कशिश - 20

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कशिश सीमा असीम (20) वे दोनों एक होना चाहते थे भूल के दुनियाँ की सब रीति रिवाजें और रस्में ! बहुत सारे बंधनों में बांध देता है हमारा समाज लेकिन यह मानव मन यह सब कहाँ सोचता है ! वो तो उन बातों के खिलाफ होना चाहता है जो उसे बान्ध दे ! तभी तो टूट जाती हैं वर्जनाएं, जो हमारे ऊपर लगा दी जाती हैं ! पारुल ने अपनी आँखें खोली पूरी दुनियाँ अलग सी महसूस हुई पल भर में ही सब कुछ बदल चुका था और एक नए रिश्ते का ईश्वर ने निर्माण कर दिया था ! जब