Dil ki Udaan - 5 books and stories free download online pdf in Hindi

दिल की उड़ान - भाग 5

कल का सूरज उग चुका है और सब लोग गाव जाने के लिए तैयार है. सुबह के छ: होते ही सब अपने घर से ऑफिस आने के लिए निकल जाते हैं . सुबह के करीब सात बज गए और सब अपना अपना सामान कार मैं रख देते है लेकिन ये क्या सब लोग आ गए लेकिन अभी तक उड़ान दिखाई नही दे रही थी. सुबह के साडे सात बज गए थे और कितने कॉल किये लेकिन वो कॉल उठा ही नही रही थी . अभिनव समय के बहोत पक्के है ये जानने के बाद भी उसने आने मैं इतनी देर लगाई. थोड़ी देर बाद आँठ बजते ही उड़ान दौड़ती हुई आती है और सबको गुड मोर्निंग कहकर अपना सामान कार मैं रख देती हैं. अभिनव उसके सामने गुस्से से देख रहा होता हैं और फिर उससे ऊँची आवाज़ मैं बोलता है " इतनी देर क्यों हुई? " इतना बोलता है तभी उसके पापा आते है और उसे गुस्सा ना करने को बोलते हैं . इस वज़ह से उड़ान बच जाती हैं . सब लोग कार मैं अपनी अपनी जगह बैठ जाते है और गाव के लिए रवाना होते हैं.

गाव आने को बस थोड़ी ही देर थी. गाव के रस्ते बहोत खराब थे. गाव से थोड़ी ही दूर कार खराब हो जाती है. सब लोग बहोत कोशिश करते है लेकिन कार नही चलती . गाव मैं दूसरी कार मिलना भी बहोत मुश्किल था. एक तो इतनी धूप लग रही ती और उपर से सब को पैदल चल कर जाना था . सब लोग अपना सामान कार मैं से निकालते है और गाव की तरफ चलते है. गाव मैं अंदर आते ही चारो और हरियाली दिखाई दे रही थी ऐसा लग रहा था मानो जैसे वो लोग हरियाली देखने के लिए ही आये हो. गाव का नज़ारा ही कुछ और दिखाई दे रहा था. थोड़ा अंदर जाते ही गाव की बाजार आई जहा इतनी खूबसूरत चीजें बिक रही थी. वहा के लोग बडे ही प्यारे दिखाई दे रहे थे. चारो और पक्षिओ का कलरव हि सुनाई दे रहा था . थोड़े आगे चलते ही घर आ गया. घर बहार से और अंदर से बहोत ही अच्छा दिखाई दे रहा था. घर पहोचते ही वहा की देखभाल करने वाले रामूकाका ने सामान अंदर रखवा दिया. पहली मंजिल पर अनुराग और अभय का रूम था. दूसरी मंज़िल पर मिताली और करण का रूम था और तीसरी मंज़िल पर अभिनव और उड़ान का रूम था . सब मंज़िल पर दो दो रूम थे.

रूम की खिड़की से बहार जाकते ही एक सुंदर नदी बह रही थी. जो बेहद ही खूबसूरत थी. सब लोग अपने अपने रूम मैं जाते है और तैयार होकर आते है . उतने मैं ही उड़ान की ज़ोर से चिल्लने की चीख सुनाई देती हैं . सब लोग नीचे होते है इसलिए सबको आने मैं देर लगती है उतने मैं उधर अभिनव पहोचता है और उड़ान से पूछता है की " क्या हुआ " उड़ान तब छिपकली की और इशारा करती है . इतना देखते ही अभिनव मन ही मन मुस्कुराता है. उतने मैं सब लोग आ जाते है . फिर रामुकाका छिपकली को बहार निकालते है और सब लोग बहोत हस्ते है. थोड़ी देर बाद उड़ान भी नीचे सब के साथ आ जाती है. सब लोग नास्ता कर लेते है और अभिनव सब को आज गाव धुमने के लिए हा कह देता है.

सब लोग बाजार मैं जाने के लिए तैयार होते है उतने मैं उड़ान अपना पर्स अपने रूम मैं भूल जाती है पर्स लेकर आते वक़्त वो सीडी पर से गिर जाती है और उसको पैर मैं मोच आ जाती है. इस वज़ह से वो सब लोग के साथ बाजार नही जा पाती और घर ही रुकती हैं . सब लोग बाजार धुमने के लिए गए उतने में अभिनव को एक ज़रूरी कॉल न है और वो घर वापस आ जाता है . जब वो घर आता है तब वो देखता है उड़ान के पैर मैं दर्द होने की वज़ह से वो रो रही हैं. ये देखकर वो उड़ान को उसके रूम मैं छोड़ आता है और डॉक्टर को बुलाता हैं. थोड़ी देर बाद उड़ान सो जाती है और अभिनव अपना काम करने लगता हैं. सब लोग बाजार से शॉपिंग कर के आते है और उड़ान के लिए भी कुछ लाते है. उतने मैं रामुकाका सब को उड़ान के पैर दर्द के बारे मैं बताते हैं . रात हो चुकी थी सब लोग खाना खाकर अभिनव के रूम मैं बैठे थे. कल से प्रोजेक्ट का काम शरू होने वाला था इसलिए उसकी तैयारी सब आज कर रहे थे. अभिनव ने सब को नव बजते ही नीचे इकठ्ठा होने के लिए कह दिया और खास कर उड़ान को समय पर आने के लिए बोला था. सुबह नास्ता करने के बाद सब लोग अलग अलग अपना काम करने वाले थे. अभिनव और अभय सब जरूरी सामान इकठ्ठा करने वाले थे. मिताली और करण जो काम हो रहा है उस पर ध्यान रखने वाले थे. सब काम बराबर और समय पर पूरा हो जाए उसकी जिम्मेदारी उड़ान की थी. उड़ान हर एक मिनिट के काम की नोंध रखने वाली थी. सामान खरीदने के लिए वो मीटिंग करने वाली थी. उड़ान पर सब हिसाब किताब की जिम्मेदारी थी . अभिनव इस प्रोजेक्ट को ज्यादा बेहतर कैसे बनाया जाए इस बारे मैं सोच रहा था. सब लोगो को अपने काम और फाइल सौप दी गई थी. उड़ान को साथ ही मैं सामान खरीदने के लिए थोड़े पैसे भी दिये गए थे. रात होते ही सब अपने रूम मैं चले जाते हैं. सब कल के दिन का बेसबरी से इंतज़ार कर रहे होते हैं. उड़ान भी इस बार अपने काम को लेकर गंभीर थी. वो इस बार कोई गड़बड़ ना हो इसके बारे मैं पूरा ध्यान रख रही थी .उसके पास ये आखरी तक थी अभिनव को खुश करने की क्योंकि अभिनव उससे पहले ही दिन देर से आने की वज़ह से नाराज था . उस बार तो अभिनव के पापा ने उसे बचा लिया था. आपको क्या लगता है उड़ान इसबार अपना काम बराबर कर पायेगी? इसबार वो अभिनव को अपने काम से खुश कर पायेगी या नही? ये देखने के लिए मेरे साथ पढ़ते है " दिल की उड़ान "