एक जिंदगी - दो चाहतें - 47

(13)
  • 5.4k
  • 1
  • 939

एक जिंदगी - दो चाहतें विनीता राहुरीकर अध्याय-47 भारी घुसपैठ के चलते एरिया में हाई अलर्ट लग गया था। सबकी छुट्टियाँ कैंसिल हो गयी थीं। अगले पन्द्रह दिनों में अनुमानत: सभी घुसपैठियों को या तो मारा जा चुका था या फिर पकड़ लिया गया था। लेकिन अभी भी परम के सोर्सेस बता रहे थे कि तीन अत्यन्त खुंखार आतंकवादी भूमिगत हैं उनका कहीं सुराग नहीं मिल रहा है कि वे कहाँ हैं। उन्हे जमीन लील गयी या आसमान खा गया। परम समझ गया कि अभी वे लोग मुँह बंद करके बैठे रहेंगे। जब मामला थोड़ा ठण्डा पड़ जायेगा फौज निश्चिंत