यह कहानी समाज में फैले जातिवाद के बारे में हैं. दलितों की भलाई और उनकी शिक्षा के नाम पर अपनी जेबें भरने वाली संस्थाओं और लोगों की बात करती हुई यह कहानी बताती है किस तरह पढ़े लिखे लोगों के बीच भी जातिवाद का जहर फैला हुआ है.