना आपकी ज़िम्मेदारी है। वैसे अभी परेशान होने की कोई बात नहीं है। सब ठीक है।"नंदिता और मकरंद ने एक दूसरे की तरफ देखा। उसके बाद डॉ. नगमा सिद्दीकी की बातों से सहमति जताई। डॉ. नगमा सिद्दीकी ने कुछ दवाएं लिखकर दीं।
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 7
(7)पोस्टर को बेडरूम की दीवार पर लगाने के बाद नंदिता ने उसे ध्यान से देखा। दो नन्हें बच्चों के मनमोहक चित्र थे। एक चित्र लड़के का था और दूसरा लड़की का। वह अपनी सहेली भावना को लेकर पोस्टर लेने ...Read Moreथी। कई पोस्टर देखने के बाद उसने यह पोस्टर पसंद किया था। भावना को भी पोस्टर अच्छा लगा था। पर उसे यह समझ नहीं आ रहा था कि नंदिता ने यही पोस्टर क्यों पसंद किया। नंदिता ने उसे समझाया कि जब तक बच्चा पैदा नहीं होता है तब तक वह नहीं कह सकती है कि लड़का होगा या लड़की। इसलिए
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 8
(8)योगेश उर्मिला को लेकर उस संस्था में आए थे जहाँ अल्ज़ाइमर्स से पीड़ित लोगों की देखभाल की जाती थी। उन्होंने संस्था का मुआयना कर लिया था। उन्हें वहाँ मिलने वाली सुविधाएं अच्छी लगी थीं। इस समय वह संस्था की ...Read Moreश्रीमती ईशा सचान के ऑफिस में बैठे थे। श्रीमती ईशा ने पूछा,"मिस्टर योगेश शर्मा आपको हमारी संस्था की व्यवस्था कैसी लगी ?"योगेश ने उर्मिला की तरफ देखकर कहा,"बहुत अच्छी लगी। मैं चाहता था कि जब अपने इलाज के दौरान मैं उर्मिला की देखभाल करने में असमर्थ रहूँ तो इस बात की निश्चिंतता रहे कि कोई उसे देखने वाला है। मुझे
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 9
(9)जयपुर ट्रिप से लौटकर समीर ने अमृता को वहाँ के अनुभव के बारे में बताया। उसने कहा कि ट्रिप पर उसे अच्छा लगा। चार दिन उसने अपने दम पर परिस्थितियों का सामना किया यह उसके लिए आत्मविश्वास को बढ़ाने ...Read Moreबात थी। अमृता खुश थी कि जो वह चाहती थी वही हुआ।समीर अपने कमरे में आराम कर रहा था। वह पूरी कोशिश कर रहा था कि ट्रिप से लौटने से एक रात पहले जो कुछ भी उसके साथ हुआ उसे दिमाग से निकाल दे। लेकिन बार बार उसे अपने शरीर पर उस स्पर्श का अनुभव हो रहा था। वह अनुभव
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 10
(10)अमृता इंतज़ार कर रही थी कि समीर कुछ कहे। समीर पशोपश में था। इस बात से अमृता की चिंता बढ़ गई थी। उसने कहा,"समीर इस तरह सोच में पड़े हो। बात क्या है ? खुलकर बताओ।"समीर ने सोच लिया ...Read Moreकि वह सही बात नहीं बताएगा। उसके मन में एक बात आई थी। नमित के साथ उसका झगड़ा जिस वजह से हुआ था उसने वही बता दिया। उसने कहा,"मम्मी मेरी एक लड़के के साथ कहासुनी हो गई थी। वह मुझे परेशान कर रहा था।‌ मुझसे कह रहा था कि मैं आगे चलकर नाच गाना करके लोगों से पैसे मांगूँगा। मैंने
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 11
(11)नंदिता ऑफिस जाने के लिए निकल रही थी जब उसने सुदर्शन को सोसाइटी के अंदर दाखिल होते देखा। उसने अपनी स्कूटी रोककर उसे आवाज़ लगाई। सुदर्शन और उसकी मुलाकात एकबार योगेश के सामने ही हुई थी। योगेश ने सुदर्शन ...Read Moreपरिचय देते हुए कहा था कि यह लड़का मेरी बहुत मदद करता है। उसके बाद भी कई बार उसने योगेश के मुंह से सुदर्शन का नाम सुना था। सुदर्शन ने उसके पास आकर नमस्ते किया। नंदिता ने कहा,"मुझे तो जानते हो। अंकल की बिल्डिंग में ही रहती हूँ।""जी जानता हूँ।""बहुत दिनों से अंकल और आंटी दिख नहीं रहे हैं। तुम
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 12
(12) समीर के ठीक होने के बाद उसका भी बयान लिया गया। लॉज के कर्मचारी का भी बयान दर्ज़ किया गया। हरीश और मंजीत पर पास्को एक्ट लगाया गया। नमित और चेतन पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत मामला ...Read Moreकिया गया। सभी ने अपने गुनाह कबूल कर लिए।समीर के केस की बहुत चर्चा हुई थी। सबको पता चल गया था कि वह ट्रांसजेंडर है। इस बात का समीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा था। वह पहले से अधिक उदास रहता था। किसी से भी मिलना या बात करना नहीं चाहता था। स्कूल जाने को तैयार नहीं था।‌ बार बार यही
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 13
(13) योगेश उर्मिला का हाथ थामे बैठे थे। बड़े प्यार से उनके सर पर हाथ फेर रहे थे। रह रह कर उनकी आँखें भरी जा रही थीं। पंद्रह मिनट हो गए थे। पर उर्मिला ने योगेश को देखकर कोई ...Read Moreनहीं दी थी। वह बस खोई खोई सी इधर उधर देख रही थीं। योगेश ने उनसे कहा,"उर्मिला क्या मुझे नहीं पहचान रही हो ?"उर्मिला ने उनकी तरफ देखा। उसके बाद बोलीं,"आप तो दो दिन में ही शादी से लौटने वाले थे। चार दिन लगा दिए। विशाल रोज़ आपके बारे में पूछता था। अभी कुछ देर पहले ही खेलने के लिए
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 14
(14) नंदिता अंदर से बहुत हल्का महसूस कर रही थी। शादी के बाद उसने मकरंद पर कभी जाहिर नहीं होने दिया था पर अपने मम्मी पापा की नाराज़गी से वह बहुत आहत थी। आज कुछ ही घंटों में सब ...Read Moreगया था। ऐसा लग रहा था कि जैसे सबकुछ किसी परी कथा का हिस्सा हो। किसी देवदूत ने अचानक जादू कर दिया हो और सबकुछ ठीक हो गया हो। उसका देवदूत मकरंद ही था। उसने ही नंदिता को अपने पापा को फोन करने के लिए प्रेरित किया था। मकरंद उसके बगल में लेटा था। नंदिता ने उसे अपनी बाहों में
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 15
(15)समीर स्कूल जाने के लिए तैयार होकर अपने कमरे से बाहर आया। वह बहुत नर्वस था। अमृता ने उसे सीने से लगाकर कहा,"बेटा डरने की ज़रूरत नहीं है। मैंने कहा है ना कि मैं तुम्हारे साथ हूँ। कुछ भी ...Read Moreउसका सामना करना। डरना नहीं। अगर कोई कुछ गलत करने की कोशिश करे तो उसकी शिकायत करना।"अमृता ने उसका टिफिन लाकर दिया। स्कूल बस आने का वक्त हो गया था। वह उसे खुद बस में बैठाने के लिए नीचे गई। समीर को बस में बैठाकर वह लौट रही थी तो उसकी मुलाकात नंदिता से हुई। नंदिता उसे देखकर उसकी तरफ
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 16
(16)डॉ. नगमा सिद्दीकी को दिखाने के बाद मकरंद नताशा को उसके मम्मी पापा से मिलाने ले गया था।‌ दोनों अपनी बेटी और दामाद को देखकर बहुत खुश थे। खासकर नंदिता के पापा। अब उनकी तबीयत पहले से बहुत अच्छी ...Read Moreवह खुलकर हंस रहे थे और बातें कर रहे थे। नताशा भी अपने मम्मी पापा से बातें करते हुए खो गई थी। किसी को ध्यान ही नहीं था कि मकरंद कमरे में एक तरफ चुपचाप बैठा है। उन तीनों को बातें करते हुए देखकर मकरंद‌ सोच रहा था कि उसे जीवन में कभी इस तरह के पल बिताने को नहीं
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 17
(17) कुछ ही दिनों में इम्तिहान शुरू होने वाले थे। समीर का बहुत सा कोर्स छूट गया था। जिसका पूरा हो पाना मुश्किल लग रहा था। क्लास में टीचर्स बचा हुआ कोर्स पूरा कराने में लगे हुए थे। इसलिए ...Read Moreहो चुके कोर्स पर ध्यान नहीं दे रहे थे। समीर ने समस्या अमृता को बताई तो उसने कहा कि वह प्रिंसिपल से जाकर बात करेगी। ऑफिस जाते हुए वह प्रिंसिपल से मिलने समीर के स्कूल गई थी। उसने समस्या प्रिंसिपल के सामने रखते हुए कहा,"सर समीर बड़े मुश्किल दौर से गुज़रा है। उसका पढ़ाई में भी बहुत नुकसान हो गया
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 18
(18)मकरंद एकबार फिर कंस्ट्रक्शन साइट पर गया था। वहाँ उसने पता करने की कोशिश की थी कि उसकी बिल्डिंग का काम कब आगे बढ़ेगा। पर इस बार भी वही घिसा पिटा जवाब मिला था। बातचीत चल रही है पर ...Read Moreनतीजा नहीं निकल पा रहा है। वहीं उसकी मुलाकात अपने जैसे ही एक भुग्तभोगी पांडे जी से हो गई। उन्होंने रिटायरमेंट के बाद इस प्रोजेक्ट में फ्लैट खरीदने का मन बनाया था। पर उनका पैसा फंस गया था। फ्लैट मिलने की कोई उम्मीद भी नहीं दिख रही थी। पांडे जी ने बहुत दुखी स्वर में कहा,"पत्नी को जीवन भर किराए
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 19
(19) कुछ देर पहले ही समीर की ऑनलाइन ट्यूशन क्लास खत्म हुई थी। इस ट्यूशन से उसे फायदा हुआ था। आज क्लास में वह मैथ्स के सवाल हल कर पा रहा था। इससे उसका आत्मविश्वास भी बढ़ा था। वह ...Read Moreसब्जेक्ट्स में भी मेहनत करने लगा था। लेकिन इतना होने के बावजूद भी वह जानता था कि पढ़ाई में जो नुकसान उसका हुआ था उसकी भरपाई जल्दी नहीं हो पाएगी। उसने अमृता से कह दिया था कि हो सकता है कि इस बार वह अच्छे नंबर ना ला पाए। पढ़ाई खत्म करके वह आँखें बंद करके लेट गया। वह अपनी
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 20
(20) उस दिन नंदिता ने मकरंद से कहा था कि हिसाब लिखना गलत नहीं है लेकिन अपनी गर्भवती पत्नी पर किए गए खर्च का हिसाब लिखना कोई अच्छी बात नहीं है। उस दिन के बाद से ही मकरंद इस ...Read Moreमें सोच रहा था।हर खर्च का हिसाब लिखना उसकी आदत बन गई थी। यह आदत उसे मौसी की वजह से लगी थी। जबसे उनके मन में डर बैठा था कि कहीं मौसा जी उसे अपने बेटे की तरह ना अपना लें वह उसे हर बात के लिए टोंकने लगी थीं। उसके पास नया पेन भी देखती थीं तो कहाँ से
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 21
(21)फाइनल एग्ज़ाम्स में अब बस एक हफ्ता ही बचा था। समीर पूरी लगन के साथ एग्ज़ाम की तैयारी कर रहा था। वह चाहता था कि ना सिर्फ वह पास हो बल्कि अच्छा रिज़ल्ट लाए। उस दिन मिसेज़ सेन ने ...Read Moreतरह सबके सामने उसकी तारीफ की थी उससे क्लास के लड़कों में उसके लिए कुछ बदलाव आया था। पहले क्लासमेट्स उसे देखकर निगाहें फेर लेते थे। अब अगर उससे नज़र मिलती थी तो मुस्कुरा देते थे। यह छोटा सा बदलाव था। लेकिन इसने समीर को बहुत हिम्मत दी थी। वह समझ गया था कि लोगों की तारीफ पाने के लिए
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 22
(22)मकरंद बेडरूम में गया तो नंदिता अपने हाथ से अपनी आँखों को ढके हुए लेटी थी। मकरंद ने उससे कहा,"उठो नंदिता। मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।"नंदिता उठकर बैठ गई। उसकी आँखें नम थीं। मकरंद उसके पास बैठ गया। ...Read Moreअपने हाथ से उसके आंसू पोंछे। उसके बाद बोला,"तुमने कहा कि मैं नहीं समझूँगा। तुम्हारे ऐसा कहने की क्या वजह है।"नंदिता ने कह तो दिया था पर उसके बाद ही उसे अपनी गलती का एहसास हो गया था। इसलिए वह चुपचाप उठकर बेडरूम में आ गई थी। उसने कहा,"सॉरी मकरंद.....मेरे मुंह से निकल गया।""नंदिता कोई भी बात बस ऐसे ही
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 23
(23)समीर के फाइनल एग्ज़ाम्स ठीक गए थे। इस साल उसकी पढ़ाई में जो व्यवधान आया था उसके बाद उसे संतोष था कि वह अच्छा कर पाया। उसने तय किया था कि अब वह खूब मन लगाकर पढ़ेगा। वह समझ ...Read Moreथा कि अगर उसे आगे चलकर अपने हिसाब से रहना है तो उसे पहले लोगों के बीच अपनी एक जगह बनानी होगी। इसका एक ही रास्ता उसके पास था। पढ़ लिखकर वह अपने पैरों पर खड़ा हो। इन दिनों स्कूल बंद था। समीर अपना वक्त इंटरनेट पर बिताता था। वह ट्रांसजेंडर लोगों से संबंधित जितनी भी जानकारी उपलब्ध थी उसे
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 24
(24)मकरंद और नंदिता अपने फ्लैट में लौट आए थे पर यह तय हो गया था कि दोनों अब नंदिता के मम्मी पापा के साथ ही रहेंगे। मकरंद ने अपने मकान मालिक को बता दिया था कि इस महीने के ...Read Moreमें वह फ्लैट खाली कर देगा। दोनों मिलकर थोड़ा थोड़ा सामान नंदिता के मम्मी पापा के घर पहुँचाने भी लगे थे। नंदिता कुछ कपड़े दो बैग में भरकर अपनी मम्मी के घर रखने जा रही थी। साथ में मकरंद भी था। जब दोनों फ्लैट का दरवाज़ा बंद कर रहे थे तब अमृता भी अपने फ्लैट से बाहर निकल रही थी।
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 25
(25)अमृता के साथ जो बहस हुई थी उसके बाद समीर समझ गया था कि उसके लिए राह बहुत अधिक कठिन होने वाली है। अपनी मम्मी का रुख जानने के बाद समीर को बहुत धक्का लगा था। जो लड़ाई वह ...Read Moreचाहता था उसमें उसे अपनी मम्मी के साथ की बहुत अधिक आवश्यकता थी। लेकिन अमृता ने तो उससे अपनी लड़ाई छोड़कर समझौता कर लेने को कहा था। वह ऐसा करना नहीं चाहता था।समीर बहुत अधिक निराश हो गया था। उसकी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था। किसी भी चीज़ में उसका मन नहीं लगता था। उसके मन में
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 26
(26)अमृता के मन में डर आ गया था इसलिए वह काम में मन नहीं लगा पा रही थी। उसका मन कर रहा था कि एकबार समीर से बात कर ले। जिससे उसके मन को तसल्ली हो जाए। लेकिन कुछ ...Read Moreपहले ही उसे देर से आने के लिए डांट पड़ी थी। अब अगर वह काम के बीच में फोन करती तो सबकी निगाह‌ में आ जाती। अजीब स्थिति थी। ना वह काम में मन लगा पा रही थी और ना ही फोन कर पा रही थी। कुछ देर तक वह काम में मन लगाने की कोशिश करती रही। पर मन
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 27
(27)नंदिता के पापा मुस्कुरा रहे थे। नंदिता को समझ नहीं आया कि बात क्या है। उसने कहा,"क्या बात है पापा ?"उसके पापा ने कहा,"देखो कौन आया है ?"नंदिता ने आगे बढ़कर देखा। उसके पापा के पीछे दो सीढ़ियां नीचे ...Read Moreमौसी और मौसा खड़े थे। नंदिता अपनी मौसी के गले लग गई। उन्हें अंदर लाकर लॉबी में बैठाया। उसके बाद मकरंद को बुलाकर लाई। मकरंद ने उसके मौसा मौसी के पैर छुए। नंदिता के मौसा मकरंद से उसकी नौकरी के बारे में बातें करने लगे। उसकी मौसी बड़े ध्यान से इधर उधर देख रही थींं। नंदिता के पापा ने कहा,"चलो
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 28
(28)समीर अमृता को लेकर उस होटल में पहुँचा था जहाँ शोभा मंडल ठहरी हुई थीं। शोभा ने उसे ईमेल के ज़रिए होटल का नाम और अपना रूम नंबर बता दिया था। साथ में उसे अपना मोबाइल नंबर भी दिया ...Read Moreयहाँ आने से पहले समीर ने फोन पर बात कर ली थी। शोभा ने उसे आने के लिए कहा था।‌ समीर अमृता के साथ होटल की लॉबी में था। वह लिफ्ट की तरफ बढ़ रहा था। उसके मन में शोभा के साथ मुलाकात को लेकर एक हलचल सी मची थी। लिफ्ट के अंदर पहुँच कर उसने फ्लोर का बटन दबाया।
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 29
(29)अमृता को शोभा की बातें समझ आ‌ रही थीं। वह भी श्याम के शोभा बनने की कहानी को जानना चाहती थी।‌ उसने कहा,"आपने जो कुछ कहा मैं उसे समझने की कोशिश कर रही थी। ऐसा नहीं है कि मैं ...Read Moreकी तकलीफ को बिल्कुल नहीं समझती हूँ। लेकिन समाज के व्यवहार के बारे में सोच कर डर जाती हूँ। मुझे लगता है कि समाज क्या समीर के उस रूप को स्वीकार कर पाएगा।"शोभा ने कहा,"मैं आपकी चिंता को समझती हूँ। एक माँ होने के नाते आपकी चिंता जायज़ भी है। अगर आप समीर को समझती हैं तो उसे हौसला दीजिए।
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 30
(30)मकरंद को ऑफिस में कुछ देर हो गई थी। आज नंदिता को डॉ. नगमा सिद्दीकी के पास ले जाना था। उसने नंदिता को फोन किया कि वह तैयार होकर बैठे। वह बस आ रहा है। नंदिता ने उससे कहा ...Read Moreउसे परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। वह अपने पापा के साथ चली जाएगी। मकरंद ने उसे समझाया कि वह ऐसा ना करे। उसे डॉक्टर के पास ले जाना उसकी ज़िम्मेदारी है। वह बस निकल रहा है। कुछ ही देर में पहुँच जाएगा। लेकिन जब वह घर पहुँचा तो नंदिता की मम्मी ने बताया कि वह अपने पापा के साथ
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 31
(31)नंदिता को गुस्सा आ रहा था। उसे लग रहा था कि सिर्फ मकरंद की वजह से उसे इतना सुनना पड़ रहा है। अगर उसे बात बुरी लगी थी तो उसे ज़ाहिर करने का यह क्या तरीका हुआ। उसे रुकना ...Read Moreथा। जब वह ऊपर जाती तो बात करनी चाहिए थी। अब वह क्या करे ? कहाँ ढूंढ़े उसे ? फोन भी लेकर नहीं गया है। पता नहीं किस हाल में होगा ? उसने सोचा कि जब मकरंद लौटकर आएगा तो उससे पूछेगी कि उसने ऐसा क्यों किया।नंदिता के पापा ने कहा,"अब तो बहुत देर हो गई है ? बताओ क्या
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 32
(32)मकरंद कुछ वक्त पहले ही ऑफिस से लौटकर आया था। अब उसकी चोट ठीक हो गई थी पर जो कुछ घटा था उससे उसका दिल बहुत दुखा हुआ था। नंदिता अब उससे और अधिक दूर हो गई थी। वह ...Read Moreतरह से‌ अपने मम्मी पापा के कहने पर चल रही थी। किसी भी चीज़ में उसकी सलाह लेना ज़रूरी नहीं समझती थी। इसका नतीजा यह हुआ था कि मकरंद जो पहले ही कम बोलता था, अब जब तक बहुत ज़रूरत ना हो कुछ बोलता ही नहीं था।मेन डोर पर दस्तक हुई। मकरंद ने दरवाज़ा खोला। खाना बनाने के लिए कुक
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 33
(33)सुदर्शन को संस्था से फोन मिला कि उर्मिला फिसल कर गिर गई हैं। उनके सर पर चोट लगी है। उन्हें संस्था के ही अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वह फौरन उर्मिला को देखने अस्पताल पहुँचा। वहाँ जाकर पता ...Read Moreकि उर्मिला गंभीर रूप से घायल हैं। उनका पैर फिसल गया था। गिरते हुए उनका सर बिस्तर के कोने से टकरा गया था। डॉक्टरों का कहना था कि उनकी चोट बहुत गहरी है और बचने की उम्मीद बहुत कम है। ऐसे में उनके पति योगेश को सूचित किया जाना बहुत ज़रूरी है।योगेश ने कल ही सुदर्शन से उर्मिला के साथ
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 34
(34)खाना बनाने के बाद नंदिता ने एक टिफिन में भरकर कोफ्ते कुक के हाथ नीचे भिजवा दिए थे। वह अब बेसब्री से मकरंद के आने की राह देख रही थी। आज मकरंद को लौटने में रोज़ से बहुत अधिक ...Read Moreहो गई थी।‌‌ नंदिता ने उसे फोन किया था तो उसने मैसेज करके कह दिया था कि ज़रूरी काम है इसलिए आने में देर हो जाएगी। नंदिता बालकनी में खड़ी थी। उसकी निगाहें गेट पर थीं। उसे मकरंद की बाइक की लाइट दिखाई पड़ी। मकरंद ने बाइक गेट पर रोकी। गेट खोलकर बाइक अंदर की। बाइक खड़ी करके गेट बंद
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 35
(35)पढ़ते हुए समीर ने घड़ी देखी। अमृता के ऑफिस से आने का समय हो रहा था। उसने किताबें बंद कर दीं और किचन में जाकर अपनी मम्मी के लिए चाय बनाने लगा। उसने अपना चाय बनाने का नियम फिर ...Read Moreशुरू कर दिया था। अमृता के आने पर वह चाय के साथ तैयार रहता था। फ्रेश होने के बाद अमृता उसके साथ बैठकर चाय पीती थी और दिनभर की बातें करती थी। शोभा मंडल से मुलाकात के बाद बहुत कुछ बदल गया था। समीर में एक आत्मविश्वास पैदा हुआ था। अमृता के मन में अब कोई दुविधा नहीं रह गई
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 36
(36)नंदिता कुछ समय पहले ही योगेश के शांति हवन से लौटकर आई थी‌। वह उदास थी। उसे योगेश और उर्मिला से एक लगाव था। पहले अक्सर शाम को जब योगेश उर्मिला के साथ नीचे पार्क में आते थे तो ...Read Moreमुलाकात उनसे होती थी। तब उनके बीच बातचीत भी होती थी। इससे उनके बीच एक रिश्ता बन गया था। लेकिन कुछ ही समय के फासले में उर्मिला और योगेश दोनों दुनिया छोड़कर चले गए थे। इस बात से नंदिता दुखी थी। उसने मकरंद से कहा,"योगेश अंकल बहुत अच्छे इंसान थे। जाते हुए अपना फ्लैट सुदर्शन को दे गए।"मकरंद ने कहा,"उनका
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 37
(37)नंदिता का नौवां महीना शुरू हो गया था। डॉ. नगमा सिद्दीकी ने उसकी डिलीवरी की डेट दे दी थी। उनका कहना था कि सब सही है। बच्चे की पैदाइश में कोई दिक्कत नहीं आएगी। नंदिता की मम्मी अब उसका ...Read Moreपल खयाल रखती थीं। मकरंद ने सारी व्यवस्था कर ली थी। सबको बच्चे के आने का इंतज़ार था। सबसे अधिक उत्साहित पापा थे। वह अक्सर आने वाले बच्चे के बारे में तरह तरह की बातें करते थे। नेट से उन्होंने लड़की और लड़के के कई अच्छे नाम चुनकर एक डायरी में लिख लिए थे। उनका कहना था कि बच्चे के
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 38
(38)फ्लैट की रजिस्ट्री हो चुकी थी। पज़ेशन मिल चुका था।‌ मकरंद बहुत खुश था। वह मम्मी पापा को फ्लैट दिखाने के लिए लाया था।‌ वह उन्हें बड़े उत्साह के साथ फ्लैट दिखा रहा था।‌ बता रहा था कि वह ...Read Moreमें क्या क्या काम करवाना चाहता है। मम्मी पापा भी उसे सलाह दे रहे थे कि उसे क्या करवाना चाहिए। फ्लैट दिखाने के बाद मकरंद बालकनी में खड़ा आसपास का नज़ारा ले रहा था। वह बहुत भावुक था। इस समय उसे लग रहा था कि जैसे उसने जीवन की बहुत बड़ी उपलब्धि पा ली हो। उसका बचपन अपने मौसा मौसी
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मेरे घर आना ज़िंदगी - 39 (अंतिम भाग)
(39) अन्नप्राशन की पार्टी बहुत अच्छी तरह से निपट गई थी। सुबह पूजा के बाद तय हुआ था कि आज रात सारा परिवार फ्लैट में ही रहेगा। इसलिए पार्टी के वेन्यू से सब लोग फ्लैट में ही आ गए ...Read Moreफर्नीचर नहीं था। इसलिए फर्श पर गद्दे और चादर बिछाकर सोने का इंतज़ाम किया गया था। जब सब लोग फ्लैट में पहुँचे तो रात के बारह बज रहे थे। काशवी सो रही थी। सब लोग बातें कर रहे थे। पापा बहुत खुश थे। उन्होंने कहा,"तुमने पार्टी का इंतज़ाम बहुत अच्छा किया था मकरंद। सब लोग तारीफ कर रहे थे।"मम्मी ने
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