छूना है आसमान - 3

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छूना है आसमान अध्याय 3 ‘‘दीदी......।’’ अलका ने जोर से कहा, ‘‘अरे अलका तुम......आओ......लगता है आज मम्मी घर में नहीं हैं ?’’ चेतना ने मुस्कुराते हुए कहा। ‘‘हाँ दीदी, आज मम्मी घर पर नहीं हैं वह बाजार गयी हैं, तभी तो मैं आपके पास आ गयी।’’ ‘‘तुम्हारे हाथ में क्या है अलका......?’’ चेतना ने अलका की बात को नजरअंदाज करते हुए कहा। ‘‘दीदी, मैं तुम्हारे लिये आइसक्रीम लेकर आयी हूँ, लो जल्दी से खा लो।’’ ‘‘नहीं अलका तुम खा लो।’’ ‘‘अच्छा चलो हम दोनों मिलकर खाते हैं।’’ अलका ने कहा। ‘‘हाँ, यह हुई न बात।’’ चेतना ने कहा और दोनों