दास्तान-ए-अश्क-2

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अपने ख्वाबो को जीने की उम्मिद लगाये बैठे थे पता नही था हमे एक झूठी आस सचाये बैठे थे पूरे जोश के साथ नाच गाना चल रहा था वेद प्रकाश जी की खुशी उनके चेहरे से झलक रही थी उनके साथ पूरा परिवार मस्ती में डूबा हुआ था बहुत ही धूम धड़ाके और गाजे-बाजे के साथ उनकी बारात रवाना हुई!और वो परे सन्मानमय ढंग से अपनी बीवी को ब्याह कर अपने धर ले आये!जैसे ही बारात घर पर आई तो उनकी मां उमा देवीजीने अपनी बहू के ऊपर से पानी ओवार के पिया और उसकी सारी बलाए ली!अब लाला