वैश्या वृतांत - 16

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हिरोइन पर लिखने के फायदे यशवन्त कोठारी वे वर्षों से साहित्य के जंगल में अरण्यरोदन कर रहे थे, किसी ने घास नहीं डाली। यदा-कदा किसी लघु पत्रिका में उनकी कोई कहानी-कविता छप जाती, जिसे कोई नहीं पढता । वे पाठकों की तलाश में काफी समय तक मारे-मारे फिरते रहे । कुछ समझ नहीं पा रहे थे कि पाठक क्या पढ़ते हैं या पाठक उन्हें क्यों नहीं पढ़ते । आखिर पाठक चाहता क्या है ? वे अक्सर पूछते । जब सब तरफ से फ्री हो जाते तो वे अक्सर मेरे पास आ बैठते और कहते- ‘यार आजकल