अगले दिन शीना नीरज को सारी बात बताती है और मंदिर चलने के लिए कहती है। पुजारी शीना को हिन्दी से मुसलमान बनाने के लिए मना कर देता है, तब शीना की पुजारी से बहस हो जाती है।