एक जिंदगी - दो चाहतें - 26

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एक जिंदगी - दो चाहतें विनीता राहुरीकर अध्याय-26 तनु को ऑफिस में छोडकर परम अपने चाचा के घर की ओर निकल गया। रास्ते भर मन में विचारों का तूफान उठता रहा। एक मन कह रहा था जो लोग तुझे समझने को तैयार ही नही है क्यों उनके पीछे अपना समय और दिमाग खराब कर रहा है। तुझे तेरा मनचाहा मिल ही गया है अब छोड दे भूल जा पुरानी बातों को। लेकिन दूसरा मन नहीं मानता। अपना मनचाहा मिलने का अर्थ यह थोडे ही होता है कि बाकी सब को, जनम के रिश्ते को भुला दिया जाये। जीवन का अर्थ