प्यार का सफर - भाग २

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मेरे खयालात को तुने पढा तो तुने क्यों ए दिन दिखाया मुझे? जब हमको तुम चाहिए थे तब तुम क्यों नहीं थे?.......हमने तुमे अपने जसबात मैं समाया,तुमे ही अपना दिल माना तो क्यों हमारी दुनिया को छोडने की वजा बन गये थे?.....प्यार की बहुत दिल धडक बातें हमको सुनाई जब हमको ए निभाने बारी आयी तो तुम क्यों 'थे' बन कर रहे गयें?........तुजे न पता तुम दुनिया है मेरी, तुजसे ही शुरु हुइ थी जब हम समजने लगे थे तुमको सब कुछ ,तब तुम हमको दुनिया क्या है वें समजा कर क्यों चले गये....... प्यार सा सफर भी सुहाना होता है, दिखता