बेनाम शायरी - 2

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"बेनाम शायरी"??? ?? ??? ?? ???एक जमाना था कि लोग अपनों पे जान छिड़कते थे।एक ज़माना है कि लोग अपनो की जान छिड़कते है।।??? ?? ??? ?? ???ये तेरे अल्फाजों की पेहलिया हमें समझ नहीं आती।ये दिल की सारी बाते है दिल में बस क्यों नहीं जाती।।??? ?? ??? ?? ???"बेनाम" नजरो से उतरना हमें मुनासिब नहीं है।हम दिलो में उतरने का हुनर लाजवाब रखते है।।??? ?? ??? ?? ???खामोशियों में भी खुशियों के फसाने ढूँढ लेती