एक जिंदगी - दो चाहतें - 46

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एक जिंदगी - दो चाहतें विनीता राहुरीकर अध्याय-46 दूसरे दिन सुबह उठकर परम ऑफिस गया। दो दिन की लगातार गोलीबारी से और भागदौड़ से उसका सिर अभी तक चकरा रहा था। उसने गणेश जी और बजरंगबली के आगे अगरबत्ती लगाकर प्रणाम किया और अपना रूटीन ऑफिशियल वर्क करने लगा। दोपहर में खाना खाने के बाद वह अर्जुन और विक्रम के साथ ऐसे ही पैदल ऊपर की ओर निकल गया। अभी के हालात को देखते हुए एहतियात के तौर पर उन्होंने रायफल हाथ में रखी थी और बुलेटप्रुफ जैकेट भी पहन लिये थे। काफी दूर जाने पर थोड़ी खुली सी जगह