Aur Janta Har Jayegi by vivekanand rai in Hindi Magazine PDF

और जनता हार जायेगी

by vivekanand rai in Hindi Magazine

वे दिन बीत गए जब संसदीय जनतंत्र और कल्या्णकारी राज्य् एक-दूसरे के लिए कार्य करते थे। हालांकि दोनों औद्योगिक पूँजी के ही उत्पारद हैं। अब संसदीय जनतंत्र पूँजीवादी जनतंत्र में तब्दीमल हो चुका है, इसलिए उसकी प्रक्रिया और परिणति ...Read More