इस कहानी में एक डॉक्टर की हत्या का वर्णन किया गया है। वह एक रात अपनी क्लिनिक से घर लौटते समय गोली मारे गए और उनकी लाश सड़क पर रात भर पड़ी रही। हत्या उस क्षेत्र में हुई, जो पुलिस थाने के अधिकार क्षेत्र से बाहर था, जिससे पुलिस मामले में कुछ नहीं कह पाई। कहानी में एक दुकानदार का भी इंटरव्यू है, जो हत्या के बारे में जानकारी देने से कतराता है। वह कहता है कि उसकी दुकान के सामने कुछ भी हो, इससे उसे कोई लेना-देना नहीं है। वह रोज की हिंसा और सामाजिक मुद्दों का जिक्र करते हुए यह बताता है कि समाज में और भी बहुत सी समस्याएं हैं, जिन्हें नजरअंदाज किया जाता है। कहानी में यह भी दर्शाया गया है कि यह हत्या एक ऐसे मोहल्ले में हुई, जो शहर के बाहरी हिस्से में स्थित है और वहां पहुंचना आसान नहीं है। अंत में, डॉक्टर का मकान भी उल्लेखित है, जो अब ताले में बंद है। इस तरह, कहानी सामाजिक मुद्दों और हिंसा के संदर्भ में गहरी सोच को उजागर करती है। Khoon by Vinod Viplav in Hindi Short Stories 4 2.1k Downloads 6.3k Views Writen by Vinod Viplav Category Short Stories Read Full Story Download on Mobile Description विनोद विप्लव की कलम से लिखी गई कहानी ‘‘खून’’ में साम्प्रदायिक माहौल पैदा करने तथा समाज में हिन्दू-मुस्लिम का भेद कायम करने के लिए होने वाली साजिश के पीछे के आर्थिक पहलुओं का खुलासा किया गया है। कई बार कोई हत्या सामान्य प्रतीत होती है लेकिन तह तक जाने पर पता चलता है कि उस हत्या का साम्प्रदायिक आधार है लेकिन उस साम्प्रदायिकता के लिये कोई ना कोई आर्थिक कारण होता है। विनोद विप्लव की यह कहानी आज से ढाई दशक पूर्व लिखी गयी थी, लेकिन आज भी यह सामयिक जान पड़ती है। यह कहानी पहली बार भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन विभाग से प्रकाशित पत्रिका ‘‘आजकल’’ के युवा लेखक विशेषांक में प्रकाशित हुई थी। विनोद विप्लव की प्रमुख कहानियों में ‘‘अवरोध’’, ’’विभव दा की दाढ़ी’’, ’’रक्तबीज’’, ‘‘चक्रव्यूह’’ आदि प्रमुख है। विनोद विप्लव ने करीब ढाई दशक से अधिक समय से लेखन एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। स्कूल के दिनों से ही कहानी लेखन में विशेष दिचलस्पी रही। देश की प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं में उनकी कई कहानियां प्रकाशित हो चुकी हैं। ‘‘अवरोध’’ नामक उनकी कहानी को दिल्ली सरकार की हिन्दी अकादमी की ओर से प्रथम नवोदित लेखन पुरस्कार मिल चुका है। इसके अलावा हिन्दी अकादमी के वित्तीय सहयोग से उनका पहला कहानी संग्रह ‘‘विभव दा का अंगूठा’’ प्रकाश्तिा हुआ। पिछले कुछ वर्षों के दौरान उन्होंने मीडिया और राजनीति पर कई व्यंग्य भी लिखे जो नवभारत टाइम्स, हिन्दुस्तान और जनसत्ता जैसे अखबारों तथा मीडिया आधारित वेबसाइटों में प्रकाशित हुए हैं। मीडिया को लेकर उनके व्यंग्य काफी पसंद किये गये। इन व्यंग्यों का संग्रह ‘‘ढिबरी चैनल‘‘ तैयार किया गया है जो शीघ्र प्रकाषित होने वाला है। उन्होंने महान गायक मोहम्मद रफी की पहल जीवनी (मेरी आवाज सुनो) के अलावा अभिनय सम्राट दिलीप कुमार तथा हरफनमौला अभिनेता-निर्देशक राजकपूर एवं सदाबहार अभिनेता देव आनंद पर पुस्तकें लिखी है। इसके अलावा सिनेमा जगत की 140 हस्तियों के बारे में ’’हिन्दी सिनेमा के 150 सितारे’’ नामक पुस्तक लिखी है। More Likes This नेताजी की गुप्त फाइलें - भाग 1 by Shailesh verma पायल की खामोशी by Rishabh Sharma सगाई की अंगूठी by S Sinha क्या यही है पहला प्यार? भाग -2 by anmol sushil काली किताब - भाग 1 by Shailesh verma Silent Desires - 1 by Vishal Saini IIT Roorkee (अजब प्रेम की गज़ब कहानी) - 2 by Akshay Tiwari More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Hindi Crime Stories