Aansu Pashyataap ke - 8 by Deepak Singh in Hindi Moral Stories PDF

आंसु पश्चाताप के - भाग 8

by Deepak Singh in Hindi Moral Stories

आंसु पश्चाताप के, भाग 8नहीं पापा मैं उनकी परछाई तक नहीं देखूगी , ज्योती मेरे लिये नहीं मेरी माँ के लिये तरस खाओ , जब तुम मेरे लिए कुछ नहीं हो तो तुम्हारी माँ क्या खाक है , ठीक ...Read More