Pyar ka Daag - 3 by SWARNIM स्वर्णिम in Hindi Classic Stories PDF

प्यार का दाग - 3

by SWARNIM स्वर्णिम in Hindi Classic Stories

मेरे मन की उत्साह उसके हाथ में लिए हुए गुलाब की सुगन्ध से और बढ़ गया था। मैं अपने पूरे दिल को खुशी के पंखों से उड़ता हुआ महसूस करने लगी। "क्या तुम यहाँ अकेले बैठे हो?" "आप मेरे ...Read More