दास्तान-ए-अश्क - 30 - लास्ट पार्ट

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कहते हैं ना मजबूरी इंसान को बहुत कुछ करवाती है जिंदगी में पहली बार उसने अपने भाइयों से मदद मांगी.. मरने से तो यह रास्ता उचित ही था l अब घर की चिंता नहीं थी मगर एक बात थी जो उसको खाए जा रही थी..l कोठी गिरवी पड़ी थी उसका सॉल्यूशन भाइयों से पैसा लेना हरगिज़ नहीं था l क्योंकि अपने ही हाथों से अपनी बर्बादी की वह नीव रखना नहीं चाहती थी..l संपत्ति का बंटवारा होने के बाद मुश्किलें बढ़ गई थी क्योंकि वो तो बिल्कुल नक्कारा था..l गृहस्ती को चलाया जा सके उतना भी घर में लाकर वो