कल्युग की पांचाली - 2

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ऊषा के कानों में सास की आवाज किसी धमाके की तरफ गूंजती है, वह किसी पत्थर की निष्प्राण प्रतिमा की तरह बैठी होती है पांचों लड्के ऊषा के गले मे मंगलसूत्र पहनाते हैं और सिंदूर लगाते हैं सास की आवाज से ऊषा कि तंद्रा भंग होती है, उसकी सास कहती है- सास:- आज से ये तुम पांचों की पत्नी है, और ये और एक-एक महीने तुम पाचों के साथ रहेगी, ऊषा पर जैसे कोई गाज गिरी हो, जैसे उसकी सोचने समझने की क्षमता ही खत्म हो गई हो, लेकिन कर भी क्या सकती थी, बेचारी मजबूर थी, और इस सबको