डॉमनिक की वापसी - 23

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रविवार को ऋषभ का नाम ‘डॉमनिक’ की भूमिका के लिए तय करने से पहले रमाकांत दीपांश से मिले. उससे मिलके वह खाली हाथ पर संतुष्ट लौटे थे. ज्यादा कुछ कहे-सुने बिना ही वह उसका निर्णय समझ गए थे. वह कुछ दिनों के लिए नाटक से ही नहीं बल्कि हर किसी से अलग रहना चाहता था. ऐसी इच्छा उनके भीतर भी कई बार उठी थी. उन्हें भी लगा था कि जिस बात से सहमत न हों उससे अलग हो जाएं, जिस बात में दिल न लगे उससे छिटक के दूर खड़े हों, हमेशा भीड़ में हामी न भरें, कभी रुकके सोचें कि जो वो कर रहे हैं, जिसे कला और उसकी साधना समझ रहे हैं उसकी दिशा क्या है पर वह ऐसा नहीं कर सके थे.