नार, तू उठा हथियार

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॥। नारी अब तू उठा हथियार ॥नारी ! अब तू उठा हथियार , अब जो करे तुझ पर अत्याचार। यहां नहीं है कोई तेरा, जो तुझे बचा पाएगा, वासना की आग में तप कर, सहज निवाला बनाएगा ।उसकी हवस के आगे अब ना तू होना लाचार। कितना क्रूर ,पाषाण हुआ शैशव को भी ना बख्सा है ,धात्री ! तेरे हाथों ही,उसका होगा संहार है ।कोई कृष्ण, न आएगा, जो दुशासन से तुझे बचाएगा, पाप किया था इंद्र ने किन्तु –सजा अहिल्या ने पाई थी, हठधर्मी रावण की कीमत मां सीता ! ने चुकाई थी। यह कैसी बीमारी? अब कैसी लाचारी है? अब तक जो हुए अन्याय तुझको न कभी मिला न्याय है । जितने भी कानून बने ,अपराधी