झोपड़ी से घर तक...

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हैदराबाद सिटी... सुबह हो गई थी। सूरज की किरणे निकलते ही सड़कों पे चहल पहल शुरू हो गई थी। स्कूल के बच्चे हसते मुस्कुराते स्कूल की और आगे बढ़ रहे थे। नौकरी करनेवाले जल्दी में अपनी अपनी ऑफिस की तरफ़ भाग रहे थे। सब्जी और फ्रूट्स बेचनेवाले आवाज़ लगा रहा थे, भिंडी २० रुपए किलो... अनार ५० रुपए किलो.... इन्हीं सब भीड़भाड़ की जगह पे कई मकान भी थे। जिसमें मुस्लिम परिवार रहते थे। उसमें से एक परिवार था फ़राज़ खान का। फ़राज़ खान की कपड़े की दुकान थी। दिल के नेक