पराग-कण

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आज बहुत दिनों के बाद कुसुम से मुलाकात हुई। मैं उसी से मिलने उसके घर जा रहा था, लेकिन वो रास्ते में ही मिल गई। अचानक आज मुझे अपने सम्मुख पाकर शरमा गई... बावली है! मुझे देखकर पता नहीं उसे क्या हो जाता है। शायद पिछले लमहे याद आ जाते हो या पिछली बातें, वह दिन, वह मेरा प्रेम प्रस्ताव,,,, हां, बिना लफ्जों का प्रेम प्रस्ताव, जिससें वह शर्म से तार-तार हो गई थी,और दिन भर टेबल पर सिर रखकर खिड़की से बाहर झाकती रही। कमबख्त दूसरे दिन तो स्कूल ही नहीं आई...!हम दोनों का प्रेम संबंध पिछले तीन सालों