तृप्ति - (अंतिम भाग)

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अच्छा तो तुम्हारा नाम कादम्बरी हैं, देवव्रत बोला। हां,क्यो? कादम्बरी बोली!! ऐसे ही, बहुत ही सुंदर नाम है तुम्हारा,कादम्बरी का अर्थ होता है कोयल लेकिन तुम्हारे स्वर तो बिल्कुल भी मीठे नहीं है, तुम्हारे मुख से सदैव कड़वे बोल ही निकलते हैं,देववृत बोला। हां..... हां....क्यो नही?आपके बोल तो मधु में डूबे हुए होते हैं,कादम्बरी बोली। उन दोनों की सारी नोंक-झोंक कमल सुन रही थी और मन-ही-मन मुस्कुरा भी रही थी फिर कमल ने पूछा, पंडित जी आपकी उमर क्या होगी? देवव्रत बोला, पहले तो आप मुझे पंडित जी ना कहकर "देव" कहे! क्योंकि मैं तो अब आपको