ये मेरा और तुम्हारा संवाद है #कृष्ण – 2

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1. तुम्हारे स्वर का सम्मोहन तुम्हारे अनुराग की तरह, तुम्हारे स्वर का सम्मोहन भी अद्भुत है, अपनत्व की सघनतम कोमलता, और सत्य की अकम्पित दृढ़ता का ये संयोग तुम्हारे पास ही हो सकता है. और स्वरों के इसी अपरिमेय सम्मोहन ने मुझे उस एक क्षण में स्तंभित कर दिया I उस दिन सब उदास थे, सबको लगता था तुम चले जाओगे. मुझे राग, अनुराग और विराग रहित, नेत्रों से,अपलक अपनी ओर देखते हुए, तुमने अपनी स्नेहमयी सम्मोहिनी वाणी में सदा की तरह, भुवनमोहिनी मुस्कान के साथ मेरे निकट आकर कहा था, मैं जहाँ आ गया वहाँ से कभी जाता