वैश्या वृतांत - 14

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दामाद: एक खोज यशवन्त कोठारी अपनी साली की शादी में जाने का मेरा कोई विचार ही नहीं था। सोचता था कि पत्नी अपनी दोनों बच्चियों को लेकर चली जाएगी और सब काम सलटा कर आ जाएगी। मगर पत्नी का आग्रह बड़ा विकट था; आग्रह क्या, आदेश ही था दोनों लड़कियाँ जवान हो गई हैं और उनके लिए दूल्हा ढूँढ़ने का यह एक स्वर्णिम अवसर था। आखिर मैंने हार मानी और साथ जाने के लिए कार्यालय से छुट्टी ले ली। जी.पी.एफ. से कुछ ऋण लिया, साली की लड़की के लिए एक अच्छा सा गिफ्ट लिया और चल पड़ा