muskarate chahare ki hakikat - 11 books and stories free download online pdf in Hindi

मुस्कराते चहरे की हकीकत - 11

शालिनी, विवान कि बाते सुनकर अवनी के पास आकर- सच में बेटा तुम्हारे मां-बाप खुशकिस्मत है कि उन्हें तुम्हारी जैसी बेटी मिली,,, वो गर्व महसूस कर रहे होगें...
अवनी, उदास होकर- मैं अनाथ हूं आंटी,,,, कोई नहीं है मेरा प्रवीण भाई के अलावा, जो थे उन्हें मैंने इस लड़ाई में खो दिया......
सब हैरानी से अवनी को देख रहे थे,,,
शालिनी- अनाथ….
प्रवीण, सामने आकर- छ साल की थी अवनी जब उसके मम्मी पापा का एक कार से एक्सीडेंट हो गया था अवनी भी उनके साथ ही थी लेकिन वक्त पर हॉस्पिटल पहुंचने के कारण वो जिंदा बच गई,,,, अवनी के दादा दादी नहीं चाहते थे कि उसके चाचा चाची अवनी के साथ मिसबिहेव करें इसलिए उन्होंने अवनी को उस हादसे के दो-तीन महीने बाद ही हमारे पास यानी अवनी के ननिहाल भेज दिया और यहां से एक महिने बाद ही हॉस्टल,,,,, अवनी ने अपनी स्कूलिंग दिल्ली में हॉस्टल में रहकर ही कंप्लीट की,, अवनी पढ़ने में होशियार थी तो उसे दिल्ली में ही गवर्नमेंट यूनिवर्सिटी मिल गई, अवनी पूरे साल में एक ही बार घर आती थी,,, अवनी की कॉलेज खत्म होने वाली ही थी वह बहुत खुश थी कि अब वह अपने नाना नानी और दादा दादी के साथ रहेगी लेकिन उसी वक्त नित्या के साथ वो घटना हुई। जब नित्या उन लोगों से बचकर वापस अवनी के पास आई तो अवनी उसे हमारे घर ले आई,,,, लेकिन उसी रात अभिषेक के कुछ आदमी नित्या को ढूंढते हुए हमारे घर पहुंच गए उस वक्त मैं, मा और पापा घर पर नहीं थे अवनी और नित्या के साथ दादी और दादू थे उन लोगों ने नित्या को जबरदस्ती वहां से ले जाने की कोशिश की लेकिन अवनी और दादा दादी ने उन्हें रोका पर उन लोगों के पास हथियार और बंदूकें थीं किसी ने पीछे से गोली चलाई जो अवनी को लगती लेकिन दादी ने अवनी को बचाने के लिए वह गोली अपने सीने पर खा ली और दूसरी गोली दादू ने,,, एक तरफ वो लोग नित्या को लेकर जा रहे थे और दूसरी तरफ दादा- दादी खून से लथपथ पड़े थे फिर भी अवनी उन लोगों को रोकने की कोशिश कर रही थी की एक गोली अवनी की पीठ पर आकर लगी और अवनी वही गिर गई,,,, वो लोग नित्या को लेकर चलें गए,,, जब तक हम घर आए दादा दादी मर चुके थे अवनी की सांसे चल रही थी हम उसे हॉस्पिटल लेकर गए,, उस समय मां पापा अवनी से नाराज थे क्योंकि उसकी वजह से दादा दादी की मौत हुई थी और उन्होंने अवनी के दादा दादी को फोन कर दिया वो अवनी को अपने साथ ले गए अवनी के पास नित्या का बैग था जिसमें उन लोगों के खिलाफ सबूत के तौर पर कुछ फोटोज थी जो नित्या ने ली थी लेकिन कोई पक्का सबूत न होने की वजह से उस समय कोई कुछ भी नहीं कर सकता था उसके 15 दिन बाद ही अवनी ने घर छोड़ दिया और रो एजेंट की तैयारी के लिए चली गई,,, कुछ दिनों बाद अवनी को पता चला कि अब उसके दादा-दादी भी इस दुनिया में नहीं रहे तो अवनी कभी वापस घर नहीं लौटी,,,,
उनको भी अभिषेक के लोगों ने ही मारा था उस समय अवनी को यह बात नहीं पता थी। दो साल बाद अवनी यह सोचकर कि अब तो उसके चाचा चाची उसे अपना लेंगे घर आईं लेकिन यहां आकर अवनी को पता चला कि वो लोग अवनी को अभीषेक के हवाले करने वाले हैं,,,,अवनी बिना किसी को बताए घर छोड़कर भोपाल आ गई
सब ध्यान से प्रवीण की बातें सुन रहे थे वहां खड़े हर एक शख्स की आंखों में आंसू थे जो कभी प्रवीण को तो कभी अवनी को देख रहे थे
अवनी की आंखों से लगातार आंसू गिर रहे थे जो सबसे अलग दूसरी तरफ मुंह करके अपना दुख सबसे छुपाने की कोशिश कर रही थी अवनी पीछे मुड़कर काव्या और करण की तरफ देखती है और अपने आंसुओं को पूछकर करण के पास आकर- जिजू शादी नहीं करनी क्या....? मुहूर्त निकला जा रहा है,,,
सब हैरानी से अवनी को देखते हैं जो अपना सारा दर्द भुलाकर हंसने की कोशिश कर रही थी
अवनी करण और काव्या का हाथ पकड़कर उन्हें मंडप में ले जाकर बैठा देती है और स्वाती, अनुराग जी के पास आकर- अंकल कुछ आंसू अपनी बेटी कि विदाई के लिए भी बचा के रखिए.….
अवनी की तरफ देखकर सब होश में आते हैं और करण काव्या के पास आकर पंडित जी से फेरों की रस्मो के लिए बोलते हैं
माहौल एक बार फिर बाकी दिनों की तरह हो जाता और सब काव्या करण की शादी की आखिरी रस्मों को पूरे दिल से निभाते हैं
अब बारी थी जूते छुपाने की फेरे होने से पहले ही अवनी और काविन ने करण के जूते छुपा दिए थे,, इधर विवान, यश, कुणाल,रिया, श्रेया और रूही एक साथ बैठे थे अवनी और काविन उन सब के पास आते हैं
अवनी, विवान के पास आकर- मिस्टर खडूस बहुत अकड़ है ना तुम्हारे अंदर,,, अपने भाई के जूते नहीं ढूंढोगे....
अवनी और काविन एक दूसरे की तरफ देखकर हंसने लगते हैं
कुणाल, विवान की तरफ देखकर हसते हुए- खडूस.....
कुणाल के साथ बाकी सब भी मुंह पर हाथ रखकर हंसने लगते हैं
विवान सबकी तरफ देखकर अवनी के पास आकर- अभी ढूंढता हूं देखना तुम.... मुझे.. मुझे...चैलेंज कर रही हो तुम..
विवान वहां से चला जाता है और बाकी सब भी उसके साथ साथ,,,,,
अवनी काव्या और करण के पास आकर- तुम दोनों को क्या लगता है वह ढूंढ लेंगे...
करन- wait and watch अवनी...
कुछ देर में विवान और बाक़ी सब वापस उनके पास आ जाते हैं लेकिन उन्हें जुते नहीं मिलते,,,,,
यश,अवनी से- यार अवनी बताओ ना कहां रखे हैं..?
अवनी, मुस्कराते हुए- इतनी भी जल्दी क्या है यश, थोड़ा वेट करो मिल जाएंगे,,,,
विवान, धीरे से- बेटा विवान निकल ले यहां से वरना जितनी इज्जत बची है वह भी उतर जाएगी,,, विवान पिछे से जाने लगता है,, अवनी की नज़र उसपर पड़ती है,,,
अवनी, जोर से- तुम कहां चले दूल्हे के भाई... क्या हुआ आपके चैलेंज का....
विवान, अवनी के पास आकर- क्या चाहिए तुम्हें...
अवनी-क्या दे सकते हो तुम...
विवान- साथ......
सभी हैरानी से विवान की तरफ देखते हैं
विवान, बात को संभालते हुए- साथ मतलब करण भाई का साथ,,,, तुम्हें जो मांगना है उनसे मांगो मै उनके साथ हूं....
इतनी देर में बाक़ी सब लोग भी वहां आ जाते हैं और घर जाने के लिए बोलते हैं
करण- पर पापा बिना जूतों के मैं घर कैसे जाऊंगा...
विवान उसके पास आकर- डोंट वरी भाई मैं अभी आपके लिए नए जूते मंगवाता हूं,,,
सुधा जी- नहीं बेटा यह भी एक रसम होती है इसमें जूते छुपाने वालों को नेक दिया जाता है और जूते वापस लिए जाते हैं इसलिए तुम्हें अवनी को नेक देना होगा,,,,,
करण, अवनी से- तो बोलिए साली साहिबा क्या चाहिए आपको,,,,
अवनी, करण के पास आकर काव्या की तरफ देखते हुए- वादा.. की कभी काव्या का साथ नहीं छोड़ोगे, उस पर विश्वास करोगे, उसे पूरा मान और सम्मान दोगे, वरना तुम भी जानते हो कि मैं दोस्ती के लिए किस हद तक जा सकती हूं....
करण, काव्या का हाथ पकड़कर उसकी तरफ़ देखकर मुस्कराते हुए- वादा, कभी तेरी काव्या का साथ नहीं छोड़ूंगा,,
काव्या अवनी के पास आकर रोते हुए उसे गले लगाती है दोनों कुछ देर यूंही एक दूसरे को गले लगाए खड़ी रहती है फ़िर काव्या अनुराग, स्वाति और काविन के पास जाती है और सब के गले लगकर रोने लगती हैं।
(कुछ देर तक विदाई वाला इमोशनल ड्रामा चलता है)
करण, अवनी के पास आकर- अवनी तुम भी चल रही हो ना हमारे साथ...
अवनी- मैं क्यों..?
करण- क्योंकि तुम मेरी भी दोस्त हो तो अब मेरे घर भी चलना पड़ेगा ना,,,
शालिनी- हां बेटा चलो काव्या को भी अच्छा लगेगा...
अवनी- लेकिन आंटी अभी मुझे नित्या के पास जाना है....
विवान- उसकी चिंता मत करो, नित्या ठीक है,, अभी मेरी डॉक्टर से बात हुई थी हम दोनों सुबह उसके पास चलेंगे,
रिया- हा अवनी चलो ना....
अवनी हा मे सिर हिलाती है सब जाने को तैयार हो जाते हैं करण और काव्या को एक कार में बिठाया जाता है अवनी भी काव्या के पास बैठती है और विवान भी आगे की सीट पर आकर बैठ जाता है,, कुछ देर में गाड़ियां अग्रवाल मेंशन की ओर बढ़ती है काव्या अभी भी रो रही थी करण और अवनी उसे चुप करा रहे थे,,,
विवान, आगे से- भाभी, प्लीज रोइए मत,,,, आपकी यह दोस्त हम सबको जेल में डलवा देगी,,,
करण और अवनी हंसने लगते और काव्या भी कुछ देर बाद चुप हो जाती है,,,,
थोड़ी देर में सब अग्रवाल मेंशन पहुंचते हैं और काव्या को पूरी रस्मों के साथ अंदर लाया जाता है अंदर काव्या सभी मेहमानों से मिलती है और कुछ देर बाद अंगूठी ढूंढने की रस्म होती है जिसमें करण जीतता है और काव्या की अंगुली में अंगूठी पहनाता है,,
सारी रस्में होने के बाद अवनी छत पर आ जाती है जहां कोई नहीं था और अवनी वही खड़ी ऊपर आसमान की तरफ देख रही थी और वह पूरी बातें उसके सामने थी जो प्रवीण ने सबको बताई थी अवनी को पहले नहीं मालूम था कि उसके दादा-दादी की मौत भी अभिषेक ने करवाई थी अब वह उन सबकी मौत का जिम्मेदार खुद को समझ रही थी इतनी देर तक वह अपने आंसुओं को, अपने दुख को छुपा रही थी पर अब यह मुश्किल था वह अकेले रोए जा रही थी इधर विवान ने अपनी को ऊपर जाते देख लिया था तो वह भी उसके पीछे-पीछे आ जाता है लेकिन अवनी को उसके बारे में नहीं पता था विवान अवनी के पीछे कुछ ही दूर खड़ा था वह अवनी को रोते हुए देख रहा था,, उससे बात कैसे करें उसे समझ नहीं आ रहा था अवनी लगातार रोए जा रही थी वह अपना दर्द किसी से बांटना चाहती थी लेकीन ऐसा उसके साथ कोई नहीं था जिसे वह बात कर सके,,,,,,
विवान से अब रहा नहीं गया उसने खुद को रोकने की कोशिश की लेकिन अवनी की ऐसी हालत उससे देखी नहीं जा रही थी विवान अवनी के पास आता है और उसके कंधे पर हाथ रखता है अवनी यू अचानक किसी के स्पर्श से चौक जाती है और पीछे मुड़कर देखती है तो उसे विवान दिखाई देता है अवनी बिना कुछ सोचे समझे विवान के कंधे पर सिर रखकर रोने लगती है विवान अवनी के सिर पर हाथ रखता है और उसके आंसू पूछते हुए- आईं नॉ, इस समय तुम कितनी तकलीफ में होगी इतने दिनों से तुम्हारे साथ हूं थोड़ा तो जानने लगा हूं मैं तुम्हे,,,,,मैं जान चुका हूं तुम्हारे मुस्कुराते चेहरे की हकीकत.......एक बात कहूं तुमसे मैंने तुम्हारी जितनी स्ट्रांग लड़की कभी नहीं देखी,, बहुत स्ट्रांग हो तुम, खुद को कमजोर मत बनाओ अवनी, please be strong.
अवनी, रोते हुए- कब तक विवान, आखिर कब तक ख़ुद को मज़बूत बनाती रहूं, बहुत कोशिश की खुद को संभालने की, मेरी वजह से उसने सबको मार दिया मम्मा पापा, दादा दादी, नाना नानी, सब... सब मुझे छोड़ कर चले गए सब के साथ मौत मेरी भी थी पर मैं क्यों नहीं मरी विवान... मुझे क्यों भगवान ने जिंदा रखा..... I hate myself vivan.. I don't want to live.. I do not want to live vivan.....
अवनी के मन में खुद के लिए ही नफरत थी और उतना ही दर्द उसके सीने में छुपा था जिसका किसी को अंदाजा भी नहीं था विवान भी अवनी को इस तरह बोलते देख अपने आंसू रोक नहीं पा रहा था,,,,
विवान,अवनी के आंसू पूछते हुए- मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं अवनि.... तुम अकेली नहीं हो और ना ही अनाथ,, मै हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा,,, खुद को संभालो अवनी प्लीज अब रोना बंद करो वरना मैं भी यहां तुम्हें अकेला छोड़कर चला जाऊंगा....
विवान की बात सुनकर अवनी के चेहरे पर थोड़ा सुकून था कि कोई तो उसके दर्द को समझता है,,,, अवनी विवान से दूर हटकर अपने आंसू पूछते हुए- सॉरी वो..मैं.. (और विवान से दूसरी तरफ मुंह करके खड़ी हो जाती है)
विवान भी दूसरी तरफ जाकर खड़ा हो जाता और सोचने लगता है कि अभी उसने अवनी को जो कहा उससे अवनी को बुरा तो नहीं लगा ना... और अवनी के बारे में सोचने लगता है कि कैसे अवनी अपना सारा दर्द भुलाकर सबके सामने हंसती रहती है,,,,
अवनी भी सब कुछ भूलकर विवान की कही हुई बातें ही सोच रही थी,,,,
कुछ देर दोनों यूंही खामोश एक दूसरे से बहुत दूर खड़े थे तभी पीछे से आवाज आती है,,,,अवनी, तु यहां है मैंने तुम्हें कहा कहा नहीं ढूंढा चल आज तुझे मेरे रूम में ही सोना है अवनी पीछे मुड़कर देखती है पीछे सीढ़ीओ पर श्रेया खड़ी थी,वह वहां से विवान को नहीं दे पाती है और वापस नीचे चली जाती है अवनी, विवान की तरफ देखती है जो अभी भी वहीं खड़ा था और बिना उससे कुछ कहे श्रेया के पीछे-पीछे नीचे आ जाती है और उसके रूम में चली जाती है,, कुछ देर बाद विवान भी नीचे आ जाता है यश ने विवान और अवनी को ऊपर जाते देख लिया था लेकिन यश को अवनी की हालत पता थी इसलिए वह विवान के कमरे में ही उसका वेट कर रहा था विवान अपने रूम में आता है जहां यश बैठा था
विवान- यश तू क्या कर रहा है यहां...? सोया नहीं अभी..
यश, विवान के पास आकर- तू कहां था अभी तक और तेरी आंखों में आंसू, क्या हुआ विवान....?
विवान, यश से नजरें चुराते हुए- कु..छ.. कुछ नहीं मैं ठीक हूं..
और विवान अपने बेड पर आकर लेट जाता है
यश, विवान के पास बैठकर- तुम नित्या से मिलने जा रहे हो ना कल...
विवान- हां...
यश- तुम खुश तो हो ना,, मेरा मतलब है कि तुम कितने सालों बाद अपनी बेस्ट फ्रेंड से मिलोगे तो,,,,
विवान, मुस्कराते हुए- क्यों नहीं, ऑफ़ कोर्स.. मैं बहुत खुश हूं, फाइनली कल में नित्या से मिलूंगा....
यश- तुम अभी किसके बारे में सोच रहे हो.....
विवान- अवनी.... आई मीन अवनी की वजह से ही नित्या वापस मिली है वरना मैंने तो कभी नित्या के बारे में सोचा ही नहीं,
यश-तू कुछ छुपा रहा है मुझसे...
विवान, थोड़े ज़ोर से- यार प्लीज सोने दे मुझे.. सुबह जल्दी जाना है और तू भी सो जा... गुड नाइट...
और विवान कंबल ओढ़कर सो जाता है और यश भी वहां से चला जाता है।।।।।।

Continue.....