OR

The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.

Matrubharti Loading...

Your daily story limit is finished please upgrade your plan
Yes
Matrubharti
  • English
    • English
    • हिंदी
    • ગુજરાતી
    • मराठी
    • தமிழ்
    • తెలుగు
    • বাংলা
    • മലയാളം
    • ಕನ್ನಡ
    • اُردُو
  • About Us
  • Books
      • Best Novels
      • New Released
      • Top Author
  • Videos
      • Motivational
      • Natak
      • Sangeet
      • Mushayra
      • Web Series
      • Short Film
  • Contest
  • Advertise
  • Subscription
  • Contact Us
Publish Free
  • Log In
Artboard

To read all the chapters,
Please Sign In

vaishya vritant by Yashvant Kothari | Read Hindi Best Novels and Download PDF

  1. Home
  2. Novels
  3. Hindi Novels
  4. वैश्या वृतांत - Novels
वैश्या  वृतांत by Yashvant Kothari in Hindi
Novels

वैश्या वृतांत - Novels

by Yashvant Kothari Matrubharti Verified in Hindi Love Stories

(633)
  • 186.5k

  • 510.7k

  • 344

देह व्यापार.विवेचन इनसाइक्लोपेडिया ब्रिटानिका के अनुसार देह व्यापार का अर्थ है मुद्रा या धन या मंहगी वस्तु और षारीरिक सम्बन्धों का विनिमय। इस परिभापा में एक षर्त ये भी है कि वह विनियम मित्रों या पति पत्नी के अतिरिक्त ...Read Moreगणिका के बारे में वात्स्यायन ने लिखा है.गणिकाएंए चतुरए पुरुपों के समाज मेंए विद्वानों की मंडली में राजाओं के दरबार में तथा सर्वसाधारण में मान पाती है। प्राचीन भारत में वेष्याएं थीए उसी प्रकार हीटीरा यूनान में तथा जापान में गौषाएं थी। वेष्या के पर्यायों में वारस्त्रीए गणिकाए रुपाजीवाए षालभंजिकाए षूलाए वारविलासिनीए वारवनिताए भण्डहासिनीए सज्जिकाए बन्धुराए कुम्भाए कामरेखाए पण्यांगनाए वारवधूए

Read Full Story
Download on Mobile

वैश्या वृतांत - Novels

वैश्या -वृतांत
देह व्यापार.विवेचन इनसाइक्लोपेडिया ब्रिटानिका के अनुसार देह व्यापार का अर्थ है मुद्रा या धन या मंहगी वस्तु और षारीरिक सम्बन्धों का विनिमय। इस परिभापा में एक षर्त ये भी है कि वह विनियम मित्रों या पति पत्नी के अतिरिक्त ...Read Moreगणिका के बारे में वात्स्यायन ने लिखा है.गणिकाएंए चतुरए पुरुपों के समाज मेंए विद्वानों की मंडली में राजाओं के दरबार में तथा सर्वसाधारण में मान पाती है। प्राचीन भारत में वेष्याएं थीए उसी प्रकार हीटीरा यूनान में तथा जापान में गौषाएं थी। वेष्या के पर्यायों में वारस्त्रीए गणिकाए रुपाजीवाए षालभंजिकाए षूलाए वारविलासिनीए वारवनिताए भण्डहासिनीए सज्जिकाए बन्धुराए कुम्भाए कामरेखाए पण्यांगनाए वारवधूए
  • Read Free
वैश्या -वृतांत - 2
अथातो दुष्कर्म जिज्ञासा (बलात्कार :एक असांस्कृतिक अनुशीलन ) यशवंत कोठारी ...Read Moreकी आप सब जानते हैं आज का युग बलात्कार का युग है है. अत:जो बलात्कार का चमत्कार नहीं कर सकता वो जीवन में कुछ नहीं कर सकता. इस एक शब्द ने थ्री इडियट्स फिल्म को हिट कर दिया.उत्तर आधुनिक काल के बाद उत्तर सत्य काल आया है जो वास्तव में बलात्कार, दुष्कर्म ,जोरजबर दस्ती का युग है. ये सब काम दबंग, शक्तिशाली और हिंसक मानसिकता वाले ही करते हैं.बलात्कार केवल शारीरिक ही नहीं होता, मानसिक, आर्थिक सामाजिक व् वैज्ञानिक भी होता है.राज नेता सत्ता के साथ बलात्कार करता
  • Read Free
वैश्या -वृतांत - 3
ढाई आखर प्रेम का यशवन्त कोठारी प्रेम के बारें में हम क्या जानते है ? प्रेम एक महत्वपूर्ण भावनात्मक घटना हैं। प्रेम को वैज्ञानिक अध्ययन से अलग समझा जाता हैं। कोई भी शब्द इतना ...Read Moreपढ़ा जाता है, जितना प्रेम, प्यार, मुहब्बत। हम नहीं जानते कि हम प्रेम कैसे करते है। क्यों करते है। प्रेम एक जटिल विषय हैं। जिसने मनुष्य को आदि काल से प्रभावित किया है। प्रेम और प्रेम प्रसंग मनुष्य कि चिरस्थायी पहेली है। प्रेम जो गली मोहल्लों से लगाकर समाज में तथा गलियों में गूंजता रहता है। प्रेम के स्वरूप और वास्तविक अर्थ के
  • Read Free
वैश्या -वृतांत - 4
अश्लीलता के बहाने यशवन्त कोठारी अश्लीलता एक बार फिर चर्चा में है। मैं पूछता हूं अश्लीलता कब चर्चा में ...Read Moreरहती। सतयुग से कलियुग तक अश्लीलता के चर्चे ही चर्चे है। आगे भी रहने की पूरी संभावना है। यह बहस ही बेमानी है। श्लीलता आज है कल नहीं मगर अश्लीलता हर समय रहती है। अश्लीलता बिकती है उसका बाजार है, श्लीलता का कोई बाजार नही है। इधर एक साथ कुछ ऐसी फिल्में दृष्टिपथ से गुजरी जिनके नाम तक अश्लील लगते हैं। जिस्म, मर्डर, फायर, नो एन्ट्री, हवस, गर्लफेण्ड, खाहिश, जैकपाट, हैलो कौन है, तौबा
  • Read Free
वैश्या वृतांत - ५
स्त्री +_ पुरुष = ?  यशवन्त कोठारी प्रिय पाठकों ! शीर्षक देखकर चौंकिये मत, यह एक ऐसा समीकरण ...Read Moreजिसे आज तक कोई हल नहीं कर पाया। मैं भी इस समीकरण का हल करने का असफल प्रयास करूंगा। सफलता वैसे भी इतनी आसानी से किसे मिलती है। सच पूछो तो इस विषय को व्यंग्य का विषय बनाना अपने आप में ही एक त्रासद व्यंग्य है। पिछले दिनों एक पत्रिका में एक आलेख पढ़ रहा था-बेमेल विवाह । बड़ी उम्र की स्त्री और छोटी उम्र के पति या रईस स्त्री और गरीब पति। इस आलेख में
  • Read Free
वैश्या वृतांत - 6
कुंवारियों की दुनिया पिछले कुछ वर्षों में महानगरों तथा अन्य शहरों में कुंवारी काम काजी महिलाओं का एक नया वर्ग विकसित होकर सामने आया है । वैसे कस्बों और गांवो मे आज ...Read Moreइस प्रकार की सामाजिक इकाई की कल्पना नहीं की जा सकती है । पढ़ी लिखी, सुसंस्कृत और नौकरी पेशा यही है इमेज कुंवारी लड़कियों की । वह अकेली रहती है, बाहर आती जाती है, अकेली यात्रा करती है और फैसले भी शायद खुद करने में समर्थ है । हर महिला अनेक प्रकार के दबावों को झेलती है, तथा लगातार खड़े रहने के लिये संर्घषरत
  • Read Free
वैश्या वृतांत - 7
स्त्री प्रजाति के खत्म होने का खतरा ष् क्या एक दिन संपूर्ण विश्व से स्त्री प्रजाति के खत्म हो जाने का खतरा शुरू हो जायेगा क्या भारत में स्त्रियों कि संख्या पुरूषों के मुकाबलें में निरंतर गिर रही है ...Read Moreक्या पुरूषों के मुकाबलें कम होती स्त्रियों के कारण समाज और जीवन में भयानक परिवर्तन आ सकतें है ये कुछ प्रश्न है जो आजकल बुद्धिजीवियों को सोचने को मजबूर कर रहे है आइये पहलें आंकडों की भाषा देखें।भारत में 1901 में 10,00 पुरूषों के मुकाबलें में 872 स्त्रियां थी जो अब 1981 में 821 रह गयी हैै। और शायद अगली
  • Read Free
वैश्या वृतांत - 8
छेड़छाड: एक प्रति -शोध प्रलाप  यशवन्त कोठारी आज मैं छेड़छाड़ का जिक्र करूंगा। छेड़छाड़ हमारी सांस्कृतिक विरासत है, जिसे बेटा बिना बाप के बताए भी सीख और समझ जाता है। मुछों ...Read Moreरेख आई नहीं कि लड़का छेड़छाड़ संबंधी अध्ययन में उलझ जाता है और यह लट तब तक नहीं सुलझती, जब तक कि लड़के विशेष की शादी विशेष नहीं हो जाती। कुछ मामलों में यह शादी नामक घटना या दुर्घटना हवालात में भी संपन्न होती है। साबुन की किसमों की तरह छेड़छाड़ की भी कई किसमें होती है। जैसे बाजारू छेड़छाड़, घरेलू छेड़छाड़, दफ्तरी छेड़छाड़, फिल्मी छेड़छाड़
  • Read Free
वैश्या वृतांत - 9
औरत: कथाएँ और व्यथाएँ यशवन्त कोठारी (1)दहेज वे आपस में एक दूसरें को प्यार करते थे । (क्योंकि करने को कुछ नहीं था) वे एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे । (बिना ...Read Moreरह सकने का मतलब अकेले रहने से है.... अकेलेपन से बचने हेतु वे साथी बदल लेते थे) समय आने पर मां-बाप ने लड़के की शादी दहेज के लिए कर दी । लड़का दहेज स्वीकार करने के अलावा कर क्या सकता था लड़की अधिक लालची परिवार में गयी। दहेज की मांग को लेकर स्टोव फटा और लड़की चल बसी । लड़के
  • Read Free
वैश्या वृतांत - १०
घर –परिवार –कथाएं –व्यथाएँ-लघुकथाएं १ -संदूक एक घर में आयकर वालों का छापा पड़ा. अधिकारी ने सब छान मारा .अंत में एक संदूक दिखा ,बूढी माँ ने अनुनय की इसे मत खोलो ,मगर संदूक खोला गया .उसमे ...Read Moreसुखी रोटियों के टुकड़े थे ,जो माँ के रात-बिरात काम आते थे.आयकर अधिकारी रो पड़ा. ००००००० २--स्मार्ट बहू काम वाली नहीं आई थी ,सास ने जल्दी उठ कर सारा काम निपटा दिया.कुछ दिनों बाद फिर ऐसा ही हुआ.बहु कार लेकर गई अपनी सहेली के यहाँ से काम वाली को का र में बिठा कर लाई,काम कराया और वापस का र से
  • Read Free
वैश्या वृतांत - 11
चलो बहना सब्जी लायें यशवन्त कोठारी ‘आज क्या सब्जी बनाऊं ? यदि आप पति हैं तो यह वाक्य हजारों बार सुना होगा और यदि आप पत्नी हैं तो यह प्रश्न हजारों बार पूछ़ा होगा। यदि दोनो ही ...Read Moreहैं तो आपकी सूचनार्थ सादर निवेदन है कि दाम्पत्य जीवन के महाभारत हेतु ये सूत्र वाक्य है। जो दाम्पत्य जीवन के रहस्यों से परिचित हैं , वे जानते हैं कि सब्जी क्या बनाउं से शुरू हो कर यह महाभारत कहां तक जाता है। खुदा का शुक्र है कि विज्ञान की प्रगति के कारण सब्जी लाने का कार्य आजकल साप्ताहिक रूप से
  • Read Free
वैश्या वृतांत - 12
दाम्पत्य में दरार के बढ़ते कारक यशवंत कोठारी तब मैं विद्यार्थी था। कालेज में एक प्रोफेसर हमें पढ़ाती थीं। अचानक एक दिन सुना कि उन्होंने आत्महत्या कर ली। कुछ समझ में नहीं आया। धीरे धीरे रहस्य की ...Read Moreखुलीं। वे विवाह के 25 वर्पों के बाद अपने नाकारा पति से समन्वय करते करते थक-हार कर प्राण दे बैठी। बच्चे बड़े और समझदार हो गए थे। चाहती तो बड़े आराम से तलाक से उस नाकारा पति से छुटकारा पा सकती थी। उसके पति 25 वर्पों से उनकी कमाई पर जिन्दा थे। अचानक उम्र के इस मोड़ पर एक 45 वर्पीय
  • Read Free
वैश्या वृतांत - 13
ऐसे स्वागत कीजिए जीवन की सांझ का यशवंत कोठारी देश में इस समय करोडो लोग ऐसे हैं जिनकी आयु 60 वर्प या उससे अधिक है। बड़े बूढ़ों का इस ...Read More में हमेशा ही सम्मान और आदर रहा है, लेकिन बदलते हुए सामाजिक मूल्य, टूटते हुए परिवार और बढ़ता हुआ ओद्योगिकरण हमारी इस महत्वपूर्ण सामाजिक इकाई पर कहर ढा रहे हैं। समाज और परिवार में इन बूढ़ों की स्थिति कैसी है, उनकी मानसिक दुनिया कैसी है वे अपने जमाने और आज की पीढ़ी के बारे में क्या सोचते हैं ? अक्सर आपने पार्कों में, बगीचों और शा
  • Read Free
वैश्या वृतांत - 14
दामाद: एक खोज यशवन्त कोठारी अपनी साली की शादी में जाने का मेरा कोई विचार ही नहीं था। सोचता था कि पत्नी अपनी दोनों ...Read Moreबच्चियों को लेकर चली जाएगी और सब काम सलटा कर आ जाएगी। मगर पत्नी का आग्रह बड़ा विकट था; आग्रह क्या, आदेश ही था दोनों लड़कियाँ जवान हो गई हैं और उनके लिए दूल्हा ढूँढ़ने का यह एक स्वर्णिम अवसर था। आखिर मैंने हार मानी और साथ जाने के लिए कार्यालय से छुट्टी ले ली। जी.पी.एफ. से कुछ ऋण लिया, साली की लड़की के लिए एक अच्छा सा गिफ्ट लिया और चल पड़ा
  • Read Free
वैश्या वृतांत - 15
लक्ष्मी बनाम गृहलक्ष्मी यशवन्त कोठारी दीपावली के दिनों मे गृहलक्ष्मियों का महत्व बहुत ही अधिक बढ़ जाता है, क्योंकि वे अपने आपको लक्ष्मीजी की डुप्लीकेट मानती हैं । लक्ष्मी और गृहलक्ष्मी दोनों खुश हो ...Read Moreदिवाली है, नहीं तो दिवाला है, और जीवन अमावस की रात है । सोचा इस दीपावली पर गृहलक्ष्मी पर एक सर्वेक्षण कर लिया जाये क्योंकि अक्सर मेरी गृहलक्ष्मी अब मायके जाने की धमकी देने के बजाय हड़ताल पर जाने की धमकी देती है । क्या इस देश की गृहलक्ष्मियों को हड़ताल पर जाने का कोई मौलिक अधिकार है ? और यदि है
  • Read Free
वैश्या वृतांत - 16
हिरोइन पर लिखने के फायदे यशवन्त कोठारी वे वर्षों से साहित्य के जंगल में अरण्यरोदन कर रहे थे, किसी ने घास नहीं डाली। यदा-कदा किसी लघु पत्रिका में उनकी कोई कहानी-कविता छप जाती, जिसे ...Read Moreनहीं पढता । वे पाठकों की तलाश में काफी समय तक मारे-मारे फिरते रहे । कुछ समझ नहीं पा रहे थे कि पाठक क्या पढ़ते हैं या पाठक उन्हें क्यों नहीं पढ़ते । आखिर पाठक चाहता क्या है ? वे अक्सर पूछते । जब सब तरफ से फ्री हो जाते तो वे अक्सर मेरे पास आ बैठते और कहते- ‘यार आजकल
  • Read Free
वैश्या वृतांत - 17
कुंवारी कन्याओं का कुवांरा पर्व-साँझी-- यशवन्त कोठारी राजस्थान, गुजरात, ब्रजप्रदेश, मालवा तथा अन्य कई क्षेत्रों में सांझे का त्यौहार कुंवारी कन्याएं अत्यन्त उत्साह और हर्ष से मनाती हैं। श्राद्धों के प्रारम्भ के साथ ही याने आश्विन मास के ...Read Moreपक्ष से ही इन प्रदेशों की कुंवारी कन्यांए सांझा बनाता शुरू करती हैं जो सम्पूर्ण पितृपक्ष में चलता है।घर के बाहर, दरवाजे पर दीवारों पर कुंवारी गाय का गोबर लेकर लड़कियां विभिन्न आकृतियां बनाती है। उन्हें फूल पत्तों, मालीपन्ना सिन्दूर आदि से सजाती है और संध्या समय उनका पूजन करती है। संजा के समय निम्न गीत गाया जाता हैं।संझा का पीर
  • Read Free
वैश्या वृतांत - 18
शरद ऋतु आ गयी प्रिये ! ...Read More यशवन्त कोठारी हां प्रिये, शरद ऋतु आ गयी है। मेरा तुमसे प्रणय निवेदन है कि तुम भी अब मायके से लौट आओ ! कहीं ऐसा न हो कि यह शरद भी पिछली शरद की तरह कुंवारी गुजर जाए। बार बार ऋतु का कुंवारी रह जाना, स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है- ऐसा सयानों का कहना है। जब कभी ऋतुवर्णन के लिए साहित्य खोलता हूं तो मुझे बड़ा आनन्द आता है। इस प्रिय ऋतु के बारे में कवियों ने काफी लिखा है, और बर्फ की तरह जमकर लिखा है। जमकर लिखने वालों में
  • Read Free
वैश्या वृतांत - 19
कहानी डबल बेड की  यशवन्त कोठारी वैसे मेरी शादी काफी वर्षो पूर्व हो गई थी। उन दिनों डबल बेड का रौब दाब राज-महाराजाओं तक ही था। हर शादी ...Read More बेड आने का रिवाज नहीं था। आजकल तो नववधू के साथ ही डबल बेड आ जाता है। इसे बनवाने की समस्या अब नहीं आती। मगर मेरे साथ समस्या है क्यों कि तब डलब बेड साम्यवादी नहीं हुआ था जनाब। एक रोज पत्नी ने कह दिया, ‘‘अब तो एक बेड बनवा ही डालो। पूरे मोहल्ले में एक हमारे पास ही डबल बेड नहीं है। मुझे तो बड़ा बुरा लगता
  • Read Free
वैश्या वृतांत - 20
चलो बहना सब्जी लायें यशवन्त कोठारी ‘आज क्या सब्जी बनाऊं ? यदि आप पति हैं तो यह वाक्य हजारों बार सुना होगा और यदि आप पत्नी हैं तो यह प्रश्न हजारों बार पूछ़ा होगा। यदि दोनो ही ...Read Moreहैं तो आपकी सूचनार्थ सादर निवेदन है कि दाम्पत्य जीवन के महाभारत हेतु ये सूत्र वाक्य है। जो दाम्पत्य जीवन के रहस्यों से परिचित हैं , वे जानते हैं कि सब्जी क्या बनाउं से शुरू हो कर यह महाभारत कहां तक जाता है। खुदा का शुक्र है कि विज्ञान की प्रगति के कारण सब्जी लाने का कार्य आजकल साप्ताहिक रूप से
  • Read Free
वैश्या वृतांत - 21
अंधकार से प्रकाश की और ...Read More यशवन्त कोठारी जैसे जैसे रात गहराती जाती है , वैसे वैसे अन्धेरा बढ़ता जाता है और जैसे जैसे अन्धकार बढ़ता जाता है , वैसे वैसे प्रकाश के महत्व का पता लगता जाता है । अमावस्या की निविड़ अन्धकार वाली रात्रि ही तो दीपावली की रात्रि है , घोर अन्धकार पर प्रकाश के साम्राज्य को स्थापित करने वाली रात्रि । अन्तहीन अन्धेरा एक दीपक के मामूली प्रकाश से दुम दबाकर भाग जाता है , मगर आज कहां है वो दीपक , जो अन्धकार को प्रकाश में बदल दे । आज चारों ओर
  • Read Free
वैश्या वृतांत - 22
बीबी मांग रही वाशिंग मशीन यशवन्त कोठारी दीपावली पर नया खरीदना एक परंम्परा बन गयी है और जमाने की रफ्तार बड़ी तेजी से बदल रही है। पहले के जमाने ...Read More घर परिवार के अपने कायदे-कानून हुआ करते थे, मगर शहरीकरण तथा उपभोक्तावादी संस्कृति ने सब कायदे-कानूनों को ताक पर चढ़ा दिया है और रह गयी है एक नंगी भूख जो सीधे भोगवाद की ओर ले जाती है। घर-परिवार सीमित हो गये। छोटे परिवार सुखी परिवार हो गये और इन सुखी परिवारों के अपने-अपने दुःख हो गये। मोहल्ले-पड़ौसी समाप्त हो गये। नदी, तालाब, घाट पर कपड़े धोने की
  • Read Free
वैश्या वृतांत - 23
सूट की राम कहानीयशवंत कोठारी ज्यों ही सर्दियां शुरू होती हैं, मेरे कलेजे में एक हूक-सी उठती है, काश मेरे पास भी एक अदद सूट होता, मैं भी उसे पहनता, बन ठन कर साहब बनता और सर्दियों की ...Read Moreबर्फीली हवाओं को अंगूठा दिखाता । ज्योंही दूरदर्शन वाले तापमान जीरो डिग्री सेंटीग्रेड हो जाने की सूचना देते, मैं सूट के सब बटन बन्द कर शान से इठलाता । मगर अफसोस मेरे पास सूट न था । आज से बीस बरस पहले शादी के समय ससुराल से एक दो सूट प्राप्त हुए थे, मगर जैसे-जैसे बिवी चिड़चिड़ी होती गई, सूट के
  • Read Free
वैश्या वृतांत - 24
ऐसे स्वागत कीजिए जीवन की सांझ का देश में इस समय करोडो लोग ऐसे हैं जिनकी आयु 60 वर्प या उससे अधिक है। बड़े बूढ़ों का इस देश में हमेशा ही सम्मान और आदर रहा है, लेकिन बदलते हुए सामाजिक ...Read Moreटूटते हुए परिवार और बढ़ता हुआ ओद्योगिकरण हमारी इस महत्वपूर्ण सामाजिक इकाई पर कहर ढा रहे हैं।
  • Read Free
वैश्या वृतांत - 25
प्राचीन भारतीय दर्शन व संस्कृति में अहिंसा को सर्वोपरि स्थान दिया गया है । जैन धर्म का यह मुख्य सिद्धान्त है । जैन साहित्य में 108 प्रकार की हिंसा बताई गई है । हिंसा को अहिंसा में बदलने की ...Read Moreको मानवता कहा गया है । बौद्ध धर्म में भी अहिंसा को सदाचार का प्रथम व प्रमुख आधार माना गया है । अहिंसा परमो धर्मः कहा गया है। रमण मर्हिर्ष ने अहिंसा को सर्वप्रथम धर्म माना है । अहिंसा को अल्बर्ट आइन्सटीन, जार्जबर्नांड शा, टाल्स्टाय, शैली तथा अरस्तू तक ने अपने विचारों में उचित और महत्त्वपूर्ण स्थान दिया है।
  • Read Free
वैश्या वृतांत - 26
अहिंसा और करुणा भारतीय संस्कृति एवं वागंमय के प्रमुख आधार रहे हैं। बिना करुणा के भारतीय चिन्तन धारा का विकास संभव नहीं था। वास्तव में करुणा जीवन का अमृत है। साधना का प्रकाश है। जिस व्यक्ति के मन में ...Read Moreनहीं है, वह नर हो ही नहीं सकता । जीव मात्र के प्रति करुणा मानव जीवन की सफलता के लिए आवश्यक है । प्राचीन भारतीय ऋषियों, मुनियों, ज्ञानियों, तपस्वियों ने परम—पिता को करुणा—निधान कहा है । साहित्य, संस्कृति, कला सभी में करुणा—रस को प्रधानता दी गई है।
  • Read Free
वैश्या वृतांत - 27
भारतीय संस्कृति में क्षमा-दान को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है । प्राचीन वैदिक साहित्य, पौराणिक साहितय में क्षमा कर देना सबसे बड़ा भूषण माना गया है जो क्षमा नहीं कर सकता उसमें मानवता की कमी है । क्षमा मांगना ...Read Moreहो सकता है, मगर क्षमा करना उससे भी कठिन होता है । लेकिन क्षमा कर देने पर जो आत्मिक सुख, मानसिक संतोष मिलता है, वह अनिर्वचनीय है, अनन्त है । क्षमा सभी धर्मों में महत्त्वपूर्ण मानी गई है ।
  • Read Free
वैश्या वृतांत - 28
गणेशजी को याद करने के दिन आगये हे। गणेश जो सभी देवताओ में सर्व प्रथम पूजित हे, यहाँ तक की गणेशजी के पिताजी शिवजी व् माता शक्ति स्वरूपा पार्वती का नम्बर भी उनके बाद आता हे। गणेशजी की याद ...Read Moreसाथ साथ उनके वहां चूहे और लड्डुओं की याद आना भी स्वाभाविक हे। सरकारी फ़ाइल कुतरने में चूहे का जवाब नहीं और सरकारी गैर सरकारी भ्रस्टाचार के लड्डुओं को उदरस्थ करने में सरकारी बाबुओ, नेताओ अफसरों चमचो चाटुकारो का जवाब नहीं।
  • Read Free
वैश्या वृतांत - 29
विश्व पति प्रधान है. भारत भी पतिप्रधान है. पति अपनी द्रष्टि में आदरणीय पत्नी की द्रष्टि में हैय और समाज की द्रष्टि में दयनीय प्राणी होता है. पति का सम्बन्ध पत्नी से है. पति में मात्र छोटी लेकिन पत्नी ...Read Moreमें मात्र बड़ी होती है, और यहीं कारण है की पति हमेशा छोटा और पत्नी बड़ी होती हैं. इधर लोगों ने पतियों पर शोध शुरू किये हैं, मैं भी शोध कर पति होने का प्रतिशोध लूँगा. अत:मेने पति पर एक प्रतिशोध प्रलाप का विषय चुना है. इस लघु भूमिका के बाद मैं मूल विषय की और अग्रसर होता हूँ.
  • Read Free
वैश्या वृतांत - 30 - अंतिम भाग
वैश्या वृतांत यशवन्त कोठारी अपराधी बच्चे और शिक्षक की भूमिका स्वच्छंदता, उच्छृंखला, बदलता सामाजिक मूल्यों तथा राजनीतिक जागरुकता ने छात्रों और अध्यापकों के बीच की खाई को बहुत चौड़ा कर दिया है। यही कारण है कि छात्रों, खासकर कम ...Read Moreके बालकों में अपराध मनोवृति बहुत बढ़ती जा रही है। पाश्चात्य सभ्यता की अंधी नकल और सिनेमा आदि के कुप्रभावों ने बालकों में विभिन्न प्रकार की अपराधी प्रवृत्तियां उत्पन्न की हैं और ये प्रवृत्तियां तेजी से बढ़ रही हैं, जो आने वाले समय के खतरे के निशानों को पार कर जाने वाली है। प्रारंभिक सर्वेक्षणों से पता चला है कि
  • Read Free
आटे पर बैंक लोन !
आटे पर बैंक लोन ! ...Read More यशवन्त कोठारी बैंक वाली बाला का फोन था। रिसीव किया ,तो मधुर आवाज गंूजी - ‘सर ! आपके लिए खुशखबरी !! हमारी बैंक ने आटे और गेहूं खरीदने के लिए भी लोन देना ष्शुरू कर दिया है । आप जैसे गरीब लेखकों को ईएमआई की सुविधा देने का निर्णय किया गया है। सर ,आप बैंक आएं और अनाज के लिए लोन ले लें तथा आसान ईएमआई से चुका दें । ऐसे सुनहरे अवसर बार -बार नहीं आते । आप यह मौका हाथ से न जाने दें । हमारे बैंक से आटा
  • Read Free
नोट बंदी –माइक्रो व्यंग्य
नोट बंदी –माइक्रो व्यंग्य १ सरकार कन्फ्यूज्ड हैं ...Read More यशवंत कोठारी १९३४व १९३८ में १००० व् १०००० के नोट पहली बार चलाये गए थे.इन् नोटों को १९४६ में विमुद्रिक्रत कर दिया गया था. १९५४ में नए नोट चलाये गए थे .१७ जनवरी १९७८ को इन नोटों को तत्कालीन प्रधान मंत्री मोरारजी देसाई ने बंद कर दिया . उस समय H M पटेल वित्तमंत्री थे, जो मोरारजी के वित्त्मंत्रित्व काल में वित्त सचिव थे , नोट बंदी के समय रिज़र्व बैंक के गवर्नर I G पटेल थे. उस समय भी बैंकों को बंद कर दिया गयाथा.काले धन को रोकने
  • Read Free
उच्च शिक्षा पर उच्च शिक्षा कमिशन
-उच्च शिक्षा पर उच्च शिक्षा कमिशन ...Read More यशवंत कोठारी केंद्र सरकार ने उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधा र के लिए विश्वविद्द्यालय अनुदान आयोग के स्थान पर उच्च शिक्षा कमिशन बनाने का एक ड्राफ्ट जा री किया है.देश में उच्च शिक्षा की जो हालत है उस से सभी परिचित है.लगभग सबी सरकारी गेर सरकारी विश्व विद्यालय दयनीय दशा में है.सरका र की और से निजी संस्थानों को बड़ी राशी ले कर लाइसेंस दिए जा रहे हैं,इसके बाद ये संसथान पैसे जमा कराओ डिग्री ले जाओ के सिद्धांत चलते है,फीस इतनी तगड़ी की छात्र नहीं दे पा ते,हर कम के लिए अलग
  • Read Free
भागो, भागो बुद्धिजीवी आया।
--भागो, भागो बुद्धिजीवी आया। यशवन्त कोठारी मैनें एक जाने-माने बुद्धिजीवी को नमस्कार करने का प्रयास किया मगर मैं हिन्दी का अदना लेखक, वो देश का प्रखर बुद्धिजीवी। उसने मेरे नमस्कार का जवाब देना उचित ...Read Moreसमझा। इसका कारण मेरी समझ में तब आया जब वही बुद्धिजीवी एक देशी छोकरी को विदेशी शराब का महत्व समझाते हुए पकड़ा गया। बुद्धिजीवीयों का बेशरम होना बहुत जरूरी है, वे शरम, लज्जा, भय, इज्जत जैसी छोटी चीजों की परवाह नहीं करते। जब भी दो चार बुद्धिजीवी एक विषय पर विचार करने एकत्र होते हैं, एक दूसरे की छीछालेदर करने में कोई कसर
  • Read Free
लू में कवि
लू में कवि ...Read More यशवन्त कोठारी तेज गरमी है। लू चल रही है। धूप की तरफ देखने मात्र से बुखार जैसा लगता है। बारिश दूर दूर तक नहीं है। बिजली बन्द है। पानी आया नहीं है, ऐसे में कवि स्नान-ध्यान भी नहीं कर पाया है। लू में कविता भी नहीं हो सकती, ऐसे में कवि क्या कर सकता है? कवि कविता में असफल हो कर प्रेम कर सकता है, मगर खाप पंचायतों के डर से कवि प्रेम भी नहीं कर पाता। कवि डरपोक है मगर कवि प्रिया डरपोक नहीं है, वह गरमी की दोपहर में पंखा लेकर अवतरित
  • Read Free
पलटी मार कवि से मुलाकात
पलटी मार कवि से मुलाकात यशवंत कोठारी कल बाज़ार में सायंकालीन आवारा गर्दी के दौरान पल्टीमार कवि फिर मिल गए.बेचारे बड़े दुखी थे.उदास स्वर में बोले-क्या बताऊँ यार पहले एक संस्था में घुसा थोड़े ...Read Moreसब ठीक ठाक रहा लेकिन कुछ पुराने खबिड अतुकांत कवियों ने मुझ गीतकार को मुख्य धारा से अलग कर दिया .मेरी किताब को खोल कर भी नहीं देखा. साहित्य में छुआ छु त व अस्प्रश्य ता का ऐसा उदाहरण .हर प्रोग्राम में मेरा काम केवल माइक,कुर्सियों की व्यवस्था तक ही सिमित हो गया.चाय समोसे भी सबसे बाद में मिलते.एक पूंजीपति ने पूरी संस्था को जेब
  • Read Free
दास्तान मुग़ल महिलाओं की व् दास्तान मुग़ल बादशाहों की
पिछले दिनों दास्तान मुग़ल महिलाओं की व् दास्तान मुग़ल बादशाहों की लेखक हेरम्ब चतुर्वेदी पढ़ी गयी.इन दोनों पुस्तकों को इतिहास से लबरेज़ बताया गया .चतुर्वेदी इतिहास के प्रोफेसर है व् मुग़ल कल के विशेषग्य भी है ...Read Moreको सोच कर ये पुस्तकें खरीदी व् पढ़ी . वास्तव में मुग़ल कालीन इतिहास को लिखना और समझना इतना आसन नहीं है.इस पर लम्बी व् मोटी किताबें है . मुग़ल महिलाओं की पुस्तक में चंगेज खान की पुत्र वधु ,बाबर की नानी ,अकबर की माँ हर्र्म बेगम अनारकली पर अलग अलग लिखा गया है जो आधा अधुरा है अनारकली व् बाबर की प्रेमिकाओं
  • Read Free
स्वांग -शेर से चले बकरी तक पहुंचे
स्वांग -शेर से चले बकरी तक पहुंचे एक पाठकीय प्रतिक्रिया - यशवंत कोठारी मराठी में मधुकर क्षीरसागर की एक पुस्तक स्वांग पूर्व में देखि थी.स्वांग -एक अध्ययन -हिमांशु द्विवेदी व् नवदीप कौर का भी देखा.स्वांग ...Read Moreका एक लोक नाट्य है जैसे राजस्थान में गवरी लोक नाट्य .यह लोक नाट्य बुन्देल खंड में लोकप्रिय है.वैसे आजकल पुष्पा जिज्जी भी बुन्देल खंडी हास्य व्यंग्य से भरपूर विडीओ दे रहीं हैं,जो काफी प्रभावशाली है.इस तरह के स्वांग हर तरफ है.सब स्वांग कर रहे हैं. स्वांग उपन्यास जल्दी ही अमेज़न से आगया,जल्दी लेने से थोडा महंगा पड़ता है ,लेकिन शुरू का आनंद ही
  • Read Free
प्रेग्नेंट किंग और प्रेग्नेंट हस्बैंड
एक पाठकीय प्रतिक्रिया प्रेग्नेंट किंग और प्रेग्नेंट हस्बैंड यशवंत कोठारी देवदत्त पटनायक की पुस्तक -प्रेग्नेंट किंग नज़र से गुजरी कल ही विभारानी के नाटक-प्रेग्नेंट हस्बैंड के बारे में भी पढ़ा ,इस नाटक को फार्स नाटक बताया गया ,फार्स ...Read Moreस्वांग ,तमाशा मनोरंजन .दोनों ही रचनाओं का मुख्य पात्र महाभारत के कथानक से लिया गया है. पौराणिक साहित्य का वापस प्रस्तुतीकरण आजकल काफी चर्चा में है.पौराणिक रचनाओं का पुनर्लेखन हो रहा है.फ़िल्में धारावाहिक व वेब सीरीज बन रहीं है. पुराणों,उपनिषदों राम कथा,कृष्ण कथा, गीता भा गवत का पुनह प्रस्तुतीकरण हो रहा है व नई पीढ़ी इसे पसंद भी कर रही है.यह
  • Read Free
कामयोगी उपन्यास -- सुधीर कक्कड़ यशवंत कोठारी
एक पाठकीय प्रतिक्रिया कामयोगी उपन्यास -- सुधीर कक्कड़ यशवंत कोठारी यह पुस्तक काफी समय पहले खरीदी गयी थी ,किताबों के ढेर में दब गयी ,अचानक हाथ आई ,रोचक लगी ,पढ़ गया ,सोचा पाठकों तक भी कुछ सामग्री पहुंचाई ...Read More, सो यह पाठकीय प्रतिक्रया पेश -ए-खिदमत है. द असेटिक ऑफ़ डिज़ायर सुधीर कक्कड़ का पहला उपन्यास है जो हिंदी में काम योगी के नाम से छपा .अपनी तरह का यह पहला उपन्यास है ,जो काम -सूत्र के प्रणेता वात्स्यायन के जीवन को आधार बना कर लिखा गया है .सुधीर जाने माने मनोरोग चिकित्सक है उनका तकनिकी लेखन काफी चर्चित रहा
  • Read Free
कथा बुड्ढी भटियारिन व काग मंजरी की
कथा बुड्ढी भटियारिन व काग मंजरी की एक था गाँव गाँव के बाहर थी एक धर्मशाला याने कि सराय रोहिल्ला जो सराय काले खां के बग़ल में थीं जहां आते जाते बटोही रात को ठहरते ओर सुबह उठ कर ...Read Moreजाते धंधा चौखा चल रहा था ऐसे ही एक दिन भटका हुआ यात्री आया भटियरिन ने उसे ठहराया खा पीकर जातरू सोने से पहले हुक्का पीने भटियरिन के पास आया हुक्के का कश खिंचा ओर बोला -हे शहर की मल्लिका कोई ताज़ा क़िस्सा बयान कर ताकि रात कटे कुछ थकान मिटे. भटियारिन खूब खेली खाई थी बोली हे राजा आज
  • Read Free
प्रोफेसर अशोक शुक्ल समग्र के बहाने
प्रोफेसर अशोक शुक्ल समग्र के बहाने - अशोक शुक्ल समग्र को छपते देख कर मुझे अपरिमित ख़ुशी हो रही है ,वे पुरानी पीढ़ी के सशक्तम हस्ताक्षरों में है ,८१ वर्ष की उम्र में उनका यह संकलन ...Read Moreदोहरी ख़ुशी देता है .वास्तव में उनको भुलाने वाले खुद भुला दिए जायेंगे ,क्योकि हाँ ,तुम मुझे यों भुला न पाओगे. अशोक शुक्ल समग्र में चार लघु व्यंग्य उपन्यास -प्रोफेसर -पुराण,हड़ताल ,हरिकथा ,सेवामीटर व हो गया साला भंडारा ,दो व्यंग्य संकलन ,शताधिक व्यंग्य लेख,कवितायेँ ,व् अन्य सामग्री संकलित है.हिंदी के युवा व् प्रतिभाशाली प्राध्यापक डा.राहुल शुक्ल ने बड़ी मेहनत व लगन से
  • Read Free
...होना चोरी कवि-प्रिया की कार का
...होना चोरी कवि-प्रिया की कार का यशवंत कोठारी कवि-प्रिया की कार जो थी वो चोरी हो गयी.कवि प्रिया रूठ गयी.कवि घबरा गया ,लेकिन कवि प्रिया की प्रिय कार ढूँढ कर लाना कोई आसान काम नहीं था. ...Read Moreयों की हास्यास्पद रस के प्रसिद्द कवि ने चार चुटकलों की मदद से कवि सम्मेलनों से करोड़ों कूट लिए थे.कविता की दलाली में इतना पैसा है यह कवि को इस दलदल में आकर ही पता चला.उसने नौकरी छोड़ी ,छोकरी पकड़ी ,उसे मंच के लटके झटके सिखाए ,चार चुटकले पकड़ाये खुद को कवि प्रिया का मालिक घोषित किया सुरीला कंठ ,देह दर्शन की सुविधा
  • Read Free
बरसों घनस्याम इसी मधुबन में ...
बरसों घनस्याम इसी मधुबन में ... यशवन्त कोठारी वर्षा का आना एक खबर है। वर्षा का नहीं आना उससे भी बड़ी खबर है। वर्षा नहीं तो अकाल की खबर हो जाती है। कल तक जो ...Read Moreको लेकर चिल्ला रहे थे वे ही आज वर्षा के आगमन पर हर्ष की अभिव्यक्ति कर बाढ़ बाढ़ खेल रहे है। जो नेता अफसर अकाल की सेवा में थे वे ही अब बाढ़ की व्यवस्था कर अपना घर भरने में लग गये है।आसमान में उमड़ते धुमड़ते बादल, चमकती बिजली, मेध गर्जन और तेज बौछारें मन को गीला कर जाती हैं। उदासी कहीं
  • Read Free
वन लाइनर, फन लाइनर, गन लाइनर : फेस बुकी टुकड़े
--वन लाइनर ,फन लाइनर ,गन लाइनर :फेस बुकी टुकड़े यशवंत कोठारी ...Read More 1-इधर मैने किताब बेचने के बारे में नया सोचा -किसी संपादक को किताब दो,फिर धीरे से एक रचना खिसका दो ,रचना छपेगी, उसके पारिश्रमिक को किताब बेचना कह सकते है,-मैं ऐसा सा कर चुका हूँ. २-मठाधिशों को मठ्ठाधिशों से बचाओ. ३-हिंदी व् मैथिली भाषा के बीच बहस जारी है,राजस्थानी भाषा वाले...- ४-एक बड़े मठाधीश हर साल एक ही नए प्रकाशक की पुस्तके अपने विभाग में खरीदते है,कुछ दिनों बाद उस संसथान से उनकी पुस्तक आती है ,यही बाजारवाद है . ५-वंश वाद संस्थाओं को नष्ट
  • Read Free
देश और बैलगाड़ी
देश और बैलगाड़ी जैसा कि शायद आप जानते होंगे, ...Read Moreदेश में बैलगाड़ियांे की बहुतायत है। पिछले वर्षांे में परिवहन के क्षेत्र में हम बैलगाड़ी से चलकर बैलगाड़ी तक ही पहुंच पाये। ईश्वर ने चाहा तो हम बैलगाड़ी में बैठ कर ही इक्कीसवीं शताब्दी में जायेंगे। तमाम प्रगतिशीलता के बावजूद अभी भी बैलगाड़ी से ही चल रहे हैं। देश में औद्योगिक क्रांति हुई, देश में राजनीतिक क्रांति हुई। देश में वैचारिक क्रांति हुई। पिछले दिनांे सांस्कृतिक क्रांति भी हुई मगर बैलगाड़ी है कि इस विकासशील देश का पीछा ही नहीं छोड़ रही। हमारी कुल प्रगति बैलगाड़ी
  • Read Free
मेट्रो का मारा
मेट्रो का मारा यशवंत कोठारी योजना आयोग के सदस्य ने फ़रमाया ...Read Moreकी चार दिवारी को मेट्रो की जरूरत नहीं है ,हमसब भी काफी समय से यहीं कह रहे हैं मगर सारकार सुनती ही नहीं है.सारकार ने अपने फायदे केलिए इस विश्व प्रसिद्द शहर की विरासत को नष्ट कर दिया है.लाखो पर्यटको ने आना बंद कर दिया है. इस खुबसूरत शहर को किसी की नज़र लग गई है .सुबह सुबह ही कवि कुलशिरोमणि सायंकालीन आचमन का प्रातकालीन सेवन कर बडबडा रहे थे. पूछने पर बताया –मेट्रो ने इस आबाद शहर को बर्बाद कर दिया है . शहर कहीं से
  • Read Free
होना बादशाह का कथा नायक
ताज़ा व्यंग्य -कथा होना बादशाह का कथा नायक यशवंत कोठारी खलक ख़ुदा का ! मुलक बादशाह का !! शहर कोतवाल का!!! बा अदब बा मुलाहिज़ा होशियार !!!! हर ख़ास ओ आम को ...Read Moreकी जाती है की बादशाह ने तय किया है की उसे लोक कथा का नायक बनाया जाय. आज से सब लोक कथाओं का नायक बादशाह को ही बनाया जायगा . जो ऐसा नहीं करेगा उसका सर कलम कर दिया जायगा. तड़ तड़ा तड़…. तड़ तड़ ... तड़ तड़ा तड़…. तड़ तड़ ...डून्डी पिटी. जो हुकम मेरे आका .मेरे मालिक ,जनता बोली मगर बात बनी नहीं . बादशाह ने वजीर को दौड़ाया ,सचिव दोड़े पूरा महकमा- खास चिंता करने लगा बादशाह हुक्म को लोक कथा में जगह मिलनी चाहिए.लेखकों कवियों को हुक्म तो सुना दिया मगर ये कवि सुनते ही किसकी है? पुरानी पोथियाँ बिखेरी गयी, वेद पुराण उपनिषद खंगाले गए. इसके बाद साहित्य ,कला सब को ऊँचा नीचा किया
  • Read Free
नारी के दर्द को अभिव्यक्त करता है व्यंग्य
यशवंत कोठारी नारी के दर्द को अभिव्यक्त करता है व्यंग्य श्रीमती शैलजा माहेश्वरी ने अपनी इस पुस्तक में हिंदी व्यंग्य में नारी की भूमिका का विस्तृत विवेचन प्रस्तुत किया है.घर परिवार ,बाहर की दुनिया ,नौकरी स्वयं का व्यवसाय हार ...Read Moreमें नारी की समस्याओं को जिन व्यंग्यों में उकेरा गया है उन पर लेखिका ने गहरा शोध किया है ,उन समस्याओं को समझा है और विश्लेषित किया है.आलोचना के क्षेत्र में नारी वाद की स्थापना नहीं हुई है.हिंदी आलोचना में स्त्री का पक्ष नहीं सुना गया.व्यंग्य में तो स्त्री -लेखन या महिला व्यंग्य कारों का लेखन ही बहुत कम है
  • Read Free
तिजोरी पर चर्चा यशवंत कोठारी
तिजोरी पर चर्चा यशवंत कोठारी दीपावली के अवसर पर सभी चर्चाएं बिना तिजोरी की चर्चा के ...Read Moreहै तथा धन के देवता कुबेर ने भी धन को तिजोरी में ही रखा होगा। सरकारी खजाना हो या व्यक्तिगत धन तिजोरी में ही रखा जाता है तथा रखा जाना चाहिए। पुराने समय में भी धन को लोहे या लकड़ी की तिजोरी में ही रखा जाता या घर के अन्दर तहखाने में या एक विशेप कमरे में एक लोहे या लकड़ी की मजबूत पेटी रखी रहती है, जिसमे नकदी, सोना, चांदी तथा अन्य मूल्यवान वस्तुओं को सुरक्षित रखा जाता
  • Read Free
व्यग्यं के सलीब पर टंगे मसीही चेहरे
व्यग्यं के सलीब पर टंगे मसीही चेहरे ...Read More यशवन्त कोठारी व्यग्यं के क्षेत्र में हर लेखक, पत्रकार, कवि, कहानीकार अपना भाग्य आजमा रहा है। स्थिति ऐसी हे कि हर कोई व्यग्यं का सलीब लेकर चलने को तैयार हो रहा है। मामला राजधानी का हो या कस्बे का या महानगर का हर कोई व्यग्यं का माल ठेले पर रख कर गली गली निकल पड़ा है। व्यग्यं ले लो की आवाजे आती है और मोहल्ले वाले दरवाजे बन्द कर खिड़कियों से झांकने लग जाते है। लेकिन कुछ लोग अभी भी दुनिया को खिड़की के बजाय छत पर से देखना पसन्द करते
  • Read Free
राम कथा - अनन्ता
राम कथा - अनन्ता राम के चरित्र ने हजारों वर्षों से लेखकों, कवियों, कलाकारों, बुद्धिजीवियों को आकर्षित किया है, शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जिसमें राम के चरित्र या रामयण की चर्चा न होती ...Read Moreराम कथा स्वयं में सम्पूर्ण काव्य है, संपूर्ण कथा है और संपूर्ण नाटक हैं। इस संपूर्णता के कारण ही राम कथा को हरिकथा की तरह ही अनन्ता माना गया है। फादर कामिल बुल्के ने सुदूर देश से आकर राम कथा का गंभीर अध्ययन, अनुशीलन किया और परिणामस्वरूप राम कथा जैसा वृहद ग्रन्थ आकारित हुआ। रामकथा के संपूर्ण परिप्रेक्ष्य को यदि देखा जाये
  • Read Free
राजस्थान की लोक संस्कृति :एक विहंगम द्रष्टि
राजस्थान की लोक संस्कृति :एक विहंगम द्रष्टि ...Read More यशवंत कोठारी रंगीले राजस्थान के कई रंग हैंण् कहीं रेगिस्तानी बालू पसरी हुई है तो कही अरावली की पर्वत श्रंखलायें अपना सर ऊँचा कर के ख ड़ी हुई है ण्इस प्रदेश में शोर्य और बलिदान ही नहीं साहित्य और कला की भी अजस्र धारा बहती हैण्चित्र कलाओं ने भी मानव की चिंतन शैली को विकसित व् प्रभावित किया है ण्संस्कृति व् लोक संस्कृति के लिहाज़ से राजस्थान वैभवशाली प्रदेश हैंण्राजस्थान में साहित्य एसंस्कृति कला की त्रिवेणी बहती हैंए जीवन कठिन होने के कारण इन कलाओं ने मानव
  • Read Free
दर्द ए-दांत से दर्द-ए-दिल तक
दर्द ए-दांत से दर्द-ए-दिल तक यशवंत कोठारी ...Read More जीवन का साठवां बसन्त या पतझड़ चल रहा है। बुढ़ापे का शरीर।बुढ़ापे की आंखे। बुढ़ापे के दांत। अक्सर कहीं न कहीं दर्द होता रहता है। सुबह से दाढ़ में दर्द था। दॉतों के डाक्टर की तलाश में निकला। प्राथमिक मुआईना करके डाक्टर ने मासूम सी राय दी ’यह दांत निकलवाना पड़ेगा। मगर मेरी इच्छा दांत निकलवाने की नहीं थी दूसरे डाक्टर के पास गया। एक्सरे के बाद उस डाक्टर की राय भी पहले वाले डाक्टर की तरह ही थी, दांत निकलवा दो नही तो दूसरे दांत भी खराब हो जायेंगे।
  • Read Free
एम. एल. ए. साहब
व्यंग्य कथा एम. एल. ए. साहब  यशवन्त कोठारी जब भगवान देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है और मनोहर के साथ भी यही हुआ। गांव ...Read Moreका मनोहर शरीर से हट्टा-कट्टा कद्दावर लड़का था। एक दिन स्कूल मं मास्टरजी से झगड़ा हो गया और उसने स्कूल न जाने का तय किया बाप रामकिशोर स्टेशन पर कुलीगिरी करता था और बेटा गांव में मारा-मारा फिरता था। लेकिन जब दिन फिरते हैं तो ऐसे फिरते हैं। जैसे मनोहर के दिन फिरे, सभी के फिरे। हुआ यूं कि मनोहर स्टेशन पर टहल रहा था कि देखा प्रथम श्रेणी
  • Read Free
लघु कथाएं
लघु कथाएं अमंगल में भी मंगल यशवन्त केाठारी एक राजा और उसके मंत्री में बहुत दोस्ती थी । राजा हर काम करने से पहले मंत्री से पूछता था और मंत्री का एक ...Read Moreजवाब होता था, ‘महाराज, अमंगल में भी मंगल छिपा है ।’ राजा अकसर यह सोचकर परेशान होता था कि यह अमंगल मे मंगल कैसे छिपा होता है ? एक बार राजा की उँगली में भयंकर फौड़ा हुआ और उसकी उँगली काटनी पड़ी। राजा ने मंत्री से पूछा तो उसका फिर वही जवाब था, ‘अमंगल में भी मंगल छिपा है ।’ राजा को बहुत
  • Read Free
पद्मश्री और मैं
पद्मश्री और मैं यशवन्त कोठारी हर काम बिल्कुल सुनिश्चित पूर्व योजना के अनुरूप हुआ। इसमें कुछ भी अप्रत्याशित नहीं था। मुझे यही उम्मीद थी, और मेरी उम्मीद को उन्होने पुर्ण निप्ठा के साथ पूरा किया था। किस्सा कुछ इस ...Read Moreहै, उन्होने इस बार अपने कांटे में एक बड़ा केंचुआ बांधा, जाल डाला और किनारे पर बैठकर मूंगफली का स्वाद चखने लगे। मैं भी पास ही खड़ा था। पूछा तो उन्होंने बताया, इस बार उन्होने इस बड़े केंचुए को इसलिए बांधा है कि कोई बहुत बड़ी मछली उनके जाल में फंसे ; और उन्हें इस बात का विश्वास था कि
  • Read Free
बटुक दीक्षा समारोह
बटुक दीक्षा समारोह यशवंत कोठारी हिंदी व्यंग्य साहित्य में बटुक व्यंग्यकारों का दीक्षा संस्कार करने का एक नया ...Read Moreदेखने में आया है .इस चलन के चलते कई बटुक उपनयन संस्कार हेतु यजमान, पंडित,आदि ढूंढ रहे हैं. वर्षों पहले मनोहर श्याम जोशी ने साहित्य में वीर बालक काल की स्थापना की थी उसी पर म्परा का निर्वहन करते हुए मैं व्यंग्य में बटुकवाद की घोषणा करता हूँ .बटुक बिना किसी मेहनत के क्रांतिवीर कहलाने को आतुर रहते हैं.बटुकों का दीक्षा संस्कार स्वयंभू बड़े मठाधीश, संपादक, प्रकाशक करते हैं, यदि आप स्वयं ही पत्रिका में मालिक ,संपादक प्रकाशक व् घरवाली
  • Read Free
बिकने का मौसम
व्यंग्य बिकने का मौसम यशवंत कोठारी इधर समाज में तेजी से ऐसे लोग बढ़ रहे हैं जो बिकने को तैयार खड़े हैं बाज़ार ऐसे लोगों से भरा पड़ा हैं,बाबूजी आओ हमें खरीदों.कोई फुट पाथ पर बिकने को ...Read Moreहै,कोई थडी पर ,कोई दुकान पर कोई ,कोई शोरूम पर,तो कोई मल्टीप्लेक्स पर सज -धज कर खड़ा है.आओ सर हर किस्म का मॉल है.सरकार, व्यवस्था के खरीदारों का स्वागत है.बुद्धिजीवी शुरू में अपनी रेट ऊँची रखता है ,मगर मोल भाव में सस्ते में बिक जाता है.आम आदमी ,गरीब मामूली कीमत पर मिल जाते है.वैसे भी कहा है गरीब की जोरू सबकी
  • Read Free
चर्चा आम की
चर्चा आम की यशवन्त कोठारी इधर काफी समय से एक विज्ञापन पर ...Read More जमीं हुई थीं, जिसमें एक युवती आम-सूत्र शब्द का उच्चारण इस अंदाज में करती है कि दर्शकों-पाठकों को काम-सूत्र शब्द का आभास होता था। इधर सियासत में भी आम काफी चर्चा में हैं. कवि हैरान परेशान था। इधर आम का मौसम आ गया है, सो कवि ने काम-सूत्र की तर्ज पर आम-सूत्र पर लिख मारा। जैसा कि चचा गालिब फरमा गये है केवल गधे ही आम नहीं खाते चूंकि कवि गधा नहीं है सो आम
  • Read Free
मेट्रो का मारा
-मेट्रो का मारा यशवंत कोठारी योजना आयोग के सदस्य ने फ़रमाया ...Read Moreकी चार दिवारी को मेट्रो की जरूरत नहीं है ,हमसब भी काफी समय से यहीं कह रहे हैं मगर सारकार सुनती ही नहीं है.सारकार ने अपने फायदे केलिए इस विश्व प्रसिद्द शहर की विरासत को नष्ट कर दिया है.लाखो पर्यटको ने आना बंद कर दिया है. इस खुबसूरत शहर को किसी की नज़र लग गई है .सुबह सुबह ही कवि कुलशिरोमणि सायंकालीन आचमन का प्रातकालीन सेवन कर बडबडा रहे थे. पूछने पर बताया –मेट्रो ने इस आबाद शहर को बर्बाद कर दिया है . शहर कहीं से
  • Read Free
व्यंग्य बुरे फंसे कार खरीदकर
व्यंग्य बुरे फंसे कार खरीदकरयशवन्त कोठारी पहले मैं बेकार था। अब बाकार हो गया हूंॅं। कार का रंग मेरे दिल के रंग की तरह ही काला हैं। कहते हैं कि काले रंग पर किसी की नजर नहीं लगती इसी ...Read Moreमैंने इस कार का रंग भी काला ही लिया हैं, मगर अफसोस कार खरीदते ही इस पर आयकर वालों की नजर लग गई।आयकर वालों से नजर बचाई तो ट्ेफिक पुलिस वाले ने मुझ पर सीट बेल्ट नहीं बांधने पर जुर्माना ठोंक दिया जुर्माना भर कर आया तो कार को क्रेन उठाकर ले गई थी। वहां से निपटा तो पता चला
  • Read Free
होली के रंग हजार
होली के रंग हजार यशवन्त कोठारी होली पर होली के रंगों की चर्चा करना स्वाभाविक भी है और आवश्यक भी। अक्सर लोग-बाग सोचते हैं कि होली का एक ही रंग है क्योंकि जिये सो खेले फाग। मगर जनाब होली ...Read Moreरंग हजार हो सकते हैं, बस देखने वाले की नजर होनी चाहिए या फिर नजर के चश्मे सही होने चाहिए।गांव की होली अलग, तो शहरों की होली अलग तो महानगरों की होली अलग। एक होली गीली तो एक होली सूखी। एक होली लठ्ठमार तो एक होली कोड़ामार। बरसाने की होली का अलग संसार तो कृष्ण की होली और राधा का
  • Read Free
साहित्य
साहित्य मंे भारतीयता के मायने यशवंत कोठारी साहित्य में जब जब भारतीयता की बात उठती है तो यह कहा जाता है कि साहित्य में भारतीयता तलाशना साहित्य को एक संकुचितदायरे में कैद करना है, मगर क्या स्वयं की खोज ...Read Moreसंकीर्ण हो सकती है? वास्तव में संकीर्णता की बात करना ही संकीर्ण मनोवृत्ति है।सच पूछा जाए तो कोअहं अर्थात् अपने निज की तलाश ही भारतीयता है। और जब यह साहित्य के साथ मिल जाती है तो एक सम्पूर्णतापा जाती है। पश्चिमी साहित्य से आंक्रांत होकर जीने के बजाए हमें अपने साहित्य, अपनी संस्कृति से ऊर्जा ग्रहण करनी चाहिए। वैसे भीहम
  • Read Free
सरकार के सलाहकार
सरकार के सलाहकार ​यशवन्त कोठारी ​सरकार है तो सलाहकार भी है। ऐसी किसी सरकार की कल्पना नहीं की जा सकती है जिसके पास सलाहकार नहीं हो। वैसे भी सरकारों के पास सलाहकारों की कभी कमी नहीं रहती। किसी ने ...Read Moreही कहा है सलाह मुफ्त और बिना मांगे मिलती है। सलाहकार यदि सरकारी हो तो क्या कहने ? वो सरकार को हर काम के लिए सलाह देने को तत्पर रहता है। वैसे भी सलाहकारों का काम सरकारों को सलाह देकर डुबोना ही होता है। आपने कभी सोचा है कि सरकार के पास कितने प्रकार के सलाहकार हो सकते है ?
  • Read Free
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा
सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा यशवन्त कोठारी हमारे देश का नाम भारत है । भारत नाम इसलिए है कि हम भारतीय हैं । कुछ सिर फिरे लोग इसे इण्डिया और हिन्दुस्तान भी पुकारते हैं, जो उनको गुलामी के ...Read Moreकी याद दिलाते हैं । वैसे इस देश का नाम भारत के बजाय कुछ और होता तो भी कुछ फर्क नहीं पड़ता । हम-आप इसी तरह इस मुल्क के एक कोने में पड़े सड़ते रहते और कुछ कद्रदान लोग इस देश को अपनी सम्पत्ति समझते रहते । वैसे भारत पहले कृषि-प्रधान था, अब कुर्सी प्रधान है; पहले सोने की चिड़िया
  • Read Free
एक भिखारी चिंतन
एक भिखारी चिन्तन यशवन्त कोठारी ​आज मैं भिक्षावृत्ति पर चिन्तन करुगां।वास्तव मेंभिक्षा, भिखारी, हमारी संस्कृति के अंग है। पिछलेदिनों सरकार ने भिखारियों की धड-पकड़ की। उन्हेमन्दिरों, मसजिदो, गिरिजाघरों, चौराहो, होटलो केआस पास से खदेड़ा। मगर भारतीय संस्कृति के मारेभिखारी ...Read Moreवापस आकर जम गये। मैं ऐसे सैकड़ोभिखरियों को जानता हू जिनके भीख मांगने के ठीयेनिश्चित है। वे निश्चित समय पर निश्चित स्थानों परभीख मांगते है। कुछ के बैंक खाते में बड़ी बड़ी रकमेहै। कुछ ओटो, रिक्शा और टेक्सी तक में आते है।कुछ भिखारियों को घर वाले धन्धे पर छोड़ जाते हैऔर भिक्षा-समय समाप्त होने पर वापस ले जाते है।कुछ भिखारी
  • Read Free
नज़र लागी राजा तोरे बंगले पर
नजर लागी राजा तोरे बंगले पर ​यशवन्त कोठारी ​हे राजा, तेरे बंगले पर कईयों की नजर लग गई है। वे केवल मौके तलाश में है। मौका मिला और वे काबिज हुए। शायद कभी बिल्ली के भाग से छीका टूटे ...Read Moreएक दूसरी कहावत भी इस अवसर पर याद आ रही है न नौ मन तेल होगा और न राधा नाचेंगी। या फिर नाच न जाने आंगन टेढ़ा। कुछ समय पूर्व एक चैनल पर एक बाईट दिखाई गई थी जिसमें कई भूतपूर्व प्रधानमंत्री एक लाइन में बैठे थे और तत्कालीन प्रधानमंत्री शपथ ले रहे थे। एक अखबार ने गप-शप कॉलम में
  • Read Free
साहब का कुत्ता
व्यंग्य साहब का कुत्ता -यशवन्त कोठारी मेरे एक साहब हैं। आपके भी होंगे! नहीं हैं तो बना लीजिए। साहब के बिना आपका जीवन सूना हैं। हमारे साहब के पास एक कुत्ता हैं। आपके साहब के पास भी होगा। नहीं ...Read Moreतो आप भेंट में दीजिए, और फिर देखिये खानदान का कमाल! आप जिस तेजी के साथ दफ्तर में प्रगति की सीढ़ियां चढ़ने लगेंगे, क्या खाकर बेचार कुत्ता चढ़ेगा! खैर तो साहब, हमारे साहब के कुत्ते की बात चल रही थी। मेरे साहब का यह कुत्ता अलसेशियन है या बुलडॉग या देशी, इस झगड़े में न पड़कर मैं आपको इस कुत्ते
  • Read Free
साहित्य के शहसवार
साहित्य के शहसवार यशवन्त कोठारी जनाब को मैं तब से जानता हूं, जब मैंने साहित्य मंे अ, आ पढ़ना शुरू किया था। वे पढ़ने में मन्द बुद्धि थे, अतः दसवीं में फेल होकर जिला स्तर पर साहित्य-सेवा करने लगे। ...Read Moreअपनी पढ़ाई जारी रखी। उन्हांेने साहित्य के साथ-साथ राजनीति के फटे मंे भी अपनी टांग अड़ानी शुरू की। इसके परिणाम बड़े सुखद रहे। वे कभी साहित्य की मार्फत राजनीति पर अमरबेल की तरह छा जाते, कभी राजनीति के नीम पर चढ़कर साहित्य रूपी करेले बन जाते। वे तेजी से प्रगति की सीढ़िया चढ़ने लग गए, लेकिन उनकी रचनाएं जिले से
  • Read Free
सुबह का अखबार
सुबह का अखबार यशवन्त कोठारी सुबह होना जितना जरूरी है अखबार होना भी उतना ही जरूरी है। सुबह यदि अखबार नही ंतो लगता ही नहीं की सुबह हो गई। तड़के अखबार का आ जाना बड़ा सुकून देता है पढ़े ...Read Moreकभी भी मगर अखबार का सुबह होना जरूरी। नेता हो, अभिनेता हो, पत्रकार, पाठक, लेखक, कलाकार, व्यापारी, उद्योगपति, मंत्री, संत्री, अफसर सब को सुबह का अखबार होना जरूरी। समाचारो में कुछ हो या न हो मगर अखबार की सुर्खियों के साथ चाय-पान का आनन्द ही कुछ और है और यदि अखबार में अपनी तारीफ या विरोधी के घर छापा पड़ने
  • Read Free

Best Hindi Stories | Hindi Books PDF | Hindi Love Stories | Yashvant Kothari Books PDF Matrubharti Verified

More Interesting Options

  • Hindi Short Stories
  • Hindi Spiritual Stories
  • Hindi Fiction Stories
  • Hindi Motivational Stories
  • Hindi Classic Stories
  • Hindi Children Stories
  • Hindi Comedy stories
  • Hindi Magazine
  • Hindi Poems
  • Hindi Travel stories
  • Hindi Women Focused
  • Hindi Drama
  • Hindi Love Stories
  • Hindi Detective stories
  • Hindi Moral Stories
  • Hindi Adventure Stories
  • Hindi Human Science
  • Hindi Philosophy
  • Hindi Health
  • Hindi Biography
  • Hindi Cooking Recipe
  • Hindi Letter
  • Hindi Horror Stories
  • Hindi Film Reviews
  • Hindi Mythological Stories
  • Hindi Book Reviews
  • Hindi Thriller
  • Hindi Science-Fiction
  • Hindi Business
  • Hindi Sports
  • Hindi Animals
  • Hindi Astrology
  • Hindi Science
  • Hindi Anything

Best Novels of 2023

  • Best Novels of 2023
  • Best Novels of January 2023
  • Best Novels of February 2023
  • Best Novels of March 2023

Best Novels of 2022

  • Best Novels of 2022
  • Best Novels of January 2022
  • Best Novels of February 2022
  • Best Novels of March 2022
  • Best Novels of April 2022
  • Best Novels of May 2022
  • Best Novels of June 2022
  • Best Novels of July 2022
  • Best Novels of August 2022
  • Best Novels of September 2022
  • Best Novels of October 2022
  • Best Novels of November 2022
  • Best Novels of December 2022

Best Novels of 2021

  • Best Novels of 2021
  • Best Novels of January 2021
  • Best Novels of February 2021
  • Best Novels of March 2021
  • Best Novels of April 2021
  • Best Novels of May 2021
  • Best Novels of June 2021
  • Best Novels of July 2021
  • Best Novels of August 2021
  • Best Novels of September 2021
  • Best Novels of October 2021
  • Best Novels of November 2021
  • Best Novels of December 2021
Yashvant Kothari

Yashvant Kothari Matrubharti Verified

Follow

Welcome

OR

Continue log in with

By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"

Verification


Download App

Get a link to download app

  • About Us
  • Team
  • Gallery
  • Contact Us
  • Privacy Policy
  • Terms of Use
  • Refund Policy
  • FAQ
  • Stories
  • Novels
  • Videos
  • Quotes
  • Authors
  • Short Videos
  • Free Poll Votes
  • Hindi
  • Gujarati
  • Marathi
  • English
  • Bengali
  • Malayalam
  • Tamil
  • Telugu

    Follow Us On:

    Download Our App :

Copyright © 2023,  Matrubharti Technologies Pvt. Ltd.   All Rights Reserved.