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Kashish. by Seema Saxena | Read Hindi Best Novels and Download PDF

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कशिश by Seema Saxena in Hindi
Novels

कशिश - Novels

by Seema Saxena Matrubharti Verified in Hindi Love Stories

(506)
  • 47.3k

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  • 41

कशिश सीमा असीम (1) गर न होते आँसू आँखों में खूबसूरत इतनी आँखें न होती गर होता न दर्द दिल में कीमत खुशी की पता न होती जीवन में आगे आने की चाहत न होती गर होता मन में ...Read Moreऔ करार वक़्त ने हमको क्या दिया क्या नहीं कभी रब से कोई शिकायत न होती हवाई जहाज ने दिल्ली शहर के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से चेन्नई की ओर उडान भरी तो पारुल को लगा, हम सच हैं बिल्कुल सच और हमारा प्यार भी एकदम सच्चा है तभी तो हम हमेशा क्षितिज पर ही मिलते हैं ! उसने पास में बैठे राघव का

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कशिश - Novels

कशिश - 1
कशिश सीमा असीम (1) गर न होते आँसू आँखों में खूबसूरत इतनी आँखें न होती गर होता न दर्द दिल में कीमत खुशी की पता न होती जीवन में आगे आने की चाहत न होती गर होता मन में ...Read Moreऔ करार वक़्त ने हमको क्या दिया क्या नहीं कभी रब से कोई शिकायत न होती हवाई जहाज ने दिल्ली शहर के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से चेन्नई की ओर उडान भरी तो पारुल को लगा, हम सच हैं बिल्कुल सच और हमारा प्यार भी एकदम सच्चा है तभी तो हम हमेशा क्षितिज पर ही मिलते हैं ! उसने पास में बैठे राघव का
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कशिश - 2
कशिश सीमा असीम (2) बड़ी प्यारी लग रही हो ! उनके यह शब्द उसके कानों मे गूंजने लगे ! क्या वो वाकई मे खूबसूरत लग रही है ! वो आइने के सामने जाकर खड़ी हो गयी ! स्काई ब्लू ...Read Moreके फ्रॉक सूट में उसके चेहरे का रंग तो बहुत निखर आया था पर न होठो पर लिपिस्टिक न आंखो में काजल कुछ भी तो नहीं बचा था उसके पास ! चलो कोई नहीं, आज यूं ही रहने देती हूँ ! वो अपने बाल सुलझा कर नीचे मैस हाल में आ गयी ! वहाँ पर राघव पहले से मौजूद थे वे
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कशिश - 3
कशिश सीमा असीम (3) पापा के साथ स्टेशन तक आई ! वैसे तो पापा हमेशा हर जगह उसे अपने साथ ही लेकर जाते हैं लेकिन आज उन्होने भी अकेले जाने देने मे कोई आनाकानी नहीं की थी ! बल्कि ...Read Moreमें समझाते हुए कहा था, देखो संभाल कर जाना और अपना खयाल रखना ! जी पापा ! आप बिल्कुल बेफिक्र रहें ! मैं अब बड़ी हो गयी हूँ ! ट्रेन में बैठते समय पापा के पाँव छूते हुए पारुल ने कहा, पापा आप अपना और मम्मी का ख्याल रखना ! तू सदा खुश रहे ! सफलता तेरे कदम चूमे !
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कशिश - 4
कशिश सीमा असीम (4) सबने राघव को मनाया और वे चलने को मान गए ! हर बात मे आगे आगे रहने वाले कमल जी कि इच्छा थी कि वे सबको बोटिंग कराएंगे ! अरे इससे अच्छी और क्या बात ...Read Moreसकती है ! खुशी और मस्ती से लबरेज वे सब खुशी से चहक पड़े ! वे सब 50 के करीब लोग थे और उन सबका एक ही बोट मे आना संभव ही नहीं था ! दो बोट की गयी और संजोग देखिये कि राघव उसकी ही बोट में और उसके बराबर वाली सीट पर बैठ गए ! सुबह के करीब
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कशिश - 5
कशिश सीमा असीम (5) आज पापा ने ऑफिस से घर आकर उसकी शादी कि बात छेंड दी, सुनो मेरे ऑफिस में ही एक लड़का है आज ही ट्रांसफर होकर आया है बहुत ही समझदार और इज़्ज़त करने वाला ! ...Read Moreहूँ कि उससे पारुल की शादी की बात चलाई जाये ! आप को हर लड़का अच्छा लगता है पहले पारुल से तो पूछ लिया करो ! वो तो शादी का नाम सुनते ही भड़क जाती है ! क्यों, क्या उसे शादी नहीं करनी ? करनी क्यों नहीं है बस उसने कह रक्खा है कि चार साल बाद करेगी ! पहले
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कशिश - 6
कशिश सीमा असीम (6) सुबह ही राघव से बात हुई थी मन पूरे दिन बड़ा खुश रहा था ! शाम को फिर उसका फोन आ गया ! कैसे हो आप ? अचानक से उसके मुंह से निकाल गया ! ...Read Moreहूँ और तुम ? बिल्कुल आपकी ही तरह बढ़िया ! राघव उसकी बात सुनकर हंस पड़ा ! वो भी हंसने लगी ! अरे सुनो प
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कशिश - 7
कशिश सीमा असीम (7) आ रही हूँ बुआ ! चल रुही अब बाहर चलें बुआ बुला रही हैं ! हाँ चल ! वे दोनों हँसती मुसकुराती बाहर आ गयी ! तुम दोनों तो कहीं मिल जाओ तो तुम दोनों ...Read Moreपास बस बातों के सिवाय कुछ भी नहीं होगा ? बुआ बोली ! अरे बुआ, कितने दिनों बाद तो मिले हैं ! वो तो मिलोगी ही, जब मिलने नहीं आओगी ? आपलोग भी कब से नहीं आए हैं पारुल ने शिकायती लहजे में कहा ! बेटा बुआ से बराबरी न किया कर ! ठीक है बुआ ! अब से कोई
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कशिश - 8
कशिश सीमा असीम (8) इस बार पापा ने भाई को बुला लिया था और उसके ऊपर यह ज़िम्मेदारी डाली थी कि वो पारुल को छोडकर आए ! भाई दो दिन की छुट्टी लेकर आए थे एक दिन घर में ...Read Moreसाथ बिताया ! भाई के आने से घर का माहौल थोड़ा खुशनुमा हो गया था ! अगले दिन भाई उसे छोडने के लिए एयर पोर्ट तक गए कैब से उसका समान निकाल कर बाहर रखा और उसे समझाते हुए बोले कि देखो अपना सामान ट्रॉली में रख कर ले जाओ और अपनी फ्लाइट के काउंटर पर जाकर चैक इन करवा
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कशिश - 9
कशिश सीमा असीम (9) दोनों बेहद खुश थे और होना भी चाहिए आखिर ईश्वर ने उनकी प्रार्थना स्वीकार जो कर ली थी ! वैसे अगर सच्चे दिल से ईश्वर से जो भी मांगों वो जरूर मिलता है भले ही ...Read Moreहो जाये ! पर उनको देर भी कहाँ हुई थी ! यार क्या सोच रही है पारुल ? तू सोचती बहुत है ! पारुल सिर्फ मुस्कुरा दी ! ये राघव भी न कभी आप कह कर बात करते हैं और कभी तू कहकर ! लेकिन जब वे तू कह कर बोलते है तब बहुत अपनापन सा महसूस होता है !
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कशिश - 10
कशिश सीमा असीम (10) तुम मेरा हाथ देखो और बताओ मेरी जिंदगी में कितनी प्रेमिकाएं हैं ? हे भगवान ! कितनी ? पारुल हंसी ! हाँ भई ! कितनी ही बता दो आज तक एक भी नहीं मिली है ...Read More? सही है ! न मिले ! क्यों तुम मेरी खुशी नहीं चाहती हो क्या ? चाहती हूँ तभी तो कह रही हूँ ! अच्छा यह भला कौन सी खुशी हुई कि तुम मेरे जीवन मे किसी प्रेमिका का दखल भी नहीं चाहती ! मैं हूँ न ! उसने हल्के से कहा ! और मेरे होते हुए किसी और प्रेमिका
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कशिश - 11
कशिश सीमा असीम (11) प्लेन अब बादलो के नीचे आ गया था ! अब वो कलकत्ता शहर के ऊपर उड़ रहा था जहां से उसे फ्लाइट बदलनी थी क्योंकि डायरेक्ट फ्लाइट नहीं मिली थी ! यहाँ से घर किसी ...Read Moreखिलौने की मानिंद नजर आ रहे थे ! देख पारुल यहाँ हर घर के पास मे पोखर है ! पोखर ? पोखर मतलब छोटा सा तालाब ! अच्छा वो क्यों ? वो इसलिए क्योंकि यह लोग इसमे मछली पालते हैं, जैसे हम लोग अपने घर के बाहर किचिन गार्डन बनाते हैं न ! ताजी सब्जियाँ उगाने के लिए ठीक वैसे
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कशिश - 12
कशिश सीमा असीम (12) फ्लाइट उड़ान भरने वाली थी ! पारुल ने उसकी सीट बेल्ट बांध दी ! उसने महसूस किया कि उसकी माँ को जरा भी फिक्र नहीं, वे तो बस खुद में ही डूबी हुई हैं ! ...Read Moreहाथ में मोबाइल पकड़े कोई गेम खेलने मे मस्त है और वे अपने पति की बाँहों में लिपटी कोई दूसरी ही दुनिया में हैं ! थोड़ी देर बाद जब एयर होस्टेस स्नेक्स की ट्रॉली लेकर आई तो राघव ने मिट्ठू के लिए और उसके लिए चॉकलेट ली ! नहीं अंकल मैं नहीं खाऊँगी ! मेरे नाना जी कहते हैं किसी
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कशिश - 13
कशिश सीमा असीम (13) लगता है कि अभी हमारा समान आया नहीं है ! राघव ने कहा ! सामान नहीं आया मतलब ? मतलब ? लगेज वाला जहाज अभी नहीं पहुंचा है ! क्या लगेज के लिए दूसरा जहाज ...Read Moreउसे कुछ समझ नहीं आता बुद्धू कहीं की उसने स्वय को झिड़का ! और फिर जब कहीं बाहर नहीं जाना आना हो तो ऐसी बुद्धि होना स्वाभाविक है ! देखो जैसे मालगाड़ी होती है न ठीक वैसे ही जहाज होता हैं ! जो हमारा समान लेकर उड़ता है ! राघव ने उसे समझाते हुए कहा ! यह मेरे मन की
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कशिश - 14
कशिश सीमा असीम (14) हाँ यार, कभी खाता नहीं हूँ न इसलिए ! मैं जो नहीं थी पहले खिलाने के लिए ! आपके लिए थोड़ी सी चीनी लाती हूँ ! राघव की मिर्च से हुई बुरी हालत को देखते ...Read Moreपारुल ने जल्दी से अपना चम्मच प्लेट में रखा और काउंटर पर खड़े व्यक्ति से थोड़ी चीनी मांगी ! उसने एक कटोरी मे चीनी डाल कर दे दी ! राघव चीनी को अपने मुंह मे डाल लो देखना मिर्च एकदम से मिट जाएगी ! नहीं रहने दो, मैंने पानी पी लिया है ! फिर भी तुम्हारे मुंह से सी सी
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कशिश - 15
कशिश सीमा असीम (15) लव यू राघव ! तुम बहुत अच्छे और प्यारे हो, तुम सा दुनियाँ मे कोई नहीं ! उसने मन में सोचा ! अब जल्दी से खाना फिनिश कर दो ! बस मैंने खा लिया ! ...Read Moreथोड़ा सा तो खाया है ? और यह सारे चावल बच गए इनको क्या करूँ ? क्या करूँ ? मुझसे अब नहीं खाये जा रहे ! उन मोटे मोटे चावलों को देखकर उसकी भूख तो पहले ही खत्म हो गयी थी ! चाय पीना है ? खाना खाने के बाद चाय ? इनको चाय और सिगरेट दोनों ही बहुत पसंद
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कशिश - 16
कशिश सीमा असीम (16) अरे क्या हुआ पारुल ? क्या सोच कर मुस्करा रही है ! कुछ नहीं बस यूं ही ! उसके गाल एकदम से लाल हो उठे और दिल इतनी तेजी से धड़कने लगा मानों अभी सीने ...Read Moreकूद कर बाहर निकल आएगा ! कार अपनी रफ्तार से दौड़ रही थी, गाना बज रहा था ये रास्ते हैं प्यार के ! आगे की सीट पर बैठा हुआ वो लड़का कानों मे हेडफोन लगाये अपनी ही मस्ती में सिर हिलाते हुए मस्त था ! राघव को पता नहीं क्या हुआ कि उसने पारुल का हाथ अपने हाथ में लेकर
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कशिश - 17
कशिश सीमा असीम (17) अभी और कितनी दूर है और कितना समय लगेगा ! अभी टेकसी वाले से पूछ कर तुम्हें बताता हूँ ! ड्राइवर अपनी ही धुन मे मस्त था गाना बज रहा था ! चला जाता हूँ ...Read Moreकी धुन में धड़कते दिल के तराने लिए ! सच में यह पुराने गाने कितने सुमधुर होते हैं इनको सुनो तो इनकी लय तान में ही खोते चले जाओ ! आज के गानो से इनकी कंपरिजन ही नहीं की जा सकती ! भाई कितनी दूर है अभी, मतलब कितना समय लगेगा ? राघव ने थोड़ी तेज आवाज में उससे पूछा
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कशिश - 18
कशिश सीमा असीम (18) पारुल चलो जल्दी से पहले अपने रुम पर पहुँचो फिर बात करना ! राघव ने उसे फोन मिलाते हुए देखकर टोंका ! अरे मैं तो इनको मना नहीं करती कि यह मत करो, वो मत ...Read More! उसे राघव का यूं टोंकना अच्छा नहीं लगा फिर भी अपना मोबाइल पर्स में डाल लिया !! अरे जाना किधर है यहाँ तो कोई बिल्डिंग नजर नहीं आ रही है ! लड़का सारा सामान लेकर चला गया था किधर से गया और कहाँ से गया ! राघव ने कार वाले को पेमेंट किया और पीछे की कि तरफ जाने
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कशिश - 19
कशिश सीमा असीम (19) थोड़ी ही देर में बेटर एक ट्रे में फुल प्लेट दाल फ्राई, गोभी की सब्जी का बड़ा डोंगा, दो पैक्ड दही, बड़ी प्लेट सलाद और चार रूमाली रोटियों जो कपड़े के नैपकिन में लपेट कर ...Read Moreमें रखी हुई थी ! उसने पहले टेबल पर रखे हुए सामान को समेटा फिर बड़े करीने से खाने का सारा सामान टेबल पर सजा दिया ! एक स्टूल पर पानी का जग और गिलास रख कर वो कमरे से चला गया ! ओहह माइ गॉड !! इतना सारा खाना कौन खाएगा ? पारुल के मुंह से अनायास निकल पड़ा
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कशिश - 20
कशिश सीमा असीम (20) वे दोनों एक होना चाहते थे भूल के दुनियाँ की सब रीति रिवाजें और रस्में ! बहुत सारे बंधनों में बांध देता है हमारा समाज लेकिन यह मानव मन यह सब कहाँ सोचता है ! ...Read Moreतो उन बातों के खिलाफ होना चाहता है जो उसे बान्ध दे ! तभी तो टूट जाती हैं वर्जनाएं, जो हमारे ऊपर लगा दी जाती हैं ! पारुल ने अपनी आँखें खोली पूरी दुनियाँ अलग सी महसूस हुई पल भर में ही सब कुछ बदल चुका था और एक नए रिश्ते का ईश्वर ने निर्माण कर दिया था ! जब
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कशिश - 21
कशिश सीमा असीम (21) अच्छा जी,सुना है कि आत्मकथा में एक एक शब्द सच होता है ! हाँ ! क्या आप अपनी आत्मकथा में मुझे भी लिखेंगे ! नहीं बस तुमको छोडकर सब ज्यों का त्यों लिख दूंगा ! ...Read Moreमुझे क्यों नहीं लिखेंगे ? क्योंकि मैं तुमसे प्रेम करता हूँ और हम जिसे प्रेम करते हैं उसे जमाने से छिपा कर रखते हैं ! हम्म ! और तुमने मुझ पर विश्वास किया है तो तुम्हारे विश्वास को कैसे तोड़ सकता हूँ ! नहीं, मैं कभी नहीं तोड़ सकता जिस दिन तोड़ दिया उस दिन तेरा गुनहगार बन जाऊंगा !
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कशिश - 22
कशिश सीमा असीम (22) लंच ब्रेक में खाने की मेज पर खाना लग गया था, खाने में दाल, चावल और आलू की मसाले वाली सब्जी व सलाद, रोटियाँ अभी नहीं रखी थी ! राघव वही कुर्सी पर बैठे थे ...Read Moreपास में एक पहाड़ी लड़की और एक असमियाँ लड़की बैठी हुई थी ! उसे अच्छा नहीं लगा बल्कि बहुत तेज गुस्सा आया ! अरे यह लोग क्यों बैठी हैं, उसे बैठना है वहाँ पर ! हालांकि वहाँ पर कोई खाली कुर्सी नहीं पड़ी थी फिर भी वो उनके पास जाकर बोली, मुझे भी बैठा लो न ? हाँ हाँ आओ
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कशिश - 23
कशिश सीमा असीम (23) पारुल जरा वो पानी की बोतल तो उठा कर दे देना ! राघव ने उस मौन को तोड़ा ! जी ! वो बस इतना ही कह पाई थी ! उसने उठकर साइड टेबल में रखी ...Read Moreपानी की बोतल और गिलास उसे पकड़ा दिया ! अरे भाई सिर्फ बोतल ही मांगी थी न ! वे चिड़चिड़े स्वर में बोले ! ओह ! पारुल ने उनके हाथ से गिलास लिया और मेज पर रख दिया ! ये राघव भी न वैसे बड़ा लाड़ दिखाते हैं लेकिन जरा सी गलत बात पर ऐसे बोलते हैं जो अच्छा नहीं
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कशिश - 24
कशिश सीमा असीम (24) क्या लिखूँ मैं ? कविता या प्रेमपत्र ? दिमाग में तो राघव ही घूम रहे हैं तो राघव को ही लिख सकती है और कुछ ख्याल में ही नहीं आता मानों पूरी दुनियाँ को बिसरा ...Read Moreसिर्फ राघव से नाता जोड़ लिया है या सिर्फ उनको हो अपना मान लिया है ! राघव क्या तुम मेरा मन नहीं पढ़ पाते ? क्या तुम्हें मेरे अलावा कोई और भी इस दुनियाँ में नजर आता है तो क्यों ? मुझे तो कोई भी नहीं दिखता ! सिर्फ तुम और तुम ही ! कैसे संभव होगा ऐसा कि वो
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कशिश - 25
कशिश सीमा असीम (25) तन से ज्यादा उसका मन दर्द कर रहा था ! राघव ने उसके बाहर निकलते ही कमरे का दरवाजा बंद कर लिया ! ओहह यह कैसा प्रेम है जो उसे इतना दर्द दे रहा है ...Read Moreतकलीफ से भरे दे रहा है ! वो वहाँ से आ तो गयी थी लेकिन मन वही पर पड़ा रह गया था बेजान जिस्म वहाँ से चला आया था ! कमरे में मेनका मैडम अभी जग रही थी ! कहाँ चली गयी थी, इतनी देर से दरवाजा खुला पड़ा था ! पता नहीं क्यों, जी घबरा रहा था तो राघव
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कशिश - 26
कशिश सीमा असीम (26) रात भर चैन की नींद न आने से मन एकदम से भरा भरा था ! समझ में नहीं आ रहा था कि वो प्रेम में है या किसी के वशोकरन में ! जैसे वो चाहता ...Read Moreउसी तरह से हर बार हो जाता है ! अरे टावल तो लेकर ही नहीं आई ! वो बाहर आकर तौलिया उठाती है ! मैडआम ने सदी बअनध ली है पिंक कलर की साड़ी में उन्के खुले बालों से गईरतआ हुआ पानी उनकी साड़ी को गीला कर रहा था और वे शीशे के सामने खड़े होकर चेहरे पर पीएनके कलर
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कशिश - 27
कशिश सीमा असीम (27) अरे राघव कहाँ चले गए अभी तो वो यहाँ आने को कह रहे थे और खुद ही कहीं और चले गए ! ओहह यह राघव भी न, कितने मस्त मौला हैं किसी भी बात की ...Read Moreपरवाह ही नहीं ! उनको तो अपने आप की ही फिक्र नहीं है ! उसे ही हर वक्त उनकी फिकर लगी रहती है ! और जब वो उनकी परवाह या फिकर करती है तो वो भी उनको अच्छा नहीं लगता है ! फौरन उसे कहेंगे, सुनो तुम अपना ख्याल कर लो वही बहुत है मैं अपना ख्याल खुद रख सकता
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कशिश - 28
कशिश सीमा असीम (28) हाँ उन्हें अपने दिल में बसा लेती हूँ फिर देखे वे किधर जाएंगे या जिधर भी जाएंगे मेरा दिल उनके साथ साथ चला जाएगा तब न वो अकेले और न मैं अकेली हर जगह हम ...Read Moreके साथ साथ ! अरे पारुल वहाँ क्या कर रही है आओ इधर हमलोगों का एक फोटो तो खीच दो ! हे भगवान राघव को उसकी याद भी आई तो कम के लिए ! वो मन ही मन मुस्कुराइ ! वैसे कोई अपना या बेहद खास होता है न वो कम के वक्त ही याद आता है ! जी लाइये
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कशिश - 29
कशिश सीमा असीम (29) वाह संग्रहालय, हाँ ठीक है !चलिए पर न, एक भी क्षण गबाए बिना उसने एकदम से कह दिया ! क्योंकि अँधा क्या चाहे दो आँखे और उसे तो राघव का साथ चाहिए किसी भी तरह ...Read Moreभी मिले ! वो एक बेहद खूबसूरत संग्रहालय था ! दीवारों पर सुन्दर भित्ति चित्र बने थे और एक एक चीज ऐसे करने सजी हुई वहां की पुराने ज़माने की कलात्मकता को दर्शा रही थी ! कितनी देर तक राघव एक एक चीज के बारे में बताते रहे ! कितना अच्छा लगता है जब राघव उससे बातें करते हैं और
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कशिश - 30
कशिश सीमा असीम (30) बेटा मैं क्या करूँगा, इतने सरे सेब का ? आप खा लीजियेगा ! वो मासूमियत से बोला ! हम्म ! राघव उसकी बात पर मुस्कुराये बिना न रह सके ! यह होती है देने की ...Read More! चलो भाई, अब चलते हैं ! आज मेरे पास ऐसा कुछ भी नहीं था, जो उन सेबों का मोल उस बच्चे को लौटा पाता, वाकई प्रेम का कोई भी मोल नहीं है, यह ख़रीदा नहीं जा सकता, न ही इसे माँगा जा सकता है अगर यह मिलना होता है तो कहीं न कहीं से किसी बहाने से मिल ही
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कशिश - 31
कशिश सीमा असीम (31) पारुल और राघव कमरे में आ गए थे ! आज राघव में उसे अपने गले से लगते हुए कहा क्या तुझे मुझ पर भरोसा नहीं है जो हर समय तेरी नजरे सवाली बनी रहती हैं ...Read Moreहाँ है न, लेकिन तब, जब तुम मेरे करीब होते हो तो ! सिर्फ मेरे साथ ही रहा करो न, सिर्फ मेरे बनकर ! लेकिन कैसे संभव है ? राघव ने उसके माथे को प्रेम से चूमते हुए कहा ! अच्छा अब तुम अभी मेनका मैम के कमरे में जाओ नहीं तो वे तुम्हें सूंघती हुई यही आ जाएँगी और
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कशिश - 32
कशिश सीमा असीम (32) खाना खाने के बाद वे लोग उस बालकनी में आकर बैठ गए, जहाँ पर कुर्सियां पड़ी हुई थी ! सुबह और रात दोनों समय यही आकर बैठना उन सभी का भी सबसे महत्वपूर्ण शगल था ...Read Moreसुबह होते ही चाय का कप लेकर नीचे दिख रहे उस घर को देखना, जिसमे लकड़ियाँ जलाकर एक बड़ी सी पतीली में पानी गर्म होता रहता था, जिसे नहाना होता बाल्टी में थोड़ा गर्म पानी निकालता और थोड़ा ठंडा पानी उसमें ड़ाल देता ! लोगों की खिड़कियां बंद रहती ! देर तक एकदन सन्नटा जैसा रहता ! कहीं कोई शोर
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कशिश - 33
कशिश सीमा असीम (33) यह प्रकृति देख रही हो न, यह मेरी प्रेमिका है, सच्ची प्रेमिका,! उसके कानो में यह बात सुनाई दी जो राघव मेनका मैम को बता रहे थे ! इनको मेनका जी से बात करना कितना ...Read Moreलगता है न फिर मुझसे क्यों बात करते हैं शायद इनके लिए प्रेम का मतलब यही होता होगा रुलाना सतना तड़पाना ! कैसे आये इस मन को करार,! ओ चैन देने वाले जब तूने ही बेचैन कर दिया ! रह रह कर माँ की याद आने लगी न जाने क्यों हमें जब कभी किसी भी तरह की तकलीफ होती है
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कशिश - 34
कशिश सीमा असीम (34) अरे क्या बात करती हो मैडम जी, हम आपको बहुत स्वादिष्ट चीजें खिलाएंगे ! राघब मुस्कुराते हुए बोले ! हे ईश्वर, मुझे बस इतना बता दो कि लोग प्रेम को चैन से जीने क्यों नहीं ...Read More? वे क्यों दुश्मन बन जाते हैं ? क्यों लोगों का प्यार छीन लेना चाहते हैं ?क्या उनके पास कोई और काम नहीं है सिवाय दूसरों की खुशियों में आग लगाने के अलावा ? ऐ पारुल तू क्या सोचने लगी क्या तेरी कीवी भी खट्टी और कड़वी निकली ? किसी ने पारुल को हिलाकर कहा तो वापस अपनी सोच से
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कशिश - 35 - अंतिम भाग
कशिश सीमा असीम (35) ओह्ह यह उसे क्या हो जाता है ? वो उसके प्यार में इतना मदहोश हो जाती है ! उसे कुछ भी होश ही नहीं रहता ! वो अपने आसपास से बेखबर होकर सिर्फ राघव को ...Read Moreयाद रख पाती है ! हे ईश्वर, उसे सद्बुद्धि दे ! वो अपनी इन गलतियों की वजह से ही अक्सर दुखी होती है ! राघव उसे दुःख नहीं देता है, वो स्वयं अपने लिए दुखों का पहाड़ खड़ा कर लेती है ! क्या करे वो ? कैसे खुद पर सब्र करे और कैसे जिए ? राघव के साथ होते हुए
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