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रुपमती और बाजबहादुर की प्रेम कहानी...

रुपमती और बाजबहादुर की प्यार कहानी...

प्यार एक ऐसा ज्जबात है जो इंसान को किसी भी हद तक ले जा सकता है और कुछ भी करवा सकता है.

हम सबने ही कभी न कभी किसी न किसी से प्यार किया ही है, हम प्यार से परीचित है.

प्यार कहानियों की अगर बात हो तो हमारे जहन में जो नाम आते है वो हीर रांझा, सोनी महिबाल, रोमियों और जूलियट के आते है.

हम अगर अपने इतिहास की तरफ अगर एक नजर डाल कर देखे तो ऐसी कई कहानियां है जिनहें लोग जानते नहीं लेकिन उन्होनें प्यार की मीसाल कायम करी.

प्यार उनका ऐसा था जो मरते दम तक नहीं झुका, नहीं समाज के किसी बंधन से बधा न घर्म को देख कर डरा न दुनियादारी की सिमाओ में सिमटा.

ऐसी है प्यार कहानी है बाज बहीदुर और रूपमती की, बाज एक पठान और रूपमती राजपूत प्यार हुआ विवाह हुआ और फिर उनके प्यार को नजर लगी.

आए जानते है आज इस प्यार कहानी को जो इतिहास के पन्नों में अमर हो गई है.

पेहली मुलाकात जब इश्क का आगाज हुआ....

बाज बहादुर रेवा जो आज नरमदा के नाम से जानी जाती है, नदी के किनार शिकार करने गए हुए थे.

एक हिरण का पीछा करते करते उन्होनें किसी के गाने की आवाज सुनी, आवाज सुन कर वो मोहित हो गए और आवाज का पीछा करने लगे.

आवाज के पीछे जब वो जंगल में पहुंचे तो जो इस्त्री गाना गा रही थी. बाज न जब उसे देखा तो बस देखता रेह गया, होश सुध बुध सब कुछ भूल गया.

वो इस्त्री घर्मपुर राजघराने की राजकुमारी रुपमती थी. बाजबहुद माडु का राजा था.

बाज ने रुपमती से माडु चलने का आग्रह किया, चलने का मतलब था. बाज से विवाह और माडु की रानी बनना.

बाज और रूपमति के बीच में प्यार होने औऱ दोनों का दुसरे के लिए आकर्षित होने के पिछे की वजह यह नहीं थी कि रूपमति बहुत सुंदर थी और बाज मांडु के राजा असल वजह दोनों का संगीत के लिए प्यार और दोनों का कलाकार होना था.

बाज ने रुपमती को देखने से पहले उसकी आवाज सुनी थी. जिस आवाज से ही उन्हें प्यार हो गया था.

प्यार हुआ तो बाजबहादुर ने रुपमती तो शादी का प्रस्ताव दिया, बाज ने कहां की मैं तुम्हें माडू का रानी बनाना चाहता हूँ मेरे साथा चलो.

बाज के इस प्रस्ताव को रूपमति ने सुनकर अपनी एक शर्त रखी और कहां की जिस दिन नरमदा यानि रेवा नदी माडू आ जाएगी उस दिन रुपमती भी माडु आ जाएगी.

रुपमती की शर्त जिसने मोड़ा नदी का रुख....

रुपमती ने बाज के आगे जो शर्त रखी थी, उसके पीछे दो कहानियां सुनाई जाती है. सबसे पहली तो यह की रुपमती को उनके पिता ने नरमदा नदी से वरदान में मांगा था.

नरमदा नदी रुप के लिए माँ समान थी और वो रोज सुबह पहले नरमदा नदी की पुजा अरचना करती थी फिर अन ग्रहण करती थी.

अगर वो नरमदा से दूर चली जाती कही ऐसी जगह जहां नरमदी नहीं है तो वो अन ग्रहण नहीं कर पाती और मर जाती, इसलिए उन्होनें बाज के आगे यह शर्त रखी थी.

दूसरी कहानी यह की रूपमति देखना चाहती थी की बाज उनसे कितनी मोहब्बत करते है वो अपना घक छोड़ कर बाज के लिए जाती इस से पहले वो बाज की मोहब्बत को देखा चाहती थी.

बाज ने जैसे ही रानी की यह शर्त सुनी वैसे ही बाज ने कहा की अब चाहे बाज को नदी का रुख मोड़ना पड़ जाए लेकिन रुपमती तो मांडु आकर ही रहेंगी.

बस दरबार लगा विचार विमर्श होने लगे तो यह पता चला की राजा के मेहल से नरमदा नदी कई कीलोमीटर की दूरी पर है.

तब यह निर्णय लिया गया की रुपमती नरमदा नदी के दर्श करना चाहती है रोज सुबह तो क्यों न उनके लिए एक मिनार बनवा दिजाए जिस से महल से ही नरमदा नदी के दर्श हो जाए.

बस काम शुरू हुआ और एक मिनार बन कर तैयार हो गया, जिस से भोर के समय नरमदा के दर्शन हो जाते थे. नरमदा नदी उसा मचान से दिख जाती थी लेकिन रात को यह संभव नहीं था क्योकि वहां पर अंधेरा बहुत था.

तो रात के वक्त उस मिनार पर एक मशाल जला कर रख दि जाती थी जिसे वो नरमदा का शाक्षी मानकर भोजन कर लेती थी.

जब अकबर ने किया प्यार कहानी में दखल....

जिस वक्त बाज रुपमती के लिए मिनार बनवाने में व्यस्त थे उसी वक्त अकबर को भी माडूं की चका चौंध आकर्षत करके अपनी तरफ ले आई थी.

बाज को उस वक्त इसकी खबर दी गई थी लेकिन उन्होनें उसे अंसूना कर दिया था.

अब जब मिनार बनकर तैयार थी, रूपमति मेहल में मांडू आ चूकी थी. तब अकबर की सेना भी मांडू के बहुत करीब आ गई थी.

अकबर की सेना का नेत्र्त्रव आदम खां कर रहां था.

आदम खा की सेना ने मांडू को घेर लिया था.

अकबर के हमले की वजह...

अकबर ने अपनी सेना को तो मांडू भेज दिया था, लेकिन इसके पीछे भी दो कहानियां थी.

सबसे पहली तो यहीं की अकबर की नजर हमेंशा से ही मांडू पर रही थी और वो मांडू पर कब्जा करना चाहता था. इसलिए उसने अपनी सेना को मांडू भेजा था जिसका सेनापति आजम खां था.

दूसरी खानी रुपमती के आस पास रहती है और उसके अनुसार अकबर को खबर हो गई थी की रुपमती जैसी एक सुंदरी मांडु में है जो बहुत सुंदर भी है और गाती भी बहुत अच्छा है.

जिसे सुनने के बाद उन्होंने बाज बहादुर के पास एक प्रस्ताव भेजा था की रूपमति को लेकर दिल्ली आ जाओ और हमरे दरबार की शोभा बढाओं.

जिस प्रस्ताव को बाज बहादुर ने नकरा दिया था और जिस से नाराज हो कर अकबर ने अपनी सेना को मांडू पर कब्जे के लिए भेज दिया था.

वजह जो भी रही हो मगर सच यह था की अकबर की सेना दिल्ली से मांडू के लिए रवाना हो चुकी थी.

रुपमती ने जहर खा कर करदी प्यार कहानी अमर...

मंडू के किले को आदम खा ने घेर लिया था, आदम खां अकबर के आदेश पर मांडू आया था.

माडू की सेना इतनी शक्तिशाली नहीं थी की वो अकबर की सेना से लड़ सकती नतिजा सबको पता था.

बाजबहादुर की सेना आदम खा की सेना से हार गई, हार दिखते ही बाज भाग निकला और रानी के पास जब जंग जीतने के बाद आदम खां पहुंचा तो उसे पता चला की रानी रुपमती ने जहर खा कर जान दे दी थी.

रानी के मरते ही ये प्यार कहानी अमर हो गई. अकबर का ये मसूबा पूरा नहीं हो पाया. आदम खां को खाली हाथ मांडू से लौटना पड़ा.

उसके बाद बाज को किसी ने नहीं देखा, लेकिन बाज औऱ रूप की प्यार कहानी अमर हो गई.

माडू के लोक गीतों में आज भी इनके किस्से सुने को मिल जाते है.

आज जो लोग भी मांडू घूमने जाते है, रुपमती और बाज की प्यार कहानी को मेहसूस करते है आप भी करिएगा मांडू जाकर....