Dhara - 19 books and stories free download online pdf in Hindi

धारा - 19

देव, "वो व्यक्ति को ओर नही बल्कि....मन...."


"मम्मीईईईईईई...!!" धारा अचानक से चिल्लाई।

देव घबरा गया ! "क्या हुआ धारा..? तुम..तुम ठीक तो हो !!"

धारा की धड़कने बेतहाशा बढ़ गयी थी। वो इतनी तेजी से सांसे ले रही थी कि देव की घबराहट भी बढ़ गयी। देव ने धारा को देखा, जिसकी आंखों में डर साफ नजर आ रहा था।

देव, " धारा... क्या हुआ? कुछ बोलो तो !!"

धारा ने कुछ कहा नही, डरते हुए सिर्फ पानी मे अपने पैरों की ओर इशारा कर दिया ! देव ने पानी मे देखा ।
एक छोटा सा पानी वाला सांप धारा के पैर से लिपट गया था ! एक पल को तो देव भी घबरा गया। डर के मारे वो भी हकलाते हुए बोला, " ड.. डरो मत ! पानी वाला है !काटेगा नही !! कटेगा भी तो भी ज़हर नही होता इनके दांतो में।"

"दुनिया का ऐसा कौन सा सांप है जिसके दांतो में ज़हर नही होता..??" धारा दांत पीसते हुए बोली ! "और सिर्फ सांप ही क्यों..?? कोई भी जीव हो, थोड़ा बहुत ज़हर सबके दांतो में होता है !!"


"तुम लड़कियां अपनी जुबान बन्द नही रख सकती क्या..? पैरों से सांप लिपटा पड़ा है फिर भी बकबक-बकबक लगी हुई हो...!!" देव धारा को डांटते हुए बोला।


धारा ने जैसे ही कुछ बोलना चाहा, देव ने होंठ पर उंगली रखकर शांत रहने का इशारा किया और बोला , " चुप रहो और बिल्कुल स्थिर रहना ! बिल्कुल हरकत मत करना ! खुद ही चला।जायेगा वो !!"

"और नही गया तो...??" धारा ने डरते हुए पूछा।

"पहली बार तुम्हे किसी से डरते देख रहा हूँ !!" देव हंसा।

धारा ने इतने गुस्से से उसे घूर के देखा कि देव ने मुंह घुमा लिया।

पांच मिनट ऐसे ही चुपचाप बैठने के बाद सच मे वो सांप अपने आप ही चला गया। देव ने राहत की सांस ली ! उसने धारा को देखा, जो अबतक बुत बने बैठी हुई थी !

देव ने धारा के कंधे को पकड़कर हिलाया !! धारा की चेतना लौटी !

"मम्मी.... मुझे तो लगा था कि मैं तो गयी काम से !!" धारा ने सिर का पसीना पोंछते हुए कहा।


"काम से ही जानी वाली हो..... !!" पीछे से आवाज़ आई।

धारा और देव दोनो ने हैरानी से पीछे मुड़कर देखा ! दोनो स्तब्ध रह गए। एक आदमी उनपर गन ताने खड़ा हुआ था ! चेहरा स्कार्फ़ से ढंका हुआ और मुंह पर चश्मा लगाए उस बंदे ने गन को हाथ मे पकड़ा हुआ था और उंगली ट्रिगर पर थी। वो आदमी गन को धारा से देव की ओर करते हुए गुस्से से बोला, " तुम... तुम भी जाने वाले हो जान से भी और काम से भी !! चलो.... हाथ ऊपर करो दोनो !! चलो जल्दी !!"

धारा और देव ने अपने हाथ खड़े कर दिए। धारा हकलाते हुए , "क... कौन , कौन हो तुम? हमने क्या किया?"

"क्या किया..? बड़ी मुश्किल से हमने मामले को सम्भाला था और ये वापस आ गया?? उस दिन तुम्हे गोली मारने के बाद खाई में फेंक कर गलती करदी थी हमने ! हमे लगा जंगली जानवर खा जाएंगे तुम्हारी लाश को ! पर ऊपर वाले ने बचा लिया तुम्हे !! लेकिन आज नही ..... आज तुम्हे कोई नही बचाएगा इंस्पेक्टर देव.... और तुम्हारे साथ ही मरेगी के लड़की ! जिसने तुम्हारी जान बचाई और हमारे रास्ते मे रोड़ा बनने के लिए तुम्हे वापस ले आई..!!!" उस आदमी ने गन लोड की और जैसे ही ट्रिगर दबाने लगा, देव ने उसकी ओर कदम बढ़ाए !
वो आदमी एक कदम पीछे हटकर, " ऐ.... वहीं खड़ा रह ! वर्ना सारी गोलियां इस लड़की के सिर में उतार दूंगा !!"

धारा की बात आते ही देव झट से पीछे हट गया। और धारा के सामने आकर खड़ा हो गया।

बताओ.... पहले किसका काम खत्म करूँ?? तुम्हारा या इस लड़की का...!!"

देव ने खुद की और इशारा किया। उस व्यक्ति ने ट्रिगर दबाया , डर से देव और धारा दोनो ने ही आंखे बंद कर ली। गोली चलने की आवाज़ सुनकर ही धारा कांप गयी और ज़ोर से चीखी.... " देव !!" और देव को कसकर जकड़ते हुए उसकी पीठ से अपना मुंह छिपा लिया।

बहुत देर तक धारा ऐसे ही खड़ी रही ! जब सबकुछ शांत हो गया तो धारा में देव की पीठ से चेहरे हटाते हुए सामने देखा !
जिस आदमी ने उनपर गन तानी हुई थी वो मुंह के बल चित्त पड़ा हुआ था।
यहां तक कि देव भी भौंचक्का से रह गया की अचानक से क्या हुआ?
देव ने आसपास नज़र दौड़ाई ! एक और व्यक्ति फेस कवर किये उनकी ओर आ रहा था। उसके हाथ मे भी गन होती है!
देव बिना समय गँवाये अपनें सामने पड़े व्यक्ति की गन उठा लेता है!!

जैसे ही वो आदमी देब और धारा के करीब आता है, देव उससे कहता है, " वहीं रुको...!! कौन हो तुम...??? इसे क्यों मारा??"

देव सवाल किए जा रहा था और धारा अलग ही दुनिया मे पहुंच गई। वो उस आदमी की बस आंखों को देखे जा रही थी। या शायद उसकी आंखें देखकर खुद को खो चुकी थी। देव गन लोड करते हुए, " बोलो कौन हो तुम...??"

धारा के चेहरे पर एक चमक आ गयी उस व्यक्ति के पास आते ही !! देव फायर करता उसके पहले ही धारा चिल्लाई..., " देव नो !!"
पर देव ट्रिगर दबा चुका था। वो व्यक्ति झटके से अपनी जगह से हट गया !
गन में बुलेट खत्म हो चुकी थी ! देव गन फेंककर जैसे ही हाथापाई के लिए आगे बढ़ा धारा फिर उसे रोका !
"देव नो.....!!" बोलकर धारा ने अपना चेहरा हांथो से ढंक लिया।

धारा ने जब अपने चेहरे से हाथ हटाया तो देखा, देव ज़मीन पर धूल चाट रहा था ! उस इंसान ने देव को उठाकर अपने कन्धे पर टांगा और धारा से बोला, " उस गन को उठाओ !!"
धारा तो जैसे सुध बुध ही गंवा बैठी थी।
.वो व्यक्ति धारा को आवाज़ लगाए जा रहा था ! जब धारा के कानो तक उसकी आवाज़ नही पहुंची तो उसने एक झन्नाटेदार तमाचा लगा दिया धारा को।

धारा गाल पर हाथ रखकर आँसू बहाते हुए , " ध्रुव...!!"

ध्रुव और धारा एक पल के लिए जैसे सब भूल गए। फिर ध्रुव ने सिर हिलाया और वापस उसी गम्भीरता से बोला, " जल्दी से गन उठाओ... इसके पहले की इसका कोई और साथी आ जाये!!"

धारा ने बिना कोई सवाल जवाब के गन उठाई और उसके पीछे चल दी! उस व्यक्ति मतलब ध्रुव ने देव को अपनी गाड़ी में पटका, जो कुछ ही दूरी पर झाड़ियों में छुपा कर खड़ी की हुई थी !! धारा भी देव के बगल।में बैठ गयी ! ध्रुव ने गाड़ी स्टार्ट की और तेज़ स्पीड में आगे बढ़ा दी ! पूरे रास्ते धारा उससें सवाल करती रही मगर ध्रुव ने एक शब्द तक बोलना तो दूर धारा की ओर देखा तक नही।

अचानक सालों बाद ध्रुव को यूं अपने सामने देख धारा को विश्वास ही नही हो रहा था ! वो ध्रुव जो उसका इकलौता दोस्त था ! उसकी जिंदगी का पहला लड़का जिससे उसने दोस्ती की थी !!!

ध्रुव ने गाड़ी में ब्रेक लगाया ! धारा का सिर सीधे सीट से जाकर लगा ! ध्रुव गाड़ी से बाहर आया और कुछ पुलिस वालों ने आकर उसे सैल्युट किया ! ध्रुव ने उनसे कुछ कह।
फिर उन लोगो ने देव को गाड़ी से बाहर निकाला और उसे लेकर जाने लगे।

धारा उनको रोककर, " कहां लेकर जा रहे हो इसे ??"


"मैडम... ध्रुव सर ने निशाना लगाया है इनके सर पर ! पता नही कब तक बेहोंश पड़े रहेंगे?? ट्रीटमेंट के लिए लेकर जा रहे हैं !!"

धारा, " हाँ जाओ..जाओ !लेकर जाओ....!!"

वो लोग देव को अंदर ले गए ! धारा ने बाहर आकर आसपास देखा ! कोई आफिस था ! कुछ पुलिसवाले भी थे साथ मे ! पर धारा की नजरें तो ध्रुव को ढूंढ रही थी! जो उसे दिख ही नही रहा था !
धारा ने एक पुलिसवाले को रोककर पूछा, " सुनिये.... ध्रुव.. ध्रुव कहाँ गया ??"

उस पुलिसवाले ने बड़ी ही अजीब नज़रो से धारा को देखा ! फिर थोड़ी बदतमीज ज़ुबान में कहा, " साहब हैं वो हमारे! नाम तो ऐसे ले रही है जैसे तुम कोई कमिश्नर हो ! तमीज़ से बोल.. ध्रुव सर कहाँ है??"

"ध्रुव सर..!!" धारा ने बडबडाया। बहुत खुशी मिली धारा को ये जानकर की ध्रुव कोई अधिकारी बन गया है।
"हां वही... ध्रुव सर! कहां है वो??" इस बार धारा ने थोड़े रेस्पेक्ट से और खुशी से पूछा।

"अंदर गए हैं, देव सर के पास !!" बेरुखी वाला जवाब सुनकर धारा कुढ़कर वहाँ से चली गयी ।

धारा जब अंदर पहुंची तो सब उसे बड़ी गौर से देख रहे थे जिससे धारा को थोड़ी झिझक होने लगती है ! पर ध्रुव और देव का सोचते ही वो फिर से तेज़ कदमो से अंदर आती है !!

देव पलंग पर लेटा हुआ था ! डॉक्टर उसे कोई आ इंजेक्शन दे रहे थे ! धारा ने कुछ बोलने चाहा मगर ध्रुव ने हाथ का इशारा देते हुए चुप रहने को कहा। मगर जब धारा नही मानी तो ध्रुव ने गुस्से में उसे उंगली दिखाई और उसे बाहर निकल जाने को कहा।
ध्रुव का ये बेरुखा बर्ताव धारा को सहन नही हो रहा था ! धारा थोड़े कड़े शब्दों में बोली, " मेरी बात तो सुनो तुम... बिना अपनी बात कहे मैं कहीं नही जाऊंगी !!"

ध्रुव को गुस्सा आ गया ! उसने धारा का हाथ पकड़ा और खुद ही उसे बाहर निकालने लगा ! तभी देव के शरीर मे हरकत हुई। डॉक्टर बोले, " मिस्टर ध्रुव.... मिस्टर देव।की बॉडी में मूवमेंट हो रही है !!"

ध्रुव धारा का हाथ छोड़ फुर्ती से देव के पास आता है ! देव आंखे खोलने की कोशिश करता है पर खोल नही पाता !! लेकिन उसकी ज़ुबान पर धारा का नाम आता है !!

धारा आकर उसकी हथेली थामकर, " हाँ देव.... मैं यही हूँ तुम्हारे पास ! बिल्कुल ठीक हूँ ! तुम आंखे खोलो !!"
धारा बार बार देव की हथेलियों को सहलाते हुए बोलती जाती है ! जबकि ध्रुव की निगाहें सिर्फ और सिर्फ धारा के हाथ पर होती है जो देव का हाथ थामे बस उसे ही सहलाये जा ही थी !!

ध्रुव को गुस्सा आने लगा था ! गुस्से में मुठ्ठी भींचकर वो डॉक्टर से थोड़े।तीखे लहजे में।बोलता है, " क्या हुआ है मि देव को ?? आंखे क्यों नही खोली इन्होंने अबतक...??"

देव आंखे खोलता है ! धारा को अपने सामने सही स्लामत देख वो झटके से बैठ जाता है और धारा को गले लगाते हुए कहता है, " तुम तुम ठीक हो ना...!!कुछ हुआ तो नही न ! लगी तो नही तुम्हे !!" देव धारा के हाथ और चेहरे पर अपने हाथ फेरते हुए कहता है! उसकी आवाज़।में धारा के लिए चिंता साफ झलक रही थी !! धारा को कुछ हो न गया हो, ये सोचकर उसकी आवाज़ में बैचेनी साफ पता चल रही थी !!!

ध्रुव ने धारा को खींचकर देव से दूर किया और खुद उसके सामने खड़ा हो गया.!! ध्रुव को देखकर देव हैरान रह गया! देव ने उठना चाहा।

ध्रुव, " उहुँ... मत उठो !!"

"सर आप यहां...??" देव के मुंह से ध्रुव के लिए 'सर' शब्द का सम्बोधन सुन धारा आश्चर्य में पड़ गयी।

ध्रुव ने धारा को देखा फिर देव से बोला, " मि देव... आप पिछले डेढ़ साल से गायब हैं ! हमने आपके लापता होने की सूचना जारी करवा दी थी !!"

देव, " सर वो मैं सक्सेना मर्डर केस की तह तक पहुंचने ही वाला था कि किसी को पता लग गया कि मेरे हाथ सबूत आ चुके हैं !! इसलिए उसने मुझपर जानलेवा हमला करवाया था ! जिसमे मेरी याददाश्त चली गयी थी ! धारा ने ही मेरी जान बचाई है !!"

ध्रुव ने फिर से धारा को देखा ! और देव से कहा, " आपको अपनी मेडिकल रिपोर्ट्स , वो सारे सबूत हमे देने होंगे और साथ ही कुछ समय के लिए पुलिस कस्टडी में रहना होगा !!"
ध्रुव ने इतना कहा और बाहर निकल गया !

ध्रुव के जाते ही धारा ने पूछा देव से, " पुलिस कस्टडी में रहना होगा लेकिन क्यों...??"

देव, "खुद को भगौड़ा साबित होने से बचाने के लिए !! मैं किसी के हाथों बिका नही हूँ ये साबित करने के लिए !!"

धारा, " और ये सब तुम करोगे कैसे...??"

देव, " ध्रुव सर यूँ तो बहुत अच्छे, कॉपरेटिव नेचर के हैं ! लेकिन काम को लेकर एकदम सख्त !! और जिस मर्डर केस की जांच हम कर रहे थे, वो सर के लिए बहुत ही अहम था !! कैसे भी करके मुझे खुदको बेक़सूर साबित करना ही होगा !!"


धारा के मन मे अभी भी सवालो का बवंडर मचा हुआ था ! उसने देव से पूछा, " ये ध्रुव तुमसे सीनियर है...??"

"ध्रुव नही.... ध्रुव सर बोलो !!" देव धारा को करेक्ट करते हुए बोला।

धारा, " हां वही ध्रुव सर...!! सीनियर हैं तुमसे ??₹"

"हां.... लेकिन काम मे नही... पोस्ट में सीनियर हैं मुझसे !! उम्र में भी छोटे हैं पर माइंडेड बहुत हैं !!"

"हम्म वो तो जानती हूँ !!" धारा मन ही मन बड़बड़ाई !! " मुझसे अच्छा तो शायद ही कोई जानता होगा ध्रुव को !! मेरा अतीत जो है !!! मेरा प्यार....!!!!!" धारा की आंखों में नमी उतर आई !
अचानक से सालों बाद उसका ध्रुव से यूँ मिलना होगा ये तो उसने स्वप्प्न में भी कल्पना नही की थी !! ध्रुव को एकदम अपने इतने करीब देखकर धारा आवक रह गयी थी !! उसे विश्वास ही नही हो रहा था कि ये वही ध्रुव है ! उसका ध्रुव, उसका प्यार...उसका अतीत, सबकुछ !

धारा के मन मे तो आज भी ध्रुव के किये बेशुमार मोहब्बत थी, मगर ध्रुव के मन मे सिर्फ और सिर्फ नफरत ! सिर्फ नफरत थी धारा के लिए !!!
जाने ऐसे क्या था धारा और ध्रुव के बीच जो दोनो एक दूसरे से दूर हो गए थे।।।




जारी..............


(JP)