पूर्णता की चाहत रही अधूरी - 4

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पूर्णता की चाहत रही अधूरी लाजपत राय गर्ग चौथा अध्याय नीलू का मेडिकल कॉलेज में एडमिशन होने के पश्चात् मीनाक्षी ने यह सोचकर कि मेरी तो ट्रांसफरेबल जॉब है, पता नहीं कब बोरी-बिस्तर बाँधने का ऑर्डर आ जाये, शुरू में ही नीलू को हॉस्टल में भेजना उचित समझा। अब घर में मौसी और वह दोनों ही रह गयी थीं। एक दिन शाम को जब मीनाक्षी घर आयी तो मौसी ने दोनों के लिये चाय बनायी और चाय पीते हुए उससे कहा - ‘मीनू, अब तो परमात्मा की कृपा से नीलू का दाख़िला भी हो गया है। तूने अपनी ज़िम्मेदारी बख़ूबी