प्रेम मोक्ष - 9

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सर्दियों का खिला हुआ समां था, जोरदार ठण्ड मे अमृत समान धुप अपने चरम ताप पर थी। खेती मे किसान जी तोड़ मेहनत कर रहे थे। उनकी औरते भी गीत गुनगुना कर अपने पतियों का उत्साह बढ़ाते हुए उनका हाथ बटा रही थी। दूर तक फैली धुप मे चमकती फसले किसानो के दिलो को ख़ुशी से गुद गुदा रही हैं। पिछले दो वर्षो मे जो सूखा पड़ा और उसके कारण होने वाली मृत्यु का सारा शोक विलाप इस वर्ष की भारी ऊपज के निचे दब गया। किसान अपना दुख भूल कर सुख के आनंद मे डूबे हुए अपने काम मे व्यस्त