Pal Pal Dil ke Paas - 11 in Hindi Love Stories by Neerja Pandey books and stories PDF | पल पल दिल के पास - 11

पल पल दिल के पास - 11

भाग 11

पिछले भाग में आपने पढ़ा की मैं अपने दोस्त संतोष के कहने पर उसकी मदद के लिए कोर्ट जाता हूं। वहां अचानक ही मुझे नियति दिख जाती है। और संयोग देखिए उसका वकील रस्तोगी मेरा जिगरी दोस्त निकलता है। नियति कोर्ट अपनी बेटी मिनी की कस्टडी के लिए आई थी। रस्तोगी ने नियति से वादा किया था की बहुत जल्दी वो फैसला नियति के हक में करवा देगा। पर अब उसकी लापरवाही बर्दाश्त करने लायक नही थी। अब आगे पढ़ें।

मैने सोचा तो था कि उस दिन की शाम को रस्तोगी से नियति के केस की पूरी डिटेल ले लूंगा। पर मैं उस शाम इतना बिजी हो गया की मेरे दिमाग से ये बात बिलकुल ही निकल गई। ऑफिस लौटते ही मेरे बड़े बॉस जो अमेरिका से वापस आ गए थे उन्होंने बुला लिया। हमारी कंपनी पर किसी ने जालसाजी का आरोप लगाया था। उसी को लेकर बॉस परेशान थे। इस कारण फौरन ही मुझे अपने चेंबर में बुला लिया। मामला सीरियस था तो सारी डिटेल जानने में काफी वक्त लग गया। अब मुझे उसका हल भी निकालना था। मेरी कंपनी इसी दिन के लिए मुझे मोटी सैलरी दे कर रक्खे थी। मैं इस लिए इतना अच्छा करना चाहता था की कंपनी को मुझे मोटी सैलरी दे कर रखने का कोई अफसोस न हो। मैं अपना हंड्रेड परसेंट देने के चक्कर में मैं ऐसा उलझा की नियति के केस की बात बिलकुल ही दिमाग से निकल गई। मीटिंग निपटाते निपटाते काफी देर हो गई। देर रात जब मैं घर पहुंचा तो मां मेरा इंतजार करते करते सो गईं थीं। मेड कविता ने दरवाजा खोला और खाने को पूछा। मेरे "हां" करने पर खाना लगा दिया। मैने उससे मां के बारे में पूछा की उन्होंने खाना खाया? तो बोली, "हां उन्हे दवा खानी थी इसलिए मैंने जिद्द करके खाना खिला दिया और सोने को भेज दिया।"

थका होने के कारण मुझे भी ज्यादा इच्छा नहीं थी खाने की। पर मेड कविता जिसे मैं दीदी कहता था वो अभी तक मेरा खाना लेकर इंतजार कर रहीं थीं। वो मेरे इस छोटे से परिवार का ही हिस्सा थीं। मैं उन्हे एक बड़ी बहन की तरह सम्मान देता था। इस कारण मना करना उचित नही लगा। मैंने भी थोड़ा सा खाया और सोने चला गया। ज्यादा थका होने के कारण बिस्तर पर लेटते ही नींद आ गई।

रात में नींद में मुझे बस नियति के सपने ही आते रहे। कभी वो मुझे उदास नजर आती तो कभी ट्रेन की मुलाकात दिखती। मेरे अवचेतन मन में पता नहीं क्या क्या चलता रहा? इतना रिलैक्स हो कर मैं कब सोया था मुझे याद नही? एक बार जब सोया तो जब सुबह मां की पूजा की घंटी से ही जागा।

सुबह जब मैं जगा तो बस इतना ही याद था की नियति को सपने में देखा था। दिल हल्का सा लग रहा था। किसी बहुत अपने का पता लग जाने की खुशी थी। होठों पर मुस्कान थी। मैने फ्रेश हो कर नाश्ता किया। नाश्ते की टेबल पर मेरी मुस्कान देख कर मां ने भी नोटिस किया की मैं खुश दिख रहा हूं। वो बोली, "क्या बात है प्रणय आज तो बड़े खुश दिख रहे हो? आज तो मेरे बेटे के चेहरे पर कुछ अलग ही चमक दिख रही है।"

कहते है मां से कोई भी अपना गम या खुशी नहीं छुपा सकता है। वो अपने बच्चे के अंदर होने वाले हर परिवर्तन को बिना बताए तुरंत महसूस कर लेती है। मैने मुस्कुराते हुए मां को जवाब दिया "हां मां बात ही ऐसी है। मैं अभी कुछ देर में आपको सब बताता हूं। बस …! मां पांच मिनट दो मुझे।" हाथ की उंगलियों से मैने पांच का इशारा किया और इतना कह कर मैने अपने सेल फोन पर रस्तोगी का नंबर डायल किया और उठ कर बालकनी में चला आया।

मैं अमूमन रस्तोगी को फोन करता नही था। पर आज मैने खुद उसे कॉल किया था वो भी इतनी सुबह। रस्तोगी हैरान था की आज सुबह सुबह मैने उसे कैसे कॉल कर दिया। दुआ सलाम के बाद मैं सीधा टॉपिक पर आ गया। रस्तोगी से पूछा, "अच्छा रस्तोगी यार ये बताओ ये जो कल नियति जी मिली थी..तुम्हारी क्लाइंट उनका क्या मैटर है जरा मुझे बताओ।"

रस्तोगी अचरज में था की मैं एक सहयात्री के विषय में इतना इंट्रेस्ट क्यों ले रहा हूं। वो बोला, "जरा ठहर भाई..

जरा ठहर.. पहली बात तो तू मुझे कभी खुद से कॉल करता नही। मैं ना करूं तो कभी बात ही न हो। तू इतनी सुबह कॉल कर रहा है और वो भी मेरे क्लाइंट के बारे में पता करने के लिए। एक मिनट … एक मिनट ... तू मेरे क्लाइंट में अचानक से कैसे इंट्रेस्ट लेने लगा। कुछ गड़बड़ तो नहीं...।"

कह कर जोर से हंसा।

मैं बोला, "अरे… ! नहीं भाई वो मेरी परिचित है। मैं उनकी मदद करना चाहता हूं। तू बता तो सही।"

पर रस्तोगी कहां मानने वाला था। वो बोला, "सिर्फ परिचित…! मैं नहीं मान सकता। इतनी सुबह सुबह तू किसी परिचित के केस की जानकारी लेने के लिए कॉल करने वाला नही है। बात कुछ और है! मुझे तो लगता है शायद ये वही हैं जिनका तू अब तक इंतजार कर रहा है! है ना! बिलकुल सही पकड़ा ना मैने!"

मैने कोई जरूरत नही समझी झूठ बोलने की। मैने कहा, "हां यार अब तू नही समझेगा तो कौन समझेगा?

वो स्पेशल ही है तेरे भाई के लिए। चल अब तो बता दे।"

रस्तोगी समझ गया की अब उसकी लापरवाही नहीं चलेगी या तो उसे केस पर जम के काम करना होगा या फिर केस छोड़ना होगा। क्यों की वह नियति को इधर उधर घुमा सकता है, प्रणय को नहीं। सारी बात बताई की केस बच्ची की कस्टडी को ले कर है। "उनकी मदर इन लॉ इतनी पावर फुल है की हर पेशी पर डेट ले लेती हैं । मेरी समझ से तो वो बस केस को खींचना चाहतीं है। जिससे ना तो जज पूरा केस सुन सके ना फैसला दे सके। मुझे तो लगता है उनके वकील ने उन्हे अच्छे से समझा दिया है की बालिग होने तक परवरिश करने का अधिकार मां को ही ज्यादातर मिलता है। इस कारण वो इसे लंबा खींचना चाहती है। अब मैं क्या बताऊं? उन्होंने मुझे भी बताया नियति जी के बारे में बहुत सी उल्टी सीधी बातें। कहती है अगर बच्ची की कस्टडी नियति जी

मिल जायेगी तो बच्ची का भविष्य बर्बाद हो जाएगा। यार उन्होंने मुझे मोटी रकम का ऑफर भी दिया है, केस को टालते रहने के लिए। मैं सच बात तो जनता नही। मैं शर्मिंदा हूं यार। अब बता क्या करना है? मैं सच्ची कहता हूं जितना बन सकेगा करूंगा।"

मैने उससे पूरी जानकारी ली और बताया की संडे की शाम को मैं नियति से मिल रहा हूं मेरे जाने के कुछ देर बाद वो भी आ जाए तो सारा कुछ बैठ कर डिस्कस कर लेंगे। रस्तोगी तुरंत राजी हो गया आने को।

बोला, "ठीक है तुम पहुंच कर कॉल कर देना मैं आधे घंटे में आ जाऊंगा।"

बात चीत समाप्त कर मैं मां के पास आ गया। वो मेरी ही प्रतीक्षा कर रही थी। उत्सुकता से मेरा चेहरा देखा। उन्हें इंतजार था मेरे बोलने का।

मैं आया और चेयर खीच कर उनके करीब बैठ गया। मां का हाथ अपने हाथों में ले कर बोला, "मां मेरा यकीन सच साबित हुआ। मैने कहा था ना की एक दिन नियति मुझे जरूर मिलेगी। आपके आशीर्वाद से वो दिन आ गया। मां कल कोर्ट मुझे नियति मिली थी।" इसके बाद मैने पूरा वाकया मां को सुना डाला। साथ में ये भी बताया की मैं संडे को उससे मिलने जाऊंगा।

मां की आंखों में चमक थी। वो मुझे खुश देख कर बहुत खुश थी। मां को मेरे भविष्य को ले कर जो चिंता थी उसमे से आज एक लकीर मिटी थी। कम से कम नियति का पता तो चल गया था। उन्हे मुझ पर पूरा विश्वास था की मैं नियति को खुद से दूर नहीं जाने दूंगा।

अगले भाग में पढ़े क्या मेरी और रस्तोगी की मीटिंग में नियति आई? क्या वाकई रस्तोगी ने कोई झोल किया था इस केस में?

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Neelam Mishra

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Rita Mishra

Rita Mishra 6 months ago

very nice part

Ramesh Pandey

Ramesh Pandey 11 months ago

Shivani

Shivani 11 months ago